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AAP की हार के बाद अवध ओझा बने मीम बाजार के राजा, 'फायरिंग' रुक नहीं रही!

AAP की हार हुई, लेकिन पार्टी ने मीम के बाजार में बाजी मार ली. लोगों ने केजरीवाल, आतिशी, मनीष सिसोदिया किसी को नहीं छोड़ा. पर एक शख्स ने इस सब को भी पीछे छोड़ दिया. वो आज मीम बाजार के ‘राजा’ हैं. यूजर्स ने लिखा, "राजा कभी अकेले चुनाव नहीं हारता, पूरी पार्टी को ले डूबता है."

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ओझा को भाजपा के रविंदर सिंह नेगी ने 28 हजार 72 वोटों से शिकस्त दी. (फोटो- PTI/X)
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प्रशांत सिंह
8 फ़रवरी 2025 (Updated: 8 फ़रवरी 2025, 09:12 PM IST) कॉमेंट्स
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अक्सर कहा जाता है कि भारत एक ‘चुनाव प्रधान देश’ है. हर दो चार महीने में कहीं ना कहीं कोई चुनाव चल रहा होता है. फिर चाहे प्रधानी का चुनाव हो, विधायकी का हो या सांसदी का. अब इस पर अलग-अलग राय हो सकती हैं. लेकिन इस राय पर सब एकमत होंगे कि भारत एक ‘मीम प्रधान’ देश जरूर है. चुनाव तो बीच-बीच में आते हैं. लेकिन मीम्स की सप्लाई 24x7 जारी रहती है. अब दिल्ली विधानसभा चुनाव ही ले लीजिए (Delhi Election Vote Counting). AAP की हार हुई, लेकिन पार्टी ने मीम के बाजार में बाजी मार ली. लोगों ने केजरीवाल, आतिशी, मनीष सिसोदिया किसी को नहीं छोड़ा. पर एक शख्स ने इस सब को भी पीछे छोड़ दिया. वो आज मीम बाजार के ‘राजा’ हैं.

‘राजा’ से तो समझ ही गए होंगे! वही राजा जो मंद-मंद मुस्काता है. कहता है कि लोग कितने भी मीम बनाएं, तुम मुस्कुराते रहो! राजा की तो यही क्वालिटी होती है ना साहब. नहीं समझे? थोड़ा और साफ कर देते हैं. ये UPSC की तैयारी करने वालों को IAS/IPS नहीं, राजा बनाने वाले वाले टीचर हैं. नहीं, विकास दिव्यकीर्ति सर नहीं. पटपड़गंज सीट से अपना पॉलिटिकल डेब्यू करने वाले AAP के उम्मीदवार अवध ओझा.

दिल्ली चुनाव में AAP की हार तो हुई, लेकिन सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं अवध ओझा ने. वो भी अपनी सीट न बचा पाए. अवध ओझा ने परिणाम आने के बाद मीडिया के सामने अपनी हार भी स्वीकार की. लेकिन तब तक तो बाजार में मीम्स की ऑक्सीजन गोते खा रही थी. एक सज्जन ने X पर ओझा सर की एक फोटो की. उसमें लिखा,

“जीत क्या जीत? हार में भी लोग आपकी बात करें ये होती है राजा मेंटेलिटी. आप हार रहे हो, लेकिन हर जगह आपकी चर्चा हो. ये होता है राजा का व्यक्तित्व.”

अवध ओझा UPSC एजुकेटर भी है. सो लोग उनकी पुरानी क्लिप्स ढूंढ लाए. एक यूजर ने उनका पुराना वीडियो पोस्ट कर लिखा,

“जीत कर तो राजा सब बनते हैं, हार कर भी राजा कहलाओ. ये होता है राजा वाला व्यक्तित्व.”

तूफान ओझा नाम के अकाउंट ने अवध ओझा की फोटो पोस्ट की, जिसमें लिखा था,

“राजधानी थी इसलिए जाने दिया, पूर्वांचल होता तो बूथ कब्जा लेते.”

मिमिक्री करने वाले भी काहे पीछे रहते. एक सज्जन ने वीडियो पोस्ट कर लिखा,

“अवध ओझा सर के चुनाव हारने पर उनके अंदाज में मजाकिया प्रतिक्रिया.”

हार स्वीकारना काफी हिम्मत का काम है. लेकिन मीम बनाने वाले किसी भी कंडीशन में मीम बना दी देते हैं. एक यूजर ने लिखा,

“साहब ये होता है राजा का व्यक्तित्व. माया मिली न राम, फिर भी मुंह लटकाए हुए हार स्वीकार कर लिए. ये लो धाएं-धाएं 12 राउंड फायर.”

अब चुनाव में सिर्फ ओझा सर ही नहीं हारे. पार्टी को भी हार मिली. X पर एक यूजर ने लिखा,

“राजा कभी अकेले चुनाव नहीं हारता, पूरी पार्टी को ले डूबता है.”

दूसरे नंबर पर रहे अवध ओझा

चुनावी डेब्यू कर रहे अवध ओझा ‘पार्टी को ले डूबे’, ये बोलना उनके साथ बेईमानी होगी. क्योंकि ऐसा नहीं है कि पटपड़गंज की जनता ने अवध ओझा को सिरे से नकारा हो. इस सीट पर वो दूसरे नंबर पर रहे. भाजपा के रविंदर सिंह नेगी ने उनको 28 हजार 72 वोटों से शिकस्त दी. नेगी को कुल 74 हजार 60 मिले. वहीं अवध ओझा को 45 हजार 988 वोट हासिल हुए.

वीडियो: अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और अवध ओझा समेत इन सीटों पर वोटिंग के दिन क्या हुआ?

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