सरकारी स्कूल की हालत देखकर रोने लगीं प्रिंसिपल, बोलीं- "इससे बढ़िया तो रिटायर हो जाऊं"
स्कूल में कई क्लास के बच्चे एक ही कमरे में पढ़ते हैं.

तमिलनाडु (Tamilnadu) स्थित कृष्णगिरी के सिलमराथुपट्टी गांव में ग्राम सभा की बैठक के दौरान एक स्कूल प्रिंसिपल अचानक रोने लगीं. ग्राम सभा के सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल शक्ति का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो रोती हुई दिखाई दे रही हैं. बैठक के दौरान शक्ति स्कूल की खराब हालत के बारे में बताते हुए रोने लगीं.
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, शक्ति ग्राम सभा की बैठकों में लगातार स्कूल की खराब हालत के बारे बताती आ रही थीं. शक्ति ने स्कूल में बिल्डिंग, बाथरूम और खेलने के लिए ग्राउंड बनाने की बात कही थी. शक्ति ने बताया कि स्कूल में 8वीं क्लास तक के स्टूडेंट्स पढ़ते हैं, जिनका खेलना-कूदना भी जरूरी है. इससे उनकी शारीरिक क्षमता बढ़ेगी और वो कई तरह की बीमारियों से भी दूर रहेंगे. लेकिन उनके कहने पर भी स्कूल में ऐसी कोई सुविधा नहीं की गई है.
सरकारी स्कूल एक अभिशाप की तरह है!शक्ति ने बताया कि वो जिले के डेवलपमेंट ऑफिसर के पास भी गई थीं. लेकिन वहां उनसे कहा गया कि इस काम में 25 से 30 हजार रुपये का खर्च आएगा, इसलिए इसे पूरा नहीं किया जा सकता. इसके उलट शक्ति से कहा गया की वो अपनी आमदनी से ये काम करा सकती हैं.
शक्ति ने आगे कहा कि ऐसा लगता है हम अपने काम के लिये कमीशन दे रहे हैं. हमारे स्कूल की बिजली काट दी जाती है, हम पानी के लिए मोटर पम्प नहीं इस्तेमाल कर सकते हैं. सरकारी स्कूल एक अभिशाप की तरह है. इससे अच्छा तो ये होगा की मैं रिटायरमेंट ले लूं.
जिस स्कूल में शक्ति प्रिंसिपल हैं, उसमें कुल 95 स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं. स्कूल में बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद नहीं हैं. शक्ति इन सुविधाओं के लिये बहुत दौड़-भाग कर चुकी हैं लेकिन उनके सारे प्रयास विफल हुए हैं. स्कूल की एक बिल्डिंग 60 साल पुरानी थी, जिसे गिरा दिया गया था. इस वजह से LKG से तीसरी क्लास तक की पढ़ाई एक ही रूम में होती है. वहीं चौथी और पांचवीं क्लास के स्टूडेंट्स एक रूम में पढ़ते हैं, और छठवीं से आठवीं क्लास के स्टूडेंट्स की पढ़ाई के लिए कोई जगह नहीं है. शक्ति ने बताया,
पेरेंट्स अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में भेजना चाहते हैं जिसकी बिल्डिंग अच्छी हो. इसके बारे में ग्राम सभा की बैठक में मैंने हमेशा बताया है. हमें स्कूल में बिल्डिंग, बाथरूम और ग्राउंड की जरूरत है. हमारे स्कूल में ऐसी कोई सुविधा नहीं है.
स्कूल में बिजली सप्लाई के बारे में बताते हुए शक्ति ने कहा कि 5 सौ मीटर बिजली के तार बिछाने के लिए उन्हें एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस दौड़ाया गया. उन्होंने बताया कि जो भी तार लगाए जाते हैं वो 6 महीने से ज्यादा नहीं चलते जिससे बच्चों की जान को खतरा भी रहता है.
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