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सारण सीट की पूरी कहानी, जहां लालू यादव की विरासत को आगे बढ़ाएंगी बेटी रोहिणी आचार्य!

Lok Sabha Election 2024: बिहार की 40 लोकसभा सीटों में सारण को एक हॉट सीट के तौर पर देखा जा रहा है. इस सीट से राजीव प्रताप रूडी सांसद हैं, जबकि RJD से इस बार Lalu Yadav की बेटी Rohini Acharya को टिकट मिला है. इस बार जनता किसका साथ देगी?

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रोहिणी आचार्य को सारण सीट से राजद का उम्मीदवार बनाया गया है (X/RohiniAcharya2)
3 अप्रैल 2024
Updated: 3 अप्रैल 2024 14:31 IST
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“सिंगापुर से ही हम सबके नाक में दम किए हुए थे... अब सारण की धरती पर आ गए हैं तो जनता हमारा साथ देगी”… ये बयान है लालू प्रसाद यादव के परिवार की एक सदस्य का, जो दिसंबर 2022 में काफी चर्चा में आई थीं. दरअसल, साल 2022 में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की तबीयत काफी बिगड़ गई थी. सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल के डॉक्टर्स की तरफ से उनको किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई थी. और उन्हें किडनी दी उनके नौ बच्चों में से एक ने. नाम है रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya). 

रोहिणी आचार्य अब तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) और बहन मीसा भारती (Misa Bharti) के साथ मिलकर माता-पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाने जा रही हैं. बिहार की हाई प्रोफाइल मानी जाने वाली सारण लोकसभा सीट (Saran Lok Sabha) से. वही, सीट जहां से लालू प्रसाद यादव का पॉलिटिकल करियर शुरू हुआ था. और ये इलाका काफी हद तक राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का गढ़ रहा. साल 1996 तक. जब राजीव प्रताप रूडी (Rajiv Pratap Rudy) ने RJD के गढ़ में BJP के टिकट पर जीत हासिल की थी. 

राजीव प्रताप रूडी ही यहां से मौजूदा सांसद हैं और चार बार चुनाव जीतकर लालू प्रसाद यादव की बराबरी कर चुके हैं. रूडी साल 2014 में इस सीट से राबड़ी देवी, जबकि साल 2019 में लालू यादव के समधी चंद्रिका राय के खिलाफ जीत हासिल कर चुके हैं. लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बार ये चर्चा हो रही है कि रोहिणी आचार्य के आने से इस बार रूडी के लिए राह आसान नहीं रहने वाली है. अब रोहिणी आचार्य ने किस तरह से राजीव प्रताप रूडी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं और उनकी राजनीति में अचानक एंट्री कैसे हुई, सब विस्तार से जानते हैं.

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सारण सीट का इतिहास

सारण सीट और छपरा सीट में अक्सर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं. इसको लेकर बता दें कि सारण सीट को पहले छपरा लोकसभा क्षेत्र के नाम से ही जाना जाता था. लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद सीट का नाम बदलकर सारण कर दिया गया. इतिहास टटोलने पर पता चला कि सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था साल 1957 में. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राजेंद्र सिंह ने इस चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद अगले तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के रामशेखर प्रसाद सिंह को इस सीट से जीत मिली. फिर आया इमरजेंसी का दौर. 

इमरजेंसी के बाद साल 1977 में चुनाव हुए. जिसमें लालू प्रसाद यादव ने जनता पार्टी की टिकट पर जीत हासिल की. पहली बार सांसद बने. इसके बाद 1989,  2004 और 2009 में भी लालू यादव यहां सांसद रहे. साल 2013 में चारा घोटाले में सजा होने के चलते उनकी संसद सदस्यता चली गई. और इसके बाद से उनके चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग गई. यानी लालू यादव ने अपना पहला और आखिरी लोकसभा चुनाव इसी सीट से लड़ा और उसे जीता भी. जबकि 2014 और 2019 में राजीव प्रताप रूडी इस सीट से जीते. 

सारण का वोट गणित

अब बात वोटों के गणित की कर लेते हैं. चाणक्या की वेबसाइट के मुताबिक, साल 2020 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 17,23,733 मतदाता थे. यादव समाज के मतदाताओं की संख्या इस सीट पर लगभग 20 फीसदी है, जबकि मुस्लिम वोटर्स की संख्या लगभग 9.5 फीसदी है. वहीं, 12 फीसदी SC वोटर भी इस सीट पर हैं. इसके अलावा राजपूत, वैश्य और भूमिहार जाति के लोग भी इस सीट पर ठीक-ठाक संख्या में मौजूद हैं. 

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रोहिणी आचार्य कौन हैं?

