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कहां इन्वेस्ट करना है नहीं समझ पा रहे? तो लोगों को उधारी बांटिए...लेकिन ये खबर पढ़ने के बाद

P2P लेंडिंग को आसान भाषा में समझिए और साहूकार बनिए.

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RBI has facilitated status of NBFC to P2P lending platforms.
आरबीआई ने पी2पी प्लेटफॉर्म्स का एनबीएफसी का दर्जा दिया हुआ है. (Freepik)
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उपासना
16 जुलाई 2023 (Updated: 16 जुलाई 2023, 07:03 PM IST) कॉमेंट्स
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सालों से निवेश के लिए गिने-चुने विकल्प ही लोगों के बीच पॉपुलर रहे हैं. जैसे- शेयर, म्यूचुअल फंड, एफडी, पीपीएफ या स्मॉल सेविंग्स स्कीम वगैरह. मगर हाल के सालों में कुछ ऐसे तरीके भी बाजार में आए हैं जो तगड़े रिटर्न की वजह से इनवेस्टर्स के बीच पॉपुलर हो रहे हैं. इनमें से ही एक तरीका है P2P यानी (Peer2Peer लेंडिंग). आइए जानते हैं कि ये कैसे काम करता है.

फैन्सी नाम सुनकर ये मत सोचिएगा कि ये कोई तोप चीज है. P2P लेंडिंग को आसान शब्दों में कह सकते हैं ब्याज पर पैसे देना. बिल्कुल वैसे ही जैसे पुराने जमाने में साहूकार वगैरह जरूरतमंदों को उधार पर पैसे दिया करते थे. यहां फर्क सिर्फ इतना है कि वहां कोई नियम कानून नहीं होता था. जबकि, पी2पी प्लेटफॉर्म तुलनात्मक रूप से संगठित हैं. इसे उदाहरण के साथ समझते हैं.

मान लेते हैं एक शख्स को पैसे की जरूरत है, लेकिन उसे बैंक या किसी और वित्तीय संस्थान ने पैसे देने से मना कर दिया है. दूसरी तरफ एक आदमी के पास इतना पैसा है कि वो आराम से उधार दे सकता है. इन दोनों लोगों की आपस में बात करा दी जाए तो दोनों की दिक्कत दूर हो जाएगी. यानी एक आदमी को दूसरा आदमी उधार दे रहा है और इसके लिए बैंक या किसी संस्था के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ी. लेन-देन के इसी तरीके को इनवेस्टमेंट की दुनिया में P2P लेंडिंग कहते हैं. ये सुविधा देने वाली कंपनियां P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स कहलाती हैं.

रिजर्व बैंक ने इन्हें NBFC का दर्जा दिया हुआ है. उधार देने वाली गैर बैंकिंग कंपनियों को NBFC कहते हैं. P2P में लेंडर यानी उधार देने वाले को भी ब्याज के जरिए अच्छी खासी कमाई हो जाती है. वहीं, बॉरोअर यानी उधार लेने वाले को भी 'कागज-पत्तर' के झंझट में पड़े बिना आसानी से लोन मिल जाता है. 

2008 में वित्तीय संकट के साथ P2P लेंडिंग दुनिया भर में पॉपुलर होना शुरू हुआ. भारत में इसका चलन 2014 में शुरू हुआ. तब जाकर आरबीआई ने इसके लिए 2017 में नियम कानून भी बना दिए. ऐसे ही एक पी2पी प्लेटफॉर्म लेनदेन क्लब के सीईओ और को-फाउंडर ने बिजनेस टुडे को बताया, इस समय कुल 30-35 लाख निवेशक पी2पी प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड हैं. म्यूचुअल फंड के मुकाबले भले ये नंबर कम लग रहा हो लेकिन ये काफी अधिक है. मार्केट से जुड़े रिसर्च करने वाली कंपनी इंडस्ट्री ARC के मुताबिक P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म काफी तेजी से बढ़ रहा है. 2021 के मुकाबले 2026 में यह 21.6 फीसदी बढ़कर 10.5 अरब डॉलर का हो जाएगा.

कैसे कर सकते हैं निवेश

उधार लेने वाले और देने वाले दोनों को प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर कराना पड़ता है. इसके लिए KYC से जुड़े कागजात, बैंक अकाउंट स्टेटमेंट और ऑनलाइन फॉर्म भी देने होंगे. रजिस्ट्रेशन पूरा होने के 12 से 24 घंटे के अंदर अकाउंट वेरिफाई हो जाएगा. रजिस्ट्रेशन के बाद लेंडर यानी उधार देने वाला अपने पैसे एक खाते में भेजता है. इसे एस्क्रो अकाउंट भी कहते हैं. ये खाता पी2पी प्लेटफॉर्म के पास बनता है. जैसे ही कोई आदमी उधार के लिए रिक्वेस्ट डालता है उसे इसी खाते से पैसा भेजा जाता है. 

कई प्लेटफॉर्म उधार लेने वाले की प्रोफाइल, उसकी क्रेडिट हिस्ट्री देखने की सुविधा भी देते हैं. हालांकि, इसके उलट कई प्लेटफॉर्म सुरक्षा के लिहाज से लेंडर्स यानी उधार लेने वाले की जानकारियों को खुफिया रखते हैं. बेहतर होगा कि निवेश के लिए ऐसे प्लेटफॉर्म को ही चुनें जो बॉरोअर्स से जुड़ी सभी जानकारियां देते हों.

P2P पर कौन उधार दे सकता है?

कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 साल से ऊपर है वो इस प्लेटफॉर्म पर उधार दे सकता है. इसके लिए एक वैध बैंक खाते और PAN कार्ड की जरूरत होगी. RBI द्वारा तय नियमों के मुताबिक जो भी कंपनी एनबीएफसी के तहत आती हो वह भी पी2पी प्लटेपऑर्म पर बतौर लेंडर खुद को रजिस्टर करा सकती है. कम से कम 750 रुपये के साथ यहां निवेश शुरू किया जा सकता है. आरबीआई ने इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए उधार लेने की अधिकतम सीमा तय कर रखी है. अगर पर्सनल काम के लिए उधार ले रहे हैं तो तीस हजार से 5 लाख रुपये तक ले सकते हैं. अगर बिजनेस के लिहाज से पढ़ रहे हैं तो अधिकतम 10 लाख रुपये तक ही लोन ले सकते हैं.

12 से 35 फीसदी दर रिटर्न!

आमतौर पर P2P प्लेटफॉर्म के जरिए उधार देने पर 12 से 14 पर्सेंट का रिटर्न मिलता है. कुछ कुछ मामलों में 35 फीसदी का रिटर्न भी मिलता है लेेकिन ऐसे बॉरोअर को पी2पी प्लेटफॉर्म रिस्की मानते हैं. इसके अलावा इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि आपको इतना रिटर्न पक्के तौर पर मिलेगा ही मिलेगा. बहुत सारे मोटा रिटर्न देखकर ही P2P पर रजिस्टर कराने आ जाते हैं. लेकिन जोश-जोश में रजिस्ट्रेशन कराने से पहले कुछ चीजें समझ लेना जरूरी रहेगा. वरना बाद में गचक्का भी खा सकते हैं. बॉरोअर को उधार देने से पहले देख लें कि वह कितने समय के लिए उधार ले रहा है, उसका पिछला रेकॉर्ड कैसा रहा है, सिबिल स्कोर कितना है जैसी चीजें भी चेक कर लें. आमतौर पर बॉरोअर्स 6 से 36 महीनों की अवधि के लिए लोन लेते हैं. बतौर निवेशक जो भी बॉरोअर सही लगे उसे आप पैसे दे सकते हैं.

बॉरोअर पैसे नहीं दे रहा हो तो?

अगर उधारकर्ता पैसे नहीं दे रहा है तो इस स्थिति में P2P प्लेटफॉर्म इनवेस्टर की मदद कर सकता है. उस पर लीगल कार्रवाई की जा सकती है. हालांकि, इसके बाद भी जरूरी नहीं है कि आपके पैसे मिल ही जाएंगे. ऐसा भी मुमकिन है कि इनवेस्टर को एक रुपया भी वापस ना मिले. फ्रॉड और जरूरत पड़ने पर तुरंत पैसा ना मिलने जैसी कुछ रिस्क इसमें हैं. इसलिए बेहतर होगा कि पी2पी में इनवेस्ट करने से पहले इससे जुड़े रिस्क को भी बखूबी समझ लें.

