यूपी में नेता जी की आठ बेटियों पर रहेगा फोकस
यूपी इलेक्शन में दिलचस्पी है तो इसे जरूर पढ़ लीजिए
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फोटो - thelallantop
कभी किसी कार के पीछे विधायक पुत्री का स्टिकर लगा नहीं देखा. लेकिन गुरु यूपी जमीन के उस टुकड़े का नाम है, जहां सड़क पार करते ही कंटाप, 'हुमक के मारब' में बदल जाता है. हां तो यूपी की 'सियासी योद्धाओं' का स्वागत कीजिए.
यूपी में चुनावी नैया रानी बिटिया पार लगाएंगी!
अगले बरस विधानसभा चुनाव हैं. यूपी में किसकी जय होगी? उत्तर प्रदेश के इस सवाल का उत्तर खोजने वालों में इस बार भी कन्या पक्ष की दावेदारी प्रबल है. हां तो उस्ताद, यूपी के चुनावी मैदान में टॉप लीडर्स की बिटियाएं उतरेंगी. ये लड़कियां अपने लीडर मां-बाप की सियासी विरासत आगे ले जाएंगी. कुछ बेटियां ऐसी भी हैं, जो सालों से फुस्स पड़ी पार्टी में जान फूंकने का काम करेंगी.अब आलोचक इसे परिवारवाद कहकर खारिज करना चाहें तो बेशक करें. लेकिन ये लड़कियां मैदान में आने, छाने के लिए तैयार हैं. इनमें कुछ ऐसी बेटियां हैं जिनका पॉलिटिक्स में न्यू पिंच होगा. कुछ ऐसी भी हैं जो सालों से यूपी देख समझ रही हैं, इस बार अपनी पार्टी के रिनोवेशन के साथ राजनीति में चमकने के लिए आ रही हैं.
आगे जानिए ऐसी ही 8 रानी बिटियाओं की कहानी....
1. अदिति सिंह अखिलेश की बिटिया अखिलेश के खिलाफ. कांग्रेस का गढ़ रायबरेली. जहां कांग्रेस को कोई जल्दी हिला नहीं पाया. वहां एक बंदे पर कांग्रेस की एक न चल पाई, बंदा है पूर्व कांग्रेसी और फिलहाल रायबरेली से निर्दलीय विधायक अखिलेश सिंह. पांच बार से विधायक. पहली तीन बार हाथ के पंजे के सिंबल पर और फिर दो बार निर्दलीय.इन अखिलेश की बिटिया अदिति सिंह को प्रियंका गांधी ने रायबरेली के लिए चुना है. कुछ रोज पहले प्रियंका गांधी के साथ अदिति की तस्वीर सामने आई. बाद में अदिति कांग्रेस में शामिल हो गईं. अब जहां से अदिति के पापा लड़े, वहां से बिटिया अदिति लड़ेंगी कांग्रेस की टिकट पर.

किशोरी लाल शर्मा, अदिति सिंह, प्रियंका गांधी और दिव्यांशी (बाएं से दाएं)
कांग्रेस से कोई बैर नहीं है, कांग्रेस हमारे DNA में है: अदिति सिंहकांग्रेस ने एक तीर से दो शिकार किए. पहला ये कि रायबरेली में निर्दलीय अखिलेश से सीट कांग्रेस के पाले में लाना. दूजा ये कि अदिति के संग आने से रायबरेली में अखिलेश सिंह को मिलने वाले सपोर्ट को अपने लिए इस्तेमाल करना. वैसे भी अखिलेश इस बार अपनी सीट बिटिया को देने का ऐलान कर चुके थे. ऐसे में रायबरेली में कांग्रेस के ज्यादातर फैसले लाने वाली प्रियंका गांधी ने 28 साल की मैनेजमेंट ग्रेजुएट अदिति को लपक लिया. बता दें कि अखिलेश सिंह रायबरेली सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं. इसी रौले का फायदा उठाते हुए कांग्रेस का हाथ, 2017 में अदिति सिंह के साथ.

अदिति सिंह, गुलाम नबी आजाद
2. संघमित्रा मौर्य ये स्वामी प्रसाद मौर्य की बिटिया हैं. मौर्य 4 बार विधायक रहे. कई घाट का पानी पी चुके हैं. पहला बसपा में थे. इनकी एक्स बॉस मायावती की मानें तो ये बसपा के रिजेक्टेड माल हैं. लेकिन राजनीति में गड़े मुर्दे तक उखाड़ लिए जाते हैं, मौर्य तो कुशीनगर की पडरौना सीट से विधायक और अब अमित शाह के हाथों पहनाई गेंदे के फूलों वाली माला के बाद भाजपाई हैं. लेकिन ये स्वामी प्रसाद नहीं, उनकी डॉक्टर बिटिया संघमित्रा मौर्य की कहानी है.

