कैशबैक, बैंक ऑफर, कूपन, वाउचर. ये ऐसी कुछ चीज़ें हैं जो सैकड़ों वेबसाइट, ऐप और पोर्टल्स पर ऑनलाइन पेमेंट करने से मिलती हैं. पेटीएम, गूगल पे या फ़ोन पे के ज़रिए पेमेंट करके खरीदारी की. स्क्रैच कार्ड मिला, जिसमें कैशबैक मिल सकता है या फिर दूसरी वेबसाइट पर खरीदारी के लिए डिस्काउंट कूपन. फ़्लिपकार्ट या ऐमज़ॉन से मोबाइल फ़ोन ऑर्डर कर रहे हैं. फ़लानी-ढिमाकी बैंक का क्रेडिट या डेबिट कार्ड इस्तेमाल करिए तो 10% की छूट मिलेगी.
इंटरनेट पर इस कदर ऑनलाइन डील्स हैं कि हिसाब रखना मुश्किल है. बाक़ायदा इसके लिए अलग से ऐप्स और वेबसाइट्स भी हैं. कुछ लोग जरूरत पड़ने पर इन डील्स का फ़ायदा उठाते हैं, मगर कुछ ऐसे भी हैं जो इन डील्स को फ़ुल टाइम पैसा कमाने का ज़रिया बना लेते हैं. और ये फ़ुल टाइम काम होता कहां है? फ़ेसबुक पर मौजूद ग्रुप्स पर. यहीं कैशबैक और बैंक ऑफर्स की मदद से कमाई होती है. यहीं पर इससे जुड़ी हुई ठगी भी होती है. क्या है ये सिस्टम, कैसे काम करता है और ठगी होती कैसे है, इसके बारे में एक-एक करके बताएंगे.
कमाई का जरिया क्या है?
मान लीजिए आपको स्मार्टफ़ोन खरीदना है. कीमत 20,000 रुपए है. ICICI बैंक का क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने पर आपको 2,500 रुपए का डिस्काउंट मिल रहा है. आपने अपने उस दोस्त को फ़ोन मिलाया जिसके पास ICICI का कार्ड है. उससे आपने पेमेंट करने को बोला. उसने 17,500 रुपए का पेमेंट करके फ़ोन ऑर्डर कर दिया. आपने ये पैसे उसे वापस कर दिए. बैठे बिठाए आपको 20,000 रुपए का फ़ोन 17,500 रुपए में मिल गया. दोस्त शरीफ़ है तो नए फ़ोन की मुबारकबाद देकर सलाम-नमस्ते कर लेगा. अगर नटखट है तो ट्रीट के नाम पर 500 रुपए तो खर्च करवा ही देगा. फ़िर भी आखिर में फ़ायदा आपका ही है.

अब अगर आपका वो दोस्त हद से ज़्यादा चालू है. कह रहा है कि पेमेंट करने पर उसका क्या फ़ायदा? आप कहते हैं कि 1,000 रुपए तुमको दे देंगे. ऑर्डर प्लेस होने के बाद आप 17,500 की जगह 18,500 रुपए उसे वापस कर देते हैं. अब भी आपको 1,500 रुपए का फ़ायदा हुआ है क्योंकि फ़ोन की असली क़ीमत तो 20,000 रुपए है. अब इस एक्स्ट्रा नटखटी दोस्त को फ़ेसबुक ग्रुप से बदल दीजिए. और चालू हो गया बैंक ऑफर का धंधा. हमारे मित्र बताते हैं:
“फ़ेसबुक पर कई सारे ग्रुप्स हैं, जहां बैंक ऑफर्स का लेन-देन चलता है. जिसे भी बैंक ऑफर का फ़ायदा उठाना हो, वो ग्रुप में पोस्ट डाल देता है कि फ़लाना-फ़लाना बैंक के कार्ड पर 30,000 का पेमेंट चाहिए. उस कार्ड का इस्तेमाल करने वाले लोग सामने से अप्रोच करते हैं. अपना रेट बताते हैं कि पेमेंट पर 500 रुपए या 1,000 रुपए चाहिए. डील हो जाने पर कार्ड वाला बंदा पेमेंट कर देता है. ऑर्डर पूरा हो जाने के बाद पोस्ट डालने वाला बंदा 30,000 रुपए में कमीशन का पैसा जोड़कर पेमेंट वापस कर देता है.”
सिर्फ़ यही नहीं, कम क़ीमत पर ऐमज़ॉन गिफ़्ट वाउचर, पेटीएम वॉलेट ट्रांसफ़र और दूसरे दर्जनों तरह के काम हैं. मगर सबसे ज़्यादा पॉपुलर ऑनलाइन ऑर्डर पर बैंक ऑफर वाला सिस्टम ही है.
इसी तरह फ़ेसबुक ग्रुप्स पर बैंक ऑफर्स की मदद से कुछ लोग फ़ुल टाइम कमाई कर रहे हैं. मगर इस सब में दिक्कत क्या है? यहां तो खरीदारी करने वाले का भी फ़ायदा है और कार्ड इस्तेमाल करने वाले का भी फ़ायदा. दिक्कत इस डील में नहीं, दिक्कत इस चीज़ में है कि इस पूरी प्रक्रिया में क़दम-क़दम पर धांधली का स्कोप है. इस स्कोप को बार-बार, लगातार, अनगिनत बार इस्तेमाल किया गया है और लोगों को पैसों की चपत लगाई गई है.
फ़ेसबुक ग्रुप पर कैसे होती है ठगी?
आपके पास बैंक का क्रेडिट कार्ड है. आपने 1,000 रुपए कमाने के लिए पेमेंट कर दिया. पोस्ट डालने वाले ने पैसे ही वापस नही किए. हो गई ठगी. ये ठीक वैसा ही है जैसे राह चलते कोई आपसे कहे कि 100 रुपए दो, तुम्हें अभी 1200 रुपए देता हूं. अपने वॉलेट से पैसे निकाले और वो लेकर भाग गया. अब मान लीजिए कि आपने वो पोस्ट डाली थी, दूसरे ने पेमेंट कर दिया, आपने पैसे वापस कर दिए मगर सामने वाले ने ऑर्डर आप तक पहुंचने से पहले ही कैन्सल कर दिया. अब उसके पास आपका पैसा तो है ही, साथ में खुद का पैसा भी आ गया.
इन ठगी को रोकने के लिए ऐसे फ़ेसबुक ग्रुप्स के ऐड्मिन ग्रुप को प्राइवेट रखते हैं. जॉइन करने वालों को अपनी असली ID और अड्रेस प्रूफ़ देना होता है. ये ID ऐड्मिन के पास जमा होती हैं. मगर यहां भी ठगी हो जाती है और ठगी करने वाले को कोई नही पकड़ पाता. कैसे? कई बार ये ID नकली होती हैं तो कई बार ऐड्मिन खुद ही इस सब के पीछे होता है. साफ है कि 1,000-500 रुपए कमाने से ज़्यादा फ़ायदा किसी के हज़ारों रुपए लेकर चंपत हो जाने में है.

