Bihar Elections: सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस का नया फॉर्मूला तेजस्वी यादव की परेशानी बढ़ाने वाला है
Congress पार्टी पिछली बार हारी 51 सीटों में से 37 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार नहीं है. इन 37 में से 21 तो वैसी सीटें हैं, जिन पर 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में RJD और कांग्रेस समेत महागठबंधन के उम्मीदवार जीत नहीं पाए थे. वहीं 15 सीटें ऐसी हैं जिन पर साल 2015 में महागठबंधन के साथ लड़कर JDU ने जीत दर्ज की थी.

इंडिया गठबंधन (India alliance) में सीट बंटवारे का मामला उलझता जा रहा है. रालोजपा (RLJP), झामुमो (JMM) और वीआईपी (VIP) के लिए सीट छोड़ने की बात तो दूर RJD और कांग्रेस (Congress) के बीच ही घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस ने 2020 के सीट बंटवारे में मिली 70 सीटों के संतुलन पर सवाल खड़ा कर दिया है.
कांग्रेस पार्टी पिछली बार हारी 51 सीटों में से 37 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार नहीं है. इन 37 में से 21 तो वैसी सीटें हैं, जिन पर 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस समेत महागठबंधन के उम्मीदवार जीत नहीं पाए थे. वहीं 15 सीटें ऐसी हैं जिन पर साल 2015 में महागठबंधन के साथ लड़कर जदयू ने जीत दर्ज की थी. 2020 में ये सीटें कांग्रेस के खाते में गई और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. इन सीटों में फुलपरास, सुपौल, बिहारीगंज, सोनबरसा, कुशेश्वर स्थान, बेनीपुर, कुचायकोट, वैशाली, बेलदौर, हरनौत, सुलतानगंज, अमरपुर, राजगीर, नालंदा और टिकारी शामिल है.
कांग्रेस ने अपनी लिस्ट में कई ऐसी विधानसभा सीटों का नाम जोड़ा है, जहां दलित, अतिपिछड़ा, सवर्ण और मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कांग्रेस से जुड़े रणनीतिकारों ने इन सीटों के लिए संभावित उम्मीदवारों के नाम पर भी चर्चा की है.
साल 2020 में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़कर 19 ही जीत सकी. उसमें से दो विधायक पार्टी छोड़ कर चले गए हैं. अब पार्टी के पास केवल 17 विधायक बचे हैं. जीत का अनुपात कम होने का हवाला देकर राजद कांग्रेस पर पिछली बार से कम सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है.
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कांग्रेस और राजद में ऐसे बन सकती है बातकांग्रेस जिन 37 सीटों पर लड़ने के लिए मना कर चुकी है. इसमें से कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां कांग्रेस काफी कम वोट के अंतर से हारी थी. कांग्रेस नेता खुद ही ऐसी सीटों की वापसी का इरादा छोड़ सकते हैं. वहीं राजद भी अपनी कुछ सीटों को खराब बता कर कांग्रेस के खाते में देने का दबाव बना सकता है. ऐसे में दोनों दल कुछ सीटें रालोजपा, वीआईपी और झामुमो को दे सकते हैं. और कुछ सीटों की अदला-बदली भी कर सकते हैं.
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