पापा का बसपा में दम घुटने लगा था, प्रदेश को अपशगुन से बचाने के लिए मायावती को त्यागना होगा: संघमित्राजैसे कोई बड़ा बॉस कहीं जाता है, तो साथ में अपने चेले-चपेटों को साथ ले जाता है. ये बात पॉलिटिक्स में भी फॉलो होती है. खबर है कि स्वामी प्रसाद अपनी बिटिया संघमित्रा को चुनावी मैदान में लाएंगे. क्योंकि बिटिया संघमित्रा का पॉलिटिक्ल कनेक्शन भी तनिक पुराना है. संघमित्रा 2012 में कासगंज से बसपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ीं, हारीं. इन चुनावों में मौर्य के सुपुत्र उत्कृष्ट भी ऊंचाहार से लड़े, हारे. संघमित्रा मैनपुरी से 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ीं. सामने मुलायम थे, लिहाजा नतीजे कठोर रहे. अभी चूंकि उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन कहा जा रहा है कि संघमित्रा भी बीजेपी संग आकर मैदान में उतरेंगी.
3. आराधना मिश्रा तिवारी प्रमोद तिवारी की बिटिया हैं. प्रमोद तिवारी यानी पुराने कांग्रेसी. प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास सीट से 9 बार विधायक रहे. 1980 से 2012 तक प्रमोद तिवारी विधायक बने रहे. इसी बात को लेकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. फिर 2014 में तिवारी राज्यसभा भेज दिए गए. सीट संभालने के लिए दे गए अपनी बिटिया आराधना मिश्रा उर्फ मोना को. उपचुनाव हुए तो आराधना 67 हजार वोटों से जीतकर विधानसभा पहुंची.

रामपुर खास सीट को यूपी की आदर्श विधानसभा सीट बनाना मेरे संकल्प है: आराधना मिश्राजब आराधना विधायक नहीं बनी थीं, तब भी पॉलिटिक्स में सक्रिय थीं. पापा के चुनावी कैंपेन संभालती थीं. प्रमोद के राज्यसभा जाने के बाद भी इलाके के लोगों के बीच आराधना पापा की तरह ही लोकप्रिय बनी हुई हैं. इन चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर फिर चुनाव लड़ेंगी. फिलहाल के जो हालात हैं, उस लिहाज से कहा जाए तो जीतने का रिकॉर्ड टूटता नहीं दिख रहा है.

4. अनुप्रिया पटेल सोने लाल और कृष्णा पटेल की बिटिया. फिलहाल केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री हैं. 2014 में मिर्जापुर सीट से जीतकर लोकसभा पहुंची थीं. पहले वाराणसी के रोहनिया सीट से विधानसभा पहुंची थीं. मां कृष्णा की बिटिया अनुप्रिया से नहीं पटती या वो बीते साल अपना दल से निकाल दी गई हैं. फिर कैबिनेट विस्तार हुआ तो अपना दल बीजेपी का साथ छोड़ चला. अब बात की जा रही है कि चूंकि यूपी के कुर्मियों (करीब 8 से 9 फीसदी वोटर्स) को बीजेपी को लुभाना है, इसलिए पार्टी अनुप्रिया का यूपी चुनाव में भरपूर सियासी फायदा पार्टी ले सकती है.

2017 में यूपी में जातीय समीकरणों के आधार पर तय होंगे उम्मीदवार: अनुप्रियाफिलहाल अनुप्रिया अभी किसी पार्टी की नहीं हैं, लेकिन केंद्र में मंत्री और लोकसभा सांसद हैं. ऐसे में खबर है कि अमित शाह अनुप्रिया को बीजेपी के साथ लाकर यूपी चुनावों में उतार सकते हैं. कानपुर में पैदा हुईं अनुप्रिया लेडी श्रीराम कॉलेज, अमिटी यूनिवर्सिटी और कानपुर से सायकेलॉजी और एमबीए की पढ़ाई कर चुकी हैं. अनुप्रिया के यूपी में आने के चांसेस इसलिए भी ज्यादा हैं, क्योंकि अनुप्रिया के कुछ बयान यूपी पॉलिटिक्स पर आ रहे हैं.

कृष्णा पटेल के साथ अनुप्रिया पटेल
5. नीलिमा कटियार बीजेपी लीडर और यूपी की कई बार कैबिनेट मिनिस्टर रही प्रेमलता कटियार की बिटिया हैं. प्रेमलता कानपुर की कल्याणपुर सीट से विधायक रहीं, 1991 से 2007 तक लगातार बीजेपी की टिकट पर. 2012 में समाजवादी पार्टी के सतीश कुमार निगम से करीब 1700 वोटों से हारीं. ये बात हुई मां प्रेमलता की. अब बात बिटिया नीलिमा की. यूपी 2017 विधानसभा चुनाव में नीलिमा कटियार का रोल बढ़ सकता है.