ये तो हो गया इस सीट का लेखा-जोखा. अब वापस लौटते हैं रोहिणी आचार्य पर, जिनकी उम्मीदवारी से सारण बिहार की राजनीति की एक हॉट सीट बन चुकी है. रोहिणी आचार्य का जन्म 1 जून 1979 को पटना में हुआ. वो लालू यादव-राबड़ी देवी की नौ बच्चों में दूसरे नंबर की संतान हैं. मीसा भारती से छोटी और तेजस्वी-तेजप्रताप से बड़ी. रोहिणी ने जमशेदपुर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई की. हालांकि, कभी डॉक्टरी की प्रैक्टिस नहीं की है. ऐसा कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है.  24 मई 2002 को रोहिणी की शादी हुई समरेश सिंह से. जो सिंगापुर में IT सेक्टर में नौकरी करते हैं और रोहिणी भी उनके साथ सिंगापुर में ही रहती हैं. उनका और उनके परिवार का राजनीति से कोई ताल्लुक नहीं रहा है. अब सवाल आता है कि अचानक से रोहिणी की बिहार की राजनीति में एंट्री की वजह क्या है?

रोहिणी के X पोस्ट से मची थी हलचल

तो इसका सीधा सा जवाब है कि वो कभी भी बिहार की राजनीति से दूर थी ही नहीं. रोहिणी सिंगापुर में रहते हुए भी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं. वो अक्सर ही अपने परिवार को डिफेंड और विपक्षी पार्टियों पर हमला करती रहती हैं. वैसे तो उनके कई X पोस्ट् काफी चर्चा में आए हैं, जिनको एक-एक कर बताना संभव नहीं है. लेकिन हम 25 जनवरी 2024 को उनकी तरफ से किए गए तीन X पोस्ट के बारे में आपको जरूर बताना चाहेंगे, जिसने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी थी. पहले वो तीनों पोस्ट देख लीजिए,

पहला पोस्ट

“समाजवादी पुरोधा होने का वादा वही करता है. हवाओं की तरह जिनकी विचारधारा बदलती है.”

दूसरा पोस्ट 

“खीज जताए क्या होगा? जब कोई अपने योग्य न हुआ. विधि का विधान कौन टाले? जब खुद की नीयत में ही खोट है.”

तीसरा पोस्ट

“अक्सर कुछ लोग अपनी कमियां नहीं देख पाते हैं, लेकिन किसी दूसरे पे कीचड़ उछालने को लेकर बदतमीजियां करते रहते हैं.”
 

रोहिणी ने ये तीनों पोस्ट कुछ देर बाद ही डिलीट कर दिए. लेकिन तब तक बिहार की राजनीति में कयासों का दौर अपनी चरम सीमा तक पहुंच गया था. रोहिणी ने हालांकि किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन लोगों को समझने में जरा भी देर नहीं लगी कि इस X पोस्ट के जरिए उनका इशारा किसकी तरफ था. हां, वो नीतीश कुमार ही थे. रोहिणी की इस पोस्ट से साफ हो गया कि नीतीश कुमार फिर से अपना पाला बदलने वाले हैं. और इस पोस्ट के महज 4 दिन बाद नीतीश कुमार पाला बदलकर NDA में आ गए.

रूडी को दे सकती हैं कड़ी टक्कर

राजनीति के जानकारों की मानें तो रोहिणी आचार्य सारण सीट पर मौजूदा सांसद राजीव प्रताप रूडी को ना केवल टक्कर दे सकती हैं, बल्कि उन्हें हराने का भी माद्दा रखती हैं. बिहार की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले इंडिया टुडे से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार सुजीत झा बताते हैं,

“रोहिणी को लेकर क्षेत्र के लोगों में काफी उत्साह है. रोहिणी युवा हैं और पढ़ी लिखी भी हैं. तो उनको लेकर युवा वर्ग में भी काफी उत्साह है. पिता लालू यादव का बनाया हुआ वोटबैंक इनके पास है ही. ऊपर से जातीय समीकरण भी रोहिणी के साथ हैं. इन सब के बीच सबसे बड़ी बात जो रोहिणी के पक्ष में जाती है वो है, लालू यादव को किडनी देने के बाद उनके प्रति लोगों की सहानुभूति. अगर वो चुनाव जीत जाती हैं तो इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए.”

पिछले चुनाव में क्या हुआ था?

बात पिछले चुनाव की करें तो 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राजीव प्रताप रूडी के खिलाफ RJD ने चंद्रिका राय को टिकट दिया. जो लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के ससुर हैं. हालांकि, RJD का ये दांव सफल नहीं हुआ और रूडी ने उन्हें  1,38,429 मतों से हरा दिया. रूडी को 4.99,342 वोट मिले जबकि चंद्रिका राय को 360,913 मत मिले. अब देखना होगा कि रोहिणी कोई कमाल दिखा पाती हैं या रूडी जीत की हैट्रिक लगाते हैं.

वीडियो: लालू यादव ED के दफ्तर पहुंचने पर बेटी भड़क कर क्या बोलीं?

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