पंजाब के फिरोजपुर में नेशनल हाईवे पर कुछ प्रदर्शनकारी किसानों ने कथित तौर पर मोदी का रास्ता रोक लिया. पीएम का काफिला 20 मिनट तक रुका रहा. इसे पीएम की सुरक्षा में कथित तौर पर चूक माना जा रहा है. केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार से जवाब मांगा है. इस पूरे मामले को समझने के लिए इंडियन एक्सप्रेस ने पुलिस, स्थानीय अधिकारियों और रोड ब्लॉक करने वाले किसानों से बात की. अखबार के मुताबिक,
“बुधवार, 5 जनवरी की सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर जब पीएम भिसियाना एयरपोर्ट पर उतरे. उस समय बठिंडा में बारिश हो रही थी. करीब 11 बजकर 15 मिनट पर पीएम सड़क मार्ग से 122 किलोमीटर दूर फिरोजपुर में हुसैनीवाला स्मारक के लिए निकले. हालांकि इससे पहले उन्होंने 30 मिनट से अधिक समय तक मौसम साफ होने का इंतजार किया. पीएम की यात्रा का प्लान चेंज हुआ है, इसकी जानकारी पंजाब सरकार और पुलिस को दी गई.”
दोपहर करीब एक बजकर 5 मिनट पर पीएम का काफिला पियारेना गांव के पास फ्लाईओवर पर पहुंच गया. यहां विपरीत दिशा से आने वाली बसों और आगे सड़क पर प्रदर्शनकारियों के साथ ट्रैफिक जाम मिला. भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी (फूल) के सदस्य पीएम की रैली के लिए जा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं का विरोध कर रहे थे.

पंजाब के अधिकारी क्या कह रहे हैं?
सूत्रों ने कहा कि पंजाब के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय सरकार के वरिष्ठ सदस्यों के संपर्क में थे, क्योंकि पीएम का काफिला फ्लाईओवर पर रुक गया था. सूत्रों ने कहा कि डीजीपी प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए “बल प्रयोग” के पक्ष में थे, ताकि काफिला आगे बढ़ सके, लेकिन संयम बरतने के लिए कहा गया.
सूत्रों ने कहा कि डीजीपी से कहा गया था कि पुलिस को ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे राज्य सरकार को परेशानी हो, जैसा कि 2015 में बरगारी में बेअदबी की घटना के बाद बेहबल कलां में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के दौरान हुआ था. उस घटना में, पुलिस फायरिंग में एक सड़क को जाम करने वाले एक समूह के दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी.
दोपहर 1 बजकर 5 मिनट से 1 बजकर 20 मिनट तक पीएम का काफिला फ्लाईओवर पर फंसा रहा. पीएम के दौरे के लिए 10 वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSPs) के साथ-साथ समान सीनियारिटी के 10 अधिकारी ड्यूटी पर थे.
फिरोजपुर रेंज के DIG इंदरबीर सिंह ने अखबार को बताया कि पीएम का काफिला जहां रुका वो पूरा एरिया मोगा एसएसपी के अधीन था. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जी नागेश्वर राव की ओवरऑल सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे थे. हालांकि राव ने अखबार के सवालों के जवाब नहीं दिए.
वहीं इंद्रबीर सिंह ने कहा कि विरोध की सूचना मिलने के बाद वह मौके पर गए, लेकिन देर से पहुंचे. पीएम के काफिले से मुश्किल से 15 मिनट पहले. मोगा के एसएसपी चरणजीत सिंह सोहल ने कहा,
“हम इसकी जांच कर रहे हैं. हमने 35-40 किमी की दूरी तय की थी. हम देख रहे हैं कि इन 5 किमी में क्या हुआ.”

धरना देने वाले क्या बोले?
फ्लाईओवर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी (फूल) के राज्य महासचिव बलदेव सिंह जीरा ने माना कि फिरोजपुर एसएसपी ने उन्हें सूचित किया था कि पीएम का काफिला उस सड़क से गुजरेगा. लेकिन किसानों को लगा कि विरोध को रोकने और तितर-बितर करने के लिए यह महज एक चाल है.
बलदेव सिंह जीरा ने कहा,
हम वहां भाजपा की गाड़ियों को रोकने के लिए थे. अगर हमें पता होता कि पीएम वास्तव में इसी रास्ते से यात्रा कर रहे हैं तो हमारी प्रतिक्रिया कुछ और होती. आखिरकार वह हमारे भी पीएम हैं.
पंजाब के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि डीआईजी को जवाब देने की जरूरत है कि जब पीएम उस सड़क पर यात्रा करने वाले थे तो प्रदर्शनकारी वहां कैसे पहुंचे और पुलिस ने इतनी देर से हस्तक्षेप क्यों किया. वहीं पंजाब पुलिस के सेवानिवृत्त डीजीपी ने कहा कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह मानदंडों के अनुसार पीएम की यात्रा के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करती. उन्होंने कहा,
जब आप जानते थे कि प्रदर्शनकारी वहां हैं तो आपको अतिरिक्त सुरक्षा तैनात करनी थी. किसानों को दूर जाने के लिए कहना था, क्योंकि पीएम वहां से गुजर रहे थे. यह एक गंभीर चूक है. आप इतने कम समय में चीजों को क्लियर नहीं कर सकते.
पीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी?
देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी SPG की होती है. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसी राज्य के दौरे के समय 4 एजेंसियां पीएम की सुरक्षा व्यवस्था देखती हैं- SPG, ASL, राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन. एडवांस सिक्योरिटी संपर्क टीम (ASL) प्रधानमंत्री के दौरे से जुड़ी हर जानकारी से अपडेट होती है. ASL टीम केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी के संपर्क में होती है. स्थानीय पुलिस PM के दौरे के समय रूट से लेकर कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा संबंधी नियम तय करती है. आखिरकार पुलिस के निर्णय की निगरानी SPG अधिकारी ही करते हैं.
SPG की ब्लू बुक क्या कहती है?
SPG की ब्लू बुक को लेकर पत्रकार मीतू जैन ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं. इन ट्वीट्स में उन्होंने बताया है कि PM जब कोई यात्रा करते हैं तो उसकी योजना SPG की blue book के मुताबिक तय होती है. आकस्मिक मार्ग से लेकर सेफ हाउस तक. (अगर पीएम को निकालने की जरूरत पड़ी तो). ASL (Advanced Security Liaison) SPG, IB और स्टेट पुलिस सबकुछ डिस्कस करती है. और सवाल उठाए हैं कि PM मोदी की सुरक्षा में लगी SPG को इन सवालों का जवाब देने की ज़रूरत है.
For all those making India out to be a banana republic vis a vis the Prime Minister’s security here is some food for thought. 1.
— meetu jain (@meetujain) January 5, 2022
मीतू जैन के सवाल क्या हैं?
सवाल नंबर 1 – क्या यह नहीं पता था कि मौसम खराब होगा? बक़ौल जैन, ब्लू बुक के अनुसार, कम से कम 48 घंटे पहले मौसम विभाग से इनपुट लेना होता है. यदि मौसम खराब हो गया और कार्यक्रम स्थल के लिए हेलिकॉप्टर से पहुंचना संभव नहीं था, तो क्या ASL के अनुसार आकस्मिक मार्ग तय नहीं किया गया था?
सवाल नंबर 2 – क्या ये वही आकस्मिक मार्ग था जिसे पीएम ने अपनाया? 111 किमी की दूरी तय करने में लगभग 2 घंटे लगते हैं. क्या SPG ने वास्तव में पीएम को बिना सुरक्षा मंजूरी के दो घंटे के लिए एक अनसेफ मार्ग पर यात्रा करने की अनुमति दी थी?
सवाल नंबर 3 – ब्लू बुक के अनुसार, SPG तब तक नहीं चलती, जब तक संबंधित राज्य पुलिस यह अनुमति नहीं देती कि पूरा रास्ता क्लियर है. तो अगर SPG ने सड़क मार्ग से यात्रा करने का फैसला किया, तो यह योजना के अनुसार था. लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो एसपीजी प्रमुख को बर्खास्त किया जाना चाहिए. यदि राज्य के डीजीपी ने मंजूरी दी थी कि कि रास्ता क्लियर कर दिया गया है, लेकिन रास्ता क्वियर नहीं था तो उन्हें जानबूझकर SPG को गुमराह करने के लिए इस्तीफा देना चाहिए.
सवाल नंबर 4 – मीतू जैन के मुताबिक, भाजपा का कहना है कि प्रदर्शनकारी (भाजपा के झंडे लहराते देखे गए) भाजपा कार्यकर्ता थे, जो पीएम के काफिले के यू टर्न लेने के बाद घटनास्थल पर आए थे. नागरिकों को पीएम के लिए सुरक्षित मार्ग पर जाने की अनुमति कैसे दी गई और वो भी टेंपो और बसों के साथ, जबकि पीएम वहीं थे?
सवाल नंबर 5 – पीएम के काफिले में एक चेतावनी देने वाली कार और एक पायलट कार शामिल थी. क्या पहली कार ने भीड़ को नहीं देखा? क्या उसने काफिले को सतर्क नहीं किया? पीएम का काफिला प्रदर्शनकारियों के इतने करीब 20 मीटर की दूरी पर कैसे रुक गया? क्या SPG को 20 मिनट प्रतीक्षा करने के बजाय तत्काल यू टर्न नहीं लेना चाहिए था?