ऐसे ही एक फ़ेसबुक ग्रुप के यूजर का हमारे पास ईमेल आया. इन्होंने बताया कि ये एक ऐसे ग्रुप का हिस्सा हैं, जहां पर यही सब होता है. सौदा करने वाले लाखों रुपए इधर उधर करते हैं. सारे ग्रुप मेम्बर्स की ID ऐड्मिन के पास हैं, मगर इन्होंने एक ऐसे शख्स के साथ सौदा कर लिया, जिसकी ID ऐड्मिन के पास थी ही नहीं. इन्होंने अपने क्रेडिट कार्ड से ऑर्डर कर दिया और पैसे का रास्ता ही देखते रह गए.
हमने इस बारे में जब रिसर्च की तो ऐसे अनगिनत मामले हमारे सामने आए. लोग एकाध सौदा करके अपने क्रेडिट कार्ड के ज़रिए 1000-500 रुपए कमा लेते हैं मगर फ़िर कोई न कोई इनके पैसे लेकर भाग लेता है. इंटरनेट है बाबू, ID डिलीट करके गायब होने में कितना ही टाइम लगता है. नीचे लगे हुए स्क्रीनशॉट देखिए:




कई ग्रुप तो ‘फाइट क्लब’ मूवी वाली पॉलिसी भी रखते हैं- “The first rule about fight club is you don’t talk about fight club.” हिन्दी में कहें तो फाइट क्लब का पहला नियम ये है कि फाइट क्लब के बारे में कोई बात नही करनी है. इन फ़ेसबुक ग्रुप के नियम में लिखा होता है:
“इस ग्रुप के बारे में कहीं भी किसी से कोई बात नही करनी है. अगर कोई पूछे भी तो ये कहना है कि इस नाम का कोई ग्रुप मौजूद ही नहीं है।”

फ़ेसबुक ग्रुप पर फ्रॉड का जाल और भी बड़ा है
फ़ेसबुक पर हर चीज़ के लिए ग्रुप हैं. सस्ते में नेटफ्लिक्स और ऐमज़ॉन प्राइम के सब्स्क्रिप्शन चाहिए? 20,000 रुपए का ऐमज़ॉन गिफ़्ट वाउचर 18,000 रुपए में चाहिए? ब्रांडेड आइटम की फर्स्ट कॉपी चाहिए? हर चीज़ के लिए ग्रुप हैं. लोग इन ग्रुप को जॉइन करते हैं, पैसे देते हैं और फ़िर ठग लिए जाते हैं.
कुछ वक़्त पहले हमने e-Nuggets और Part Time Union जैसे ऐप्स के बारे में आपको बताया था. यहां पर हफ्ते भर में लोगों के पैसे दुगने-तिगने हो जाते हैं. शुरुआत में पैसे मिलते हैं फ़िर बाद में सारे यूजर के पैसे लेकर ऐप वाले गायब हो जाते हैं. इनके प्रमोशन के लिए भी ग्रुप हैं.



हमने आपको टेलीग्राम चैनल पर चