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इस सीट पर छत्रपति शिवाजी के वंशज लड़ रहे हैं कांग्रेस के टिकट पर चुनाव, जीत पाएंगे?

कांग्रेस बीते 25 सालों में यहां चुनाव नहीं जीती है. मगर छत्रपति शिवाजी की महिमा और कांग्रेस प्रत्याशी की छवि से इस बार पार्टी की उम्मीद है.

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कोल्हापुर में तीसरे चरण, 7 मई को मतदान हैं. (फ़ोटो - सोशल)
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लल्लनटॉप
3 मई 2024 (Updated: 3 मई 2024, 08:24 PM IST)
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“साल का अधिकतर समय यहां का मौसम सुखद रहता है. यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है. लेकिन अप्रैल और मई के गर्मियों के महीनों में यात्रा से बचें, जब तापमान बढ़ रहा होता है.” – ये वाक्य महाराष्ट्र सरकार के कोल्हापुर जिले की वेबसाइट पर लिखा है, जो 2024 में कोल्हापुर लोकसभा के राजनीतिक तापमान पर बिलकुल सटीक बैठता है.

कोल्हापुर. छत्रपति शिवाजी की कर्मभूमि. मराठा साम्राज्य की शक्ति का गढ़. आज फिर सुर्खियों में है. वजह, फिर से शिवाजी. उनकी वंशावली के शाहू महाराज छत्रपति. कांग्रेस ने उन्हें कोल्हापुर लोकसभा से उम्मीदवार बनाया है. 

शिवाजी के वंशज के सामने कौन?

आज की तारीख में कोल्हापुर के सांसद हैं, संजय मांडलिक. साल 2019 में शिवसेना के टिकट पर चुनाव जीते थे. तब शिवसेना, NDA गठबंधन का हिस्सा थी. इस बार भी मांडलिक शिवसेना से ही चुनाव लड़ रहे हैं. एकनाथ शिंदे गुट से. मगर इस बार चुनौती बड़ी है, क्यूंकि कांग्रेस (INDIA) ने  टिकट दिया है, कोल्हापुर राजघराने के शाहू छत्रपति महाराज को. उनके पास शिवसेना के उद्धव गुट, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट का समर्थन भी है. AIMIM ने भी शाहू महाराज को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. कांग्रेस को उम्मीद है कि इस दाव से उनका 25 साल पुराना सूखा खत्म हो सकता है.

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कांग्रेस ने अपनी इस उम्मीद में बेटे के ऊपर पिता को तरजीह दी. दरअसल, कांग्रेस से वर्तमान प्रत्याशी शाहू महाराज के बेटे शम्भाजी राजे छत्रपति 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. NCP के टिकट से लड़े थे, मगर हार गए थे. इस बार भी उनके नाम की चर्चा हो रही थी. लेकिन कांग्रेस ने शाहू महाराज पर ही दांव खेला. 

दी लल्लनटॉप के निखिल वाठ और प्रशांत इस वक्त महाराष्ट्र में हैं. उनके अनुसार, कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. पार्टी कोल्हापुर में पिछले 25 सालों से चुनाव नहीं जीती है. साथ ही शाहू महाराज छत्रपति की छवि कोल्हापुर की आम जनता के बीच काफी अच्छी है. बीते साल जब इलाके में हिन्दू-मुस्लिम दंगे जैसी स्थिति हो गई थी, उस समय शाहू महाराज ने सामाजिक सौहार्द बनाये रखने में भूमिका निभाई थी.

चुनाव जीत कौन रहा है?

शाहू महाराज की दावेदारी बीजेपी के लिए गले की फांस बनती नजर आ रही है. शाहू महाराज छत्रपति शिवाजी के वंशज हैं, फिर उनकी छवि भी साफ-सुथरी है. इसलिए भाजपा उनपर सीधे हमला करने से बच रही है. भाजपा एक बार जल भी चुकी है. दरअसल, NDA प्रत्याशी संजय मांडलिक ने शाहू जी पर एक टिप्पणी की थी. कह दिया था कि शिवाजी पर शाहू महाराज का एकाधिकार नहीं है. उनकी इस टिप्पणी से बहुत विवाद हुआ. नतीजा ये कि 27 अप्रैल को कोल्हापुर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली थी. प्रधानमंत्री कांग्रेस पर लगातार हमलावर थे, मगर उन्होंने एक बार भी शाहू महाराज पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमला नहीं किया. 

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1952 के पहले चुनाव से कांग्रेस 9 बार इस सीट से जीत चुकी है, लेकिन 1998 के बाद कभी नहीं जीती. ऐसे में 2024 का चुनाव काफी रोचक हो जाता है. देखने लायक होगा कि जिस धरती के कण-कण में ‘शिवाजी महाराज’ बसे हैं, वहां से कांग्रेस अपना रिकॉर्ड ठीक कर पाएगी या नहीं.

 ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे नवनीत ने लिखी है. 

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