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शेयर बाजार की 'बल्ले-बल्ले', टैरिफ पर रोक के बाद जबरदस्त उछाल

Stock Market एक्सपर्ट्स ने इस बदलाव का कारण टैरिफ को लेकर ट्रंप के हालिया फैसले को बताया है. चीन को छोड़कर उन्होंने बाकी देशों पर लगे टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक दिया है. जानिए क्या हाल है आज Share Market का.

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Nifty and Sensex
भारतीय बाजार उछाल के साथ खुले हैं. (तस्वीर: AI)
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रवि सुमन
11 अप्रैल 2025 (Published: 11:26 AM IST)
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत का टैरिफ लगाया था. बाद में इस पर 90 दिनों की रोक लगा दी गई. इसका असर भारतीय बाजारों पर दिखने लगा है. 11 अप्रैल की सुबह भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में उछाल देखा गया. Nifty 50 इंडेक्स 420 अंकों के उछाल के साथ 22,695 पर खुला. खबर लिखने तक ये 22,819 पर चल रहा है.

73,847 अंक पर BSE Sensex क्लोज हुआ था. 11 अप्रैल को ये 74,835 अंक के साथ खुला. खबर लिखे जाने तक इसमें 1238 अंक का उछाल आया है और ये 75,086 अंक पर बना हुआ है. Bank Nifty ने 50,634 पर गैप-अप ओपनिंग की. कुछ ही घंटों में इसमें 500 से ज्यादा अंकों का उछाल देखा गया.

Share Market Status
भारतीय शेयर बाजार. 
उछाल के कारण क्या हैं?

स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट्स ने इस बदलाव का कारण टैरिफ को लेकर ट्रंप के हालिया फैसले को बताया है. चीन को छोड़कर उन्होंने बाकी देशों पर लगे टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक दिया है. ‘लाइव मिंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, जानकार बता रहे हैं कि इससे भारतीय बाजारों पर सकारात्मक प्रभाव दिख रहा है. हालांकि, 11 अप्रैल की मजबूत शुरुआत का श्रेय भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पॉलिसी को भी दिया जा रहा है. 

ये भी पढ़ें: अमेरिका-चीन के टैरिफ झगड़े से भारतीय कंपनियों को फायदा? घबराहट में हैं चीनी कंपनियां, दाम घटाने को मजबूर

RBI का क्या योगदान रहा?

बाजार में नकदी बनाए रखने के लिए RBI ने बेसिस पॉइंट (BPS) रेट में कटौती की घोषणा की. और इसी दौरान उन्होंने वित्त वर्ष 2026 में चार प्रतिशत इंफ्लेशन की भविष्यवाणी की. उन्होंने 2025 में बेहतर Q4 रिजल्ट (चौथी तिमाही के नतीजे) की ओर इशारा किया.

बाजार में इस बदलाव के लिए कुल मिलाकर चार कारण बताए गए हैं. पहला, टैरिफ पर 90 दिनों की रोक. दूसरा, इंफ्लेशन को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण. तीसरा, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के बेहतर परिणाम. चौथा, अमेरिका की ओर से चीन पर लगाया गया 125 प्रतिशत का भारी टैरिफ. इससे चीनी कंपनियों पर भारतीय कंपनियों से मोलभाव करने का दबाव है.

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