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UKSSSC पेपर लीक : आयोग के सचिव निलंबित हो गए, चेयरमैन पहले ही दे चुके हैं इस्तीफा!

पकड़े गए भाजपा नेता को भी पार्टी से निकाल दिया गया था!

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UKSSSC Paper leak
गुरुवार 1 सितंबर की रात इस मामले में कारवाई करते हुये सरकार ने फैसला किया (फोटो- )
2 सितंबर 2022 (Updated: 2 सितंबर 2022, 12:59 IST)
Updated: 2 सितंबर 2022 12:59 IST
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UKSSSC पेपर लीक. UKSSSC यानी उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले में उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने आयोग के सचिव संतोष बडोनी को निलंबित कर दिया है. गुरुवार 1 सितंबर की रात इस मामले में कारवाई करते हुये सरकार ने फैसला किया. सरकार की तरफ से जारी निलंबन लेटर में कहा गया,

“UKSSSC पेपर में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ियां और अनियमितताएं सामने आई है. इस संबंध में विभिन्न जांच एजेंसियों के माध्यम से जांच की जा रही है. एग्जाम में ये गड़बड़ियां होने के दौरान संतोष बडोनी UKSSSC में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे. बडोनी ने अपने पदीय कर्तव्यों एवं दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही बरती है. इसलिये उन्हें तत्कालीन प्रभाव से निलंबित किया जाता है.”

क्या है UKSSC पेपर लीक प्रकरण? 

13 अलग-अलग विभागों में छात्रावास अधीक्षक, सहायक समीक्षा अधिकारी, सहायक चकबंदी अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी जैसे ग्रुप C के 916 पदों को भरने के लिए UKSSSC ने ग्रेजुएट लेवल की वैकेंसी निकाली थी. 4 और 5 दिसंबर 2021 को परीक्षा हुई.  भर्ती के लिए लगभग 2 लाख 50 हजार कैंडिडेट्स ने अप्लाई किया था. एग्जाम देने आये 1 लाख 60 हजार कैंडिडेट्स. अप्रैल 2022 में परीक्षा का रिजल्ट आ गया. इसके बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और आगे का प्रोसेस शुरु हुआ. इसी बीच भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे. उत्तराखंड बेरोजगार संघ से जुड़े युवाओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चिट्ठी लिख जांच कराने की मांग की. जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डीजीपी अशोक कुमार को मामले की जांच करने के आदेश दिये. बेरोजगार संघ से जुड़े बॉबी पंवार ने लल्लनटॉप से बात करते हुये कहा,  

“इस एग्जाम से पहले भी कई एग्जाम में गड़बड़ी होने की बात हमने सामने रखी थी. पर सरकार ने हमारी बात नहीं मानी. हम हर बार ये सोचते थे कि एग्जाम ठीक तरीके से होंगे. लेकिन हर बार एग्जाम में कोई न कोई गड़बड़ी होती थी. इस बार हमने सरकार पर दवाब बनाकर VDO एग्जाम में धांधली की जांच कराने को कहा था.”

STF ने शुरू की जांच तो खुला मामला

DGP अशोक कुमार ने मामले की जांच STF को सौंप दी थी. STF ने मामले की जांच शुरू की तो एक के बाद एक परतें खुलती गईं. STF ने UKSSSC में ग्रेड D  के कर्मचारी मनोज जोशी, नैनीताल के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में कनिष्ठ सहायक के पद पर तैनात महेंद्र, PWD विभाग में अपर निजी सचिव गौरव चौहान, न्यायिक विभाग में अपर निजी सचिव सूर्य प्रताप सिंह और बीजेपी नेता हाकम सिंह समेत 18 लोगों को गिरफ्तार किया है.  

STF के अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर हमसे बताया कि तुषार को एग्जाम का पेपर मनोज जोशी ने दिया था. मनोज और तुषार ने रामनगर के एक रिजार्ट में पेपर सॉल्व कराया था. मनोज जोशी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में काम करता है.

चेयरमैन का इस्तीफा, सचिव हटाए गए थे

पेपर लीक प्रकरण सामने आने के बाद राज्य सरकार ने 13 अगस्त को UKSSSC सेक्रेटरी संतोष बड़ोनी को पद से हटा दिया था. जबकि UKSSSC के चेयरमैन एस राजू ने 6 अगस्त को इस्तीफा दे दिया था. एस राजू ने कहा था कि वो इस मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं. उन्होंने कहा था कि उनका किसी नेता से कोई रिश्ता नहीं है और कैंडिडेट्स को हुई परेशानी को वो समझते हैं. एस राजू साल 2016 से UKSSSC के चेयरमैन पद पर मौजूद थे.

BJP नेता पार्टी से निष्कासित

BJP ने उत्तर काशी से जिला पंचायत सदस्य और UKSSSC पेपर लीक मामले में आरोपी हाकम सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. पार्टी के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के निर्देश पर उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित किया गया है. हाकम सिंह को पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. पेपर लीक मामले की जांच शुरू होने पर हाकम सिंह बैंकॉक भाग गया था. 14 अगस्त को लौटा तो STF ने उसे हिमाचल बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में पता चला है कि हाकम सिंह पहले भी कई भर्तियों में धांधली कर चुका है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,

“हमारी नीति और नीयत दोनों साफ है, स्पष्ट है. भ्रष्टाचार, चाहे जिस भी क्षेत्र में हो. किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पूरी पारदर्शिता अपनाई जाएगी. हम पूरे मामले की तह तक जाएंगे. जब तक हम एक-एक को पकड़ कर बेनकाब नहीं कर देंगे तब तक शांत नहीं बैठेंगे. हम विद्यार्थियों का कोई अहित नहीं होने देंगे.” 

इसके अलावा उत्तराखंड सरकार में मंत्री रेखा आर्या का एक लेटर भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. उत्तराखंड के पशुपालन विभाग के सचिव को संबोधित इस लेटर पर 4 जून 2020 की तारीख दर्ज है. लेटर में चार लोगों के नाम लिख कहा गया है कि इन शिक्षित बेरोजगार व्यक्तियों को विभाग में आवश्यकता के अनुसार नियुक्ति दी जाये. इस लेटर पर सफाई देते हुये मंत्री रेखा आर्या ने उत्तराखंड के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक लेटर लिखा था. उन्होंने शिकायत की थी कि उनके खिलाफ झूठी खबर फैलाई जा रही है. उनकी व उनके परिवार की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है.


वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने पूरे मामले की CBI जांच की मांग की है. विधानसभा में उपनेता विपक्ष और खटीमा से कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी ने कहा कि स्नातक भर्ती घोटाले में अब तक जितने भी लोग पकड़े गए हैं वो केवल मोहरे हैं. सरकार असली घोटालेबाजों तक पहुंचना नहीं चाहती. कापड़ी ने मांग की है कि स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा से पहले हुई भर्तियों की भी जांच होनी चाहिए. साथ ही उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. 

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