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अखिलेश यादव अपने जीवन का पहला विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं? जानिए कहां से लड़ेंगे

जिस सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है, उसके समीकरण कैसे हैं?

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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव कोरोना पाॅजिटिव पाए गए हैं.        (फ़ोटो क्रेडिट : इंडिया टुडे)
अखिलेश यादव ने आजमगढ़ के गोपालपुर से चुनाव लड़ने का फैसला किया है (फ़ोटो क्रेडिट : इंडिया टुडे)
19 जनवरी 2022 (Updated: 20 जनवरी 2022, 12:44 IST)
Updated: 20 जनवरी 2022 12:44 IST
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समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly elections) लड़ने जा रहे हैं. अभी ये साफ नहीं है कि वे कहां से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव आजमगढ़ की गोपालपुर, संभल की गुन्नौर, कन्नौज की छिबरामऊ या मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. फिलहाल अखिलेश आजमगढ़ जिले से सांसद हैं. गोपालपुर से लड़ने की संभावना ज्यादा क्यों? सूत्रों के मुताबिक अखिलेश के आजमगढ़ जिले की गोपालपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की ज्यादा संभावना है. यह सपा की मजबूत सीट है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. अगर गोपालपुर के बीते पांच विधानसभा चुनावों के परिणामों पर नजर डालें, तो यहां से चार बार सपा और एक बार बसपा ने जीत हासिल की है. सपा की इस सीट पर मजबूती की वजह यहां का मजबूत मुस्लिम-यादव फैक्टर है. बताते हैं कि अखिलेश यादव इस वजह से गोपालपुर को तरजीह दे सकते हैं.
गोपालपुर को तरजीह देने की दूसरी वजह यह बताई जा रही है कि आजमगढ़ जिले में कुल 10 विधानसभा सीटें हैं, और अगर अखिलेश यादव जिले की किसी सीट से मैदान में उतरते हैं तो सपा को इसका लाभ जिले की अन्य 9 सीटों पर भी मिलेगा. इसके अलावा पूर्वांचल की गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ मैदान में हैं, सपा नेताओं का मानना है कि योगी को अयोध्या छोड़कर गोरखपुर से इसलिए उतारा गया है क्योंकि पूर्वांचल में भाजपा कोई खतरा नहीं उठाना चाहती और साथ ही वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की नाराजगी के चलते होने वाले नुकसान की भरपाई पूर्वांचल से करना चाहती है. कुल मिलाकर इस बार BJP का सबसे ज्यादा जोर पूर्वांचल पर ही है. BJP की इस रणनीति के चलते भी अखिलेश यादव के गोपालपुर से उतरने की संभावना ज्यादा है. गोपालपुर सीट का राजनीतिक इतिहास आजमगढ़ की गोपालपुर सीट पर 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से नफीस अहमद ने जीत हासिल की थी. तब नफीस अहमद ने भारतीय जनता पार्टी के श्रीकृष्ण पाल को 14,960 वोटों के मार्जिन से हराया था. इस चुनाव में नफीस को 70,980 और श्रीकृष्ण पाल को 56,020 वोट मिले थे. इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के वसीम अहमद ने 77,697 वोट हासिल किए थे और बसपा के दूसरे नंबर पर रहे कमला प्रसाद यादव को 47,563 वोट मिले थे. इस चुनाव में BJP के योगेंद्र यादव 11,078 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. 2007 के विधानसभा चुनाव में गोपालपुर से बसपा के श्याम नारायण ने सपा के वसीम अहमद को 1464 वोटों से हराया था. इससे पहले 1996 और 2002 के विधानसभा चुनाव में यहां सपा ने जीत का परचम लहराया था.
Gopalpur
आजमगढ़ की गोपालपुर सीट के पिछले नतीजे (फोटो: election.in)
वोटों का समीकरण गोपालपुर सीट पर करीब साढ़े 3 लाख मतदाता हैं. इसमें करीब दो लाख पुरुष मतदाता और डेढ़ लाख महिला मतदाता हैं. क्षेत्र में सबसे ज्यादा यादव हैं, उसके बाद दलित बिरादरी के मतदाताओं की संख्या है. आंकड़ों के मुताबिक गोपालपुर विधानसभा में यादव मतदाता करीब 68 हजार और दलित मतदाता लगभग 53 हजार हैं. इसके बाद तीसरे नंबर पर मुस्लिम मतदाता आते हैं जिनकी संख्या तकरीबन 42 हजार है. बतौर प्रत्याशी अखिलेश यादव का पहला विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी उतर रहे हैं. वे पहली बार साल 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद अखिलेश यादव ने साल 2004 में कन्नौज लोकसभा सीट से जीत हासिल की. साल 2009 में उन्होंने कन्नौज और फ़िरोज़ाबाद दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा. वो दोनों जगह से जीते. बाद में फ़िरोज़ाबाद की सीट छोड़ दी. 2012 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने 403 सीटों में से 224 सीटों पर जीत हासिल की. लेकिन, इस चुनाव में वे प्रत्याशी नहीं थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद वे विधान परिषद के सदस्य बने. यादव कुनबे में उनसे पहले मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव और मुलायम के छोटे बेटे की पत्नी अपर्णा यादव विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं.
मुलायम सिंह यादव रहे अलग-अलग सीटों से विधायक अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव कई बार सूबे की अलग-अलग सीटों से विधायक रहे. वे 1967 में पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद 1974 में दोबारा जसवंत नगर से भारतीय क्रांति दल के टिकट पर जीते. इसके बाद साल 1977, 1985, 1989, 1991 और 1993 में वे जसवंत नगर से विधानसभा गए. मुलायम सिंह ने 1993 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की तीन सीटों जसवंत नगर (इटावा), शिकोहाबाद (फिरोजाबाद) और निधौली कलां (एटा) से चुनाव लड़ा और तीनों सीटों पर जीत गए. सपा के पूर्व मुखिया ने इसके बाद 1996 में सहसवान निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा और फिर जीत गए. साल 2003 में मुलायम सिंह यादव यूपी में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. तो उस वक्त वह मैनपुरी से सांसद थे. सत्ता संभालने के बाद मुलायम ने जिस सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया वह थी गुन्नौर. तब गुन्नौर के विधायक थे जदयू के अजित कुमार यादव राजू. राजू 2002 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से जीते थे. अजित कुमार ने मुलायम के लिए यह सीट छोड़ने का फैसला किया. एकतरफा लड़ाई में मुलायम ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की. इसके बाद 2007 में मुलायम सिंह यादव गुन्नौर और भर्थना दो सीटों से चुनावी मैदान में उतरे और जीते. वे 1982 से 1985 तक यूपी विधान परिषद के भी सदस्य रहे. शिवपाल सिंह यादव 5 बार विधायक बने अखिलेश यादव के चाचा  शिवपाल सिंह यादव अब तक कुल 5 बार विधानसभा जा चुके हैं. 1993 का चुनाव लड़ने के बाद मुलायम सिंह यादव ने इटावा की जसवंत नगर की सीट उनके लिए छोड़ दी. इसके बाद 1996 में पहली बार शिवपाल सपा के टिकट पर यहां से विधायक बने. इसके बाद उन्होंने 2002, 2007, 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव भी इसी सीट से लड़ा और जीता. शिवपाल ने जसवंत नगर से 2017 का चुनाव सपा से अलग होकर लड़ा था. मुलायम सिंह के समधी भी रहे विधायक मुलायम कुनबे से मुलायम और शिवपाल यादव के अलावा हरिओम यादव भी विधायक रहे. मुलायम के समधी 3 बार विधानसभा पहुंचे. उन्होंने सपा के टिकट पर 2002, 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव जीता था. हालांकि, पिछले दिनों हरिओम यादव ने BJP का दामन थाम लिया.
अपडेट: सपा मुखिया अखिलेश यादव के गोपालपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ने की चर्चा थी, सूत्रों से जानकारी मिली थी कि वे इस सीट से मैदान में उतर सकते हैं. लेकिन गुरुवार 20 जनवरी को समाजवादी पार्टी ने जानकारी दी कि अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे.

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