पहले समझें फिर निवेश करें

सिर्फ रिटर्न देखकर ही कहीं भी पैसे लगाने का दांव आप पर उल्टा पड़ सकता है. लेकिन इनवेस्ट करने से पहले समझ लें कि ये प्लेटफॉर्म कैसे काम करता है. वरना लेनदेनक्लब के सीईओ भाविन पटेल कहते हैं कि अगर आप जमीनी चीजें समझे बिना अगर निवेश करते हैं तो आपको ये समझने में दिक्कत होगी कि कितना पैसा यहां लगाना है, आपको कितना रिटर्न मिलेगा और वहां रिस्क कितना है.

ज्यादा लालच करना पड़ सकता है भारी

अकेले मोटा रिटर्न देखकर आप इसमें पैसे लगने जा रहे हैं तो सतर्क हो जाएंगे. ज्यादा ब्याज देने वाले बॉरोअर्स को उधार देना भारी पड़ सकता है. पटेल ने कहा कि सबसे पहले कम इनवेस्टमेंट के साथ शुरुआत करें. पी2पी प्लेटफॉर्म अक्सर उधारकर्ता को रिस्क की रेटिंग भी दे देते हैं. अगर कोई उधारकर्ता ज्यादा ब्याज देने को तैयार है तो उसके आगे हाई रिस्क लिखा होगा. अगर कोई उधारकर्ता औसत ब्याज दर पर लोन मांग रहा होगा तो उसके आगे लो रिस्क लिखा होगा.

झटपट पैसा बनाने के चक्कर न पड़ें

अगर पी2पी से महीने महीने पैसे निकालते रहेंगे तो आपको लगेगा कि इससे अच्छा रिटर्न तो शेयरों में है. मोनेक्सो के फाउंडर मुकेशन बुबना ने कहा, पी2पी में लंबे समय तक पैसा रखेंगे तभी आपको बढ़िया फायदा होगा. ज्यादातर निवेशक यही गलती करते हैं. पी2पी में ब्याज कैसे गिना जाता है ये समझना जरूरी है. हर पी2पी निवेशक को लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट का गोल लेकर करना चाहिए. तभी बढ़िया रिटर्न कमा पाएंगे.

हर तरह के निवेशकों में बांटे पैसा

आपको एक ही तरह के बॉरोअर को पैसा देने की बजाय छोटे बड़े सभी तरह के बॉरोअर्स के बीच पैसा बांटना चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक इस तरह आप रिस्क को भारी से औसत स्तर पर ला सकते हैं. उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं आपके पास 1 लाख रुपये हैं. आप सोचेंगे कि 50 हजार दो लोगों में बांट कर शांति से बैठ जाते हैं. इस स्थिति में अगर एक ने भी डिफॉल्ट किया तो आपको भारी घाटा लग सकता है. ऐसे में सलाह ये रहती है कि हजार दो हजार रुपये जितनी रकम भी बॉरोअर्स को बांटते रहें. ऐसे बॉरोअर कम रिटर्न देते हैं, मगर इनमें तुलनात्मक रूप से रिटर्न मिलने की ज्यादा संभावना रहती है.

पैसे मिलने में देरी के लिए भी खुद को तैयार रखें

ज्यादातर निवेशक उधार देते समय डिफॉल्ट रेट पर ध्यान नहीं देते हैं. बाद में जब पैसा मिलने में देरी होती है तब उन्हें घबराहट होने लगती है. पी2पी में इनवेस्ट करने से पहले ये बात दिमाग में बैठा लें कि ये एक रिस्की माध्यम है. जिसे आप उधार दे रहे हैं वो पैसे चुकाने में देरी भी कर सकता है. आरबीआई के मुताबिक हर P2P प्लेटफॉर्म को उसका डिले और डिफॉल्ट रेट बताना चाहिए. किसी भी प्लेटफॉर्म को चुनने से पहले निवेशकों को बाजार में मौजूद सभी प्लेटफॉर्म्स की तुलना कर लेनी चाहिए उसके बाद ही निवेश करना चाहिए.

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