नीलिमा फिलहाल भारतीय जनता युवा मोर्चा में एक्टिव हैं. युवा हैं. कुर्मी भी हैं. ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी नीलिमा को आगे रख सकती है. नीलिमा कटियार अब तक पार्टी के छोटे कामों में लगी हुई हैं. बीच में उनको महामंत्री बनाए जाने की भी बात भी उठी थी. नीलिमा प्रचार और युवाओं को साथ लेकर चलने और ट्विटर, फेसबुक पर भी एक्टिव हैं. पुराने वोटर्स का साथ प्रेमलता को 2012 में नहीं मिल पाया था. हालांकि वोटों का फर्क कम ही रहा, लेकिन बीजेपी इस बार कम रिस्क लेने के मूड में है. ऐसे में संभव है कि नीलिमा को बीजेपी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. खबर ये भी है कि प्रेमलता को मिलने वाला टिकट बिटिया नीलिमा को दिया जा सकता है. युवाओं की वैसे भी इस बारी तगड़ी पूछ है.

6. राजकुमारी रत्ना सिंह यूपी में कांग्रेस के बड़े नेता राजा दिनेश सिंह की बिटिया. कई बार सांसद रहे. दो बार 1969-70 और 1993-95 विदेश मंत्री भी रहे. दिनेश सिंह की छठी बिटिया रत्ना सिंह. तीन बार सांसद रहीं. 2014 में अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह से हार गईं. ये समझिए कि प्रताप गढ़ की पूरी पॉलिटिक्स रत्ना सिंह के इर्द-गिर्द घूमती है. दोनों ही शाही घरानों से बिलॉन्ग करते हैं.

राजकुमारी रत्ना सिंह
रत्ना 2014 में बुरी तरह से हारीं. लेकिन वो लोकसभा चुनाव थे. अब विधानसभा चुनाव हैं. अब चूंकि इस इलाके में फिलहाल राजा भैया का जोर है और कांग्रेस के पास रत्ना सिंह के अलावा कोई दूजा ऑप्शन नहीं है. ऐसे में कांग्रेस रत्ना सिंह का इन चुनावों में इस्तेमाल कर सकती है. हालांकि रत्ना सिंह अपनी संपत्ति बढ़ने और क्रिमिनल्स केसों को लेकर विवादों में रही हैं. रत्ना सिंह ने दिल्ली के जीसस मैरी कॉलेज से बी. कॉम की पढ़ाई की थी. विदेशों में घूमने को लेकर मोदी जी की तरह से लोकल इलाके में इनके चर्चे ठीहों पर रहते हैं.
7. प्रियंका गांधी यूपी में कांग्रेस का तुरुप का इक्का, प्रियंका गांधी. ऐसे वक्त में जब कांग्रेस ज्यादातर राज्यों में फिसड्डी साबित होती जा रही है. तब कांग्रेस के पास मारक उपाय प्रियंका गांधी ही हैं. यूपी में आए रोज लग रहे पोस्टर और पार्टी के टॉप लीडर्स के बयानों में प्रियंका गांधी दिखाई सुनाई पड़ रही हैं. प्रियंका गांधी पार्टी के प्रचार करेंगी, इसमें अब कोई शक नहीं रह गया है. लोकसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली में प्रचार के लिए प्रियंका हमेशा दिखाई पड़ती हैं.

फोटो क्रेडिट: reuters
बसपा और बीजेपी का ब्राह्मण वोट काटने के लिए सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित को बनाया जा चुका है. पार्टी अब बची कुची कसर प्रियंका गांधी को आगे रखकर पूरा कर देना चाहती है. अब जब सीएम उम्मीदवार के नाम का ऐलान हो गया है, ऐसे में प्रियंका के चुनाव लड़ने के मजबूत संकेत नजर नहीं आते हैं. लेकिन प्रियंका अगर प्रचार भी कसके कर दें तो ये बात कांग्रेस के लिए राहुल गांधी से ज्यादा काम कर जाएगी.
8. रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नंदन बहुगुणा की बिटिया. लखनऊ कैंट से विधायक. ब्राह्मण फैमिली से हैं. 2017 में अब तक कांग्रेस ब्राह्मण वोटर्स को आकर्षित करती ही नजर आई है. यूपी वैसे भी रीता का पॉलिटिक्ल एरिया रहा है. गरज के साथ बोलती हैं. लोगों से मिलती जुलती रहती हैं.

हिस्ट्री सब्जेक्ट से एमए और पीएचडी की पढ़ाई की है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसरी कर चुकी हैं. इलाहाबाद से 1995-2000 तक मेयर रह चुकी हैं. 2012 तक यूपी में कांग्रेस की प्रेसिडेंट भी थीं. दो बार लोकसभा चुनाव लड़ीं लेकिन जीती नहीं. 2009 में तत्कालीन सीएम मायावती के खिलाफ टिप्पणी की वजह से 14 दिन के लिए जेल भी गई थीं. इन्ही रीता के भाई विजय उत्तराखंड के सीएम रहे थे. बाद में रिजाइन कर दिए. बहरहाल, रीता का जो रौला यूपी में है, उसका इस्तेमाल यूपी विधानसभा चुनावों में होना तय है.
..क्योंकि जैसा कि शुरू में कहा था, यूपी में चुनावी नैया रानी बिटिया पार लगाएंगी!
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