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कनाडा ने ऐसा कदम उठाया है कि हज़ारों भारतीय छात्रों का सपना टूट सकता है

बीते दिनों भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिये वीज़ा सर्विस रोक दी थी. फिर शुरू भी कर दी. और अब ये खबर आई है.

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अमृतसर में एक कनाडाई शिक्षा मेले में छात्र. 2022 में, कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की आबादी का 40% हिस्सा भारतीयों का था (फोटो: एएफपी)
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सचेंद्र प्रताप सिंह
12 दिसंबर 2023 (Updated: 12 दिसंबर 2023, 24:00 IST)
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अगर आप भी कनाडा (Canada) में पढ़ाई करने का सपना देख रहे हैं, तो ये खबर आपको कुछ मायूस कर सकती है. अब कनाडा में पढ़ाई करने के लिए जाने वाले छात्र-छात्राओं को पहले के मुकाबले दोगुनी रकम खाते में दिखानी पड़ेगी. पहले 6.14 लाख रुपए दिखाने होते थे, लेकिन साल 2024 से 12.7 लाख रुपये दिखाना जरूरी होगा.

23 साल बाद रकम बढ़ी, दोगुनी हो गई

कनाडा के नियम कहते हैं कि वहां आकर पढ़ने वाले छात्रों के पास इतना पैसा होना चाहिए, कि वो अपना खर्च चला सकें. इसीलिए स्टडी पर्मिट उन्हीं छात्रों को जारी किया जाता है, जिनके पास अपनी फीस, कनाडा तक आने के लिए हवाई जहाज़ की टिकट और कम से कम एक साल तक कनाडा में रहने के खर्च के लिए पैसे हों. सालाना खर्च को कहा जाता है कॉस्ट ऑफ लिविंग फंड. इस पैसे को रखने के लिए कनाडा के किसी बैंक में गैरेंटीड इंवेस्टमेंट सर्टिफिकेट (GIC) अकाउंट खोलना पड़ता है. और उसमें कॉस्ट ऑफ लिविंग फंड का पैसा जमा कराना होता है.

21 वीं सदी की शुरुआत में एक साल के लिए कॉस्ट ऑफ लिविंग फंड 10 हज़ार कनाडाई डॉलर तय हुआ था. इसी को अब बढ़ाकर 20 हज़ार 635 कनाडाई डॉलर कर दिया गया है. यही रकम 12 लाख 70 हज़ार के करीब बैठती है.

निज्जर विवाद के बाद भारत कनाडा के रिश्तों में कुछ तनाव पैदा हुआ था. उस दौरान भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीज़ा शर्तों में बदलाव किया था. कुछ दिनों में ये बदलाव वापिस ले लिये गए थे. उन दिनों कई लोगों ने इस बात पर ध्यान दिलाया था कि कनाडा में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के भविष्य को देखते हुए ही कोई कदम उठाया जाना चाहिए. और अब कॉस्ट ऑफ लिविंग फंड के दोगुने होने की खबर आई है.

वैसे ये नियम अकेले भारतीय छात्रों के लिये नहीं बदला है. भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया से कनाडा जाने वाले छात्रों पर नए लागू होंगे. लेकिन सबसे ज़्यादा प्रभावित भारतीय छात्र ही होंगे क्योंकि भारत से बहुत बड़ी संख्या में छात्र कनाडा जाते हैं. कारण - कनाडा में पढ़ाई, यूरोप और अमेरिका की तुलना में कम खर्चीली है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कनाडा सरकार के अप्रवासन (इमिग्रेशन) मंत्री मार्क मिलर का कहना है, 

“इस फैसले को कनाडा में विदेशी विद्यार्थियों की सफलता और भलाई सुनिश्चित करने वाले काम के तौर पर देखना चाहिए. 2000 के दशक से ही कनाडा आने वाले विद्यार्थी के लिए जीवन यापन की लागत 10000 डॉलर थी. हालांकि, जीवन यापन की बढ़ी हुई लागत को देखते हुए सीमा को 20,635 डॉलर किया जा रहा है.” 

बीते दिनों कनाडा से ऐसी खबरें आई थीं कि वहां पढ़ने वाले कई छात्र महंगाई के चलते फूड बैंक्स की शरण में पहुंच गए थे. कई छात्र वहां बढ़ती महंगाई से मुकाबला नहीं कर पा रहे है. कनाडा इसी की पुनरावृत्ति को रोकना चाहता है.

नए नियमों के अनुसार विदेशी छात्र-छात्राओं को रहने व पढ़ाई की पूरी लागत के आधे हिस्से का इंतजाम कागजों में दिखाना होगा. वहीं, पहले ये कीमत छात्रों की पढ़ाई के स्तर के आधार पर तय रहती थी.

पढ़ाई के साथ नौकरी भी कर सकते हैं छात्र

अमेरिका और यूरोप की टॉप यूनिवर्सिटी की आधी फीस में कनाडा की टॉप यूनिवर्सिटीज से पढ़ाई हो जाती है. यहां पढ़ाई का खर्च कोर्स पर निर्भर रहता है. कनाडा में विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी भी कर सकते हैं. यदि छात्र के नंबर अच्छे हैं तो यूनिवर्सिटी उसे स्कॉलरशिप देने के साथ ही अन्य इंतजाम करने के लिए पार्ट टाइम जॉब करने की परमिशन भी देती है. जिससे छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई का खर्चा आसानी से निकाल लें. 

हिंदुस्तान टाइम्स में छपी अनिरुद्ध भट्टाचार्य की खबर में ओंटारियो स्थित इमीग्रेशन एक्सपर्ट नरेश चावड़ा का बयान छपा है. उनका कहना है,

कनाडा सरकार द्वारा ये बढ़ोतरी वहां के भारतीय छात्रों पर सीधा बोझ है. लाखों विद्यार्थियों का सपना टूट सकता है. छात्र पहले ही यह रकम बहुत मुश्किल से जुटाते थे. और अब ये खर्च कनाडा पहुंचने से पहले ही 35 से 50 लाख तक पहुंच जाएगा. जो कि आम भारतीय परिवारों के लिए बहुत ज़्यादा है. 

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