ANI के मुताबिक, पीएम ने एयरपोर्ट पहुंचकर अधिकारियों से कहा कि अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया. अगर पीएम मोदी की जान खतरे में थी तो SPG को जवाब देना चाहिए. क्योंकि सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति को आंतरिक सुरक्षा घेरा प्रदान करना केवल एसपीजी का काम है. 20 मिनट तक पुल पर फंसे रहने पर भी एसपीजी की क्लोज प्रोटेक्शन टीम पीएम की कार के दोनों ओर थी न कि सामने जहां कैमरे रिकॉर्ड कर रहे थे और प्रदर्शनकारी थे. पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और हुसैनीवाला शहीद स्मारक जहां प्रधानमंत्री थे, वह पाकिस्तान की सीमा से एक किमी दूर स्थित है.
एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं?
IB के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर और पूर्व IPS अधिकारी यशोवर्धन आजाद से लल्लनटॉप ने कुछ सवाल किए. हमने उनसे पूछा कि इतनी देर तक वेट एंड वॉच की स्थिति क्यों बनी रही. क्या 20 मिनट प्रतीक्षा करने की बजाय SPG को तत्काल यू टर्न नहीं लेना चाहिए था?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा,
20 मिनिट का एक्सपोजर ही इस पूरे वाकए में गंभीर चूक है. ये इसलिए हुआ क्योंकि मौसम खराब होने के बाद वैकल्पिक रूट सड़क मार्ग ही था. इसके लिए व्यवस्था बनाई गई थी. एसपी इंचार्ज बनाए गए थे. लेकिन जो भी कारण हो, प्रदर्शनकारियों को पता लग गया था, मोबाइल सबके पास है, किसी भी जिले में पीएम का काफिला अगर रोड से जा रहा है तो लोगों को पता लग ही जाता है. ऐसे समय में वो प्रदर्शनकारी मौके पर आ गए.
उन्होंने आगे कहा,
पीएम का काफिला चल रहा था. आगे स्टेट पुलिस के लोग थे रास्ता क्लियर करने के लिए और एक फोर्स भी चलती है साथ में. इन्होंने पीएम के काफिले को पीछे रखा.और आगे जाकर प्रदर्शनकारियों से नेगोशिएट करने लगे. यही गलत हुआ. ये नहीं होना चाहिए था. निर्धारित मापदंड के अनुसार काफिला किसी भी हालात में नहीं रोकना था. अगर बल का भी प्रयोग करना पड़ता तो उन्हें करना चाहिए था. क्यों पुलिस नेतृत्व ने फैसला नहीं लिया, किसानों के खिलाफ एक्शन लेने में क्यों हिचकिचाए. इसलिए ये गहरी चूक है.
इस चूक के लिए कौन जिम्मेदार है? इस सवाल के जवाब में उन्होंनेकहा कि रास्ता क्लियर करने का काम स्टेट पुलिस करती है. पीएम किसी राज्य के दौरे पर होते हैं तो जिम्मेदारी स्टेट की होती है. एसपीजी उस समय रिएक्ट करती है जब कोई नजदीक पहुंचता है. ये गलती स्टेट पुलिस से हुई. उन्होंने आगे कहा,
लेकिन इसके पीछे कोई बहुत बड़ी कॉन्सपिरेसी नहीं थी. ये भूल हुई है. सारे राज्यों को गंभीरता से सोचना चाहिए कि पुलिस नेतृत्व आज फैसला क्यों नहीं ले पा रहा है.
ऐसी घटना फिर से ना हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं? IB के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर ने कहा कि ऐसा कभी हुआ नहीं है. देखना पड़ेगा कि वैकल्पिक प्लानिंग सही तरीके से हो. लेकिन सबसे जरूरी है केंद्र और राज्य सरकारों में सामंजस्य. ये बहुत जरूरी है. ताकि जब ऐसी स्थिति पैदा हो कि वैकल्पिक मार्ग चुनना पड़े तो ऐसी स्थिति ना आए.
पंजाब सरकार की कार्रवाई
पंजाब सरकार ने जांच के लिए हाईलेवल कमेटी का गठन किया है. राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि जस्टिस (रिटायर्ड) पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट मेहताब गिल और डिपार्टमेंट ऑफ होम अफेयर्स के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अनुराग वर्मा की कमेटी 3 दिन में रिपोर्ट देगी.
चलते-चलते ये भी जान लीजिए कि पीएम की सुरक्षा पर हर दिन कितना खर्च होता है. पीएम की सुरक्षा पर हर दिन एक करोड़ 62 लाख रुपए खर्च होते हैं. DMK सांसद दयानिधि मारन के एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी 2020 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में दी थी.
दी लल्लनटॉप शो: PM मोदी का काफिला पंजाब में आंदोलनकारियों ने रोका, ज़िम्मेदार CM चन्नी या अमित शाह?