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यूनिवर्सिटी छात्राओं को मिलेगी 6 महीने की मैटरनिटी लीव, री-एडमिशन की भी जरूरत नहीं

केरल सरकार के एक आदेश के बाद केरल यूनिवर्सिटी ने किया एलान.

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6 months Maternity leave to students, Kerala university passes order
केरल यूनिवर्सिटी की छात्राओं को मिलेगी मैटरनिटी लीव. (तस्वीरें- ट्विटर और Unsplash.com)
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प्रशांत सिंह
7 मार्च 2023 (Updated: 7 मार्च 2023, 02:42 PM IST) कॉमेंट्स
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केरल यूनिवर्सिटी ने 18 वर्ष से अधिक आयु की महिला छात्रों को 6 महीने की मैटरनिटी लीव (Kerala University Maternity Leave) देने का फैसला किया है. इससे पहले केरल सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं के लिए मेंस्ट्रुअल लीव (Menstrual leave) और मैटरनिटी लीव देने का आदेश जारी किया था. इसी आधार पर केरल यूनिवर्सिटी ने छात्राओं के लिए मैटरनिटी लीव की घोषणा की है.

दोबारा एडमिशन की जरूरत नहीं

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक केरल यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी सर्कुलर में बताया गया कि छात्राएं 6 महीने तक की मैटरनिटी लीव का लाभ उठा सकती हैं. यही नहीं, 6 महीने के बाद फिर से एडमिशन कराने की कोई जरूरत भी नहीं होगी. छुट्टी से वापस आने के बाद छात्राएं बिना किसी औपचारिकता या दिक्कत के अपना कॉलेज फिर से शुरू कर सकती हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा है कि कॉलेज के प्रिंसिपल छात्रों के मेडिकल रिकॉर्ड्स की जांच कर उन्हें मैटरनिटी लीव की अनुमति दे सकते हैं. वापस आने के बाद छात्राएं फिर से पढ़ाई शुरू कर सकती हैं. इसके लिए यूनिवर्सिटी से फिर अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं होगी. यूनिवर्सिटी ने मेंस्ट्रुअल लीव के संदर्भ में छात्राओं की अटेंडेंस 73 प्रतिशत रखी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मैटरनिटी लीव से आने के बाद छात्राओं के लिए कोर्स की अवधि को भी बढ़ा दिया जाएगा. इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी और पूरा समय मिलेगा.

पीरियड लीव पर लिया गया था फैसला

इसी साल जनवरी में केरल सरकार ने अपने उच्च शिक्षा विभाग को छात्राओं को मेंस्ट्रुअल लीव यानी पीरियड लीव देने का आदेश जारी किया था. यूनिवर्सिटी के नियमों के तहत अब तक 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य थी. आदेश के तहत इसे कम कर 73 प्रतिशत कर दिया गया था. कोच्चि टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी इस आदेश को लागू करने वाली पहली यूनिवर्सिटी बनी थी.

पीरियड लीव पर सुप्रीम कोर्ट की राय

भारत में वर्किंग महिलाओं के लिए काफी समय से पीरियड लीव देने की मांग उठ रही है. इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये एक नीतिगत मसला है. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि इसके लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय को ज्ञापन दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने आगे ये भी कहा था कि अगर पीरियड लीव के लिए एम्प्लॉयर को बाध्य किया गया तो वो महिलाओं को नौकरी पर रखने से मना भी कर सकता है.

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