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येसुदास के 18 गाने: आखिरी वाला पहले नहीं सुना होगा, अब बार-बार सुनेंगे!

इन तोप सिंगर ने इतने अवॉर्ड जीते कि 30 साल पहले कह दिया, 'अब मुझे नहीं, नए लोगों को अवॉर्ड दो'.

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के. जे. येसुदास.
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गजेंद्र
10 जनवरी 2022 (Updated: 10 जनवरी 2022, 07:28 AM IST) कॉमेंट्स
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# उन्हें बेस्ट सिंगर का केरल स्टेट फिल्म अवॉर्ड रिकॉर्ड 25 (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिल नाडु और बंगाल राज्य के पुरस्कार मिला दें तो कुल 43) बार दिया जा चुका है. लगातार जीतने के कारण साल 1987 में उन्हें राज्य सरकार से अनुरोध करना पड़ा कि आगे से पुरस्कारों में उनको कोई अवॉर्ड न दिया जाए ताकि नई पीढ़ी के गायकों को मौका मिल सके.1. चांद अकेला जाये सखी री- आलाप (1977)
.. # येसुदास को बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड सात बार मिल चुका है. पहली बार ये अवॉर्ड 1972 में मलयालम फिल्म 'अछनम बप्पयम' के गाने 'मनुष्यम' के लिए मिला. हिंदु-मुस्लिम सद्भाव वाली इस फिल्म के इस गाने का अर्थ था, "मनुष्य ने धर्म बनाए. धर्मों ने भगवान बनाए. मनुष्यों, धर्मों और भगवानों ने साथ मिलकर इस जमीन को बांट दिया, हमारे दिमागों को बांट दिया." 2. प्यारे पंछी बाहों में- हिंदुस्तानी (1996)
.. # येसुदास 10 जनवरी 1940 में जन्मे थे. केरल के प्राचीन तटीय शहर फोर्ट कोची में. परिवार रोमन कैथलिक ईसाइयों वाला था. उनका पूरा नाम रखा गया कोट्‌टासेरी जोसेफ येसुदास. उनके पिता ऑगस्टीन जोसेफ जाने माने मलयालम क्लासिकल सिंगर और रंगमंच अभिनेता थे जिन्होंने ढाई दशक से ज्यादा वक्त तक केरल के रंगमंच पर राज किया. पिता ही येसुदास के गुरु रहे.3. सुरमई अखियों में- सदमा (1983)
इसी का तमिल वर्जन भी. बेहद खूबसूरत.
.. # पांच बरस की उम्र से येसुदास ने कार्नटिक म्यूजिक सीखना शुरू कर दिया था. पिता ऑगस्टीन उनके पहले गुरु थे. बाद में उन्होंने साउथ के दूसरे दिग्गज संगीत विशारदों से तालीम ली. साथ साथ पिता भी उन्हें बेहतर करते रहे.4. आज से पहले आज से ज्यादा- चितचोर (1976)
.. # हाई स्कूल में येसुदास लगातार सिंगिंग के सारे ख़िताब जीतते थे. ये 1957 के करीब की बात है.5. आ आ रे मितवा- आनंद महल (1972)
.. # वे गायन में उस्ताद थे लेकिन फिर भी लगातार म्यूजिक स्कूलों में जाते रहे. जैसे कोचीन के पास आर.एल.वी. म्यूजिक एकेडमी में गणभूषणम के कोर्स में दाखिला लिया और 1960 में डबल प्रमोशन और डिस्टिंक्शन के साथ पास किया. फिर त्रिवेंद्रम में एक और बड़ी म्यूजिक एकेडमी में गए लेकिन पैसे की तंगी के कारण कोर्स पूरा नहीं कर सके.6. कोई गाता, मैं सो जाता- आलाप (1977)
.. # 1961 में उन्होंने पहली बार एक फिल्म के लिए गाना रिकॉर्ड किया. और उनकी शुरुआत बहुत रेलेवेंट कृति के साथ हुई. इस गीत की पंक्तियां लिखी थीं केरल में पिछड़े वर्गों के संत श्री नारायणा गुरु की. इनका अर्थ था, "ये वो आदर्श जगह है जहां सभी लोग बिना धर्मों की शत्रुता और जाति के भेद के स्पर्श में आए भाइयों और बहनों की तरह साथ रहते हैं." येसुदास फिर पूरी जिंदगी सामाजिक बराबरी और सद्भाव के लिए काम करते रहे हैं. इस गीत के बाद येसुदास को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा, वे हर आयु वर्ग के फेवरेट हो गए थे.7. तुझे देखकर जग वाले पल- सावन को आने दो (1979)
.. # वर्ल्ड के हर बड़े देश में वे बहुत पहले से जाते आए हैं. विदेशी भाषाओं में गाते आए हैं. जैसे 1968 में सोवियत सरकार ने उन्हें बुलाया था. वहां उन्होंने कज़ाक रेडियो पर रूसी भाषा में गीत गाया था. फिर येसुदास ने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल और सिडनी के ओपेरा हाउस में भी परफॉर्म किया.8. श्याम रंग रंगा रे- अपने पराये (1980)
.. # फिल्मों और एल्बम्स के मिलाकर वे आज तक करीब 60,000 से ज्यादा गाने गा चुके हैं.9. कहां से आए बदरा- चश्म-ए-बद्दूर (1981)
.. # येसुदास ने अमिताभ बच्चन, एनटी रामाराव, एम.जी. रामचंद्रन, अमोल पालेकर, संजीव कुमार, रजनीकांत, कमल हसन, मोहनलाल, ममूटी से लेकर फिल्म उद्योग के ज्यादातर दिग्गजों पर फिल्माए गाने गाए हैं.10. चांद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा- सावन को आने दो (1979)
.. # जब 1965 में चीन ने भारत पर हमला किया तो युद्ध के दौरान सहायता कार्यों के लिए उन्होंने गाकर पैसे जुटाए. 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान येसुदास खुले ट्रक में केरल घूम रहे थे और धन जुटा रहे थे. उन्होंने बड़ी रकम प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को सौंपी. 2004 में सुनामी त्रासदी हुई तो भी येसुदास ने सभी धर्मों के लोगों से जुड़ने का अनुरोध किया और आयोजन रखा.11. जब दीप जले आना- चितचोर (1976)
.. # समाज और कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए येसुदास को पद्म श्री (1975) और पद्म भूषण (2002) से अलंकृत किया गया. पिछले साल, 2017 में उन्हें भारत के दूसरे सबसे ऊंचे नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाज़ा गया.12. ज़िद ना करो अब तो रुको- लहू के दो रंग (1979)
.. # येसुदास ने 1962 से मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ फिल्मों में गाना शुरू किया. सत्तर के दशक में उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में गाना शुरू किया.13. ओ भंवरे- दौड़ (1997)
.. # शांति और मानवता के लिए वे काम करते रहते हैं. 1999 में यूनेस्को ने उन्हें इसके लिए सम्मानित किया था. वे भारत भर में शांति प्रसार के लिए कॉन्सर्ट करते रहते हैं.14. मधुबन खुशबू देता है- साजन बिना सुहागन (1978)
.. # येसुदास ईसाई हैं लेकिन अपने जन्मदिन पर कर्नाटक के कोल्लूर में मूकाम्बिका मंदिर में जाकर सरस्वती माता के कीर्तन गाते हैं.15. माता सरस्वती शारदा- आलाप (1972)
.. # 2006 में एक ही दिन में उन्होंने चेन्नई के एक स्टूडियो में चार दक्षिण भारतीय भाषाओं के 16 गाने रिकॉर्ड किए थे.16. धीरे धीरे सुबह हुई- हैसियत (1984)
.. # येसुदास 1976 में आई फिल्म 'चितचोर' के गानों से बड़ा प्रसिद्ध हुए थे. इसमें म्यूजिक रविंद्र जैन का था. रविंद्र को उनकी गायकी इतनी खूबसूरत लगती थी कि एक बार उन्होंने कहा कि कभी अगर उनकी आंखों की रोशनी लौटती है तो सबसे पहले वे जिस इंसान को देखना चाहेंगे वो होंगे येसुदास.17. तेरी तस्वीर को सीने से लगा रखा है- सावन को आने दो (1979)
.. # उन्होंने सलिल चौधरी, बप्पी लाहिरी, ख़य्याम और रहमान जैसे कंपोजर्स के लिए भी गीत गाए हैं. बप्पी दा ने एक बार येसुदास के लिए कहा था कि "उनकी आवाज को ईश्वर ने छू रखा है. काश हिंदी फिल्मों में आज के कंपोज़र उनकी अहमियत समझें और उनसे अपनी फिल्मों में गवाएं."18. निन्ने निन्ने- रक्षाकुडु (तेलुगु, 1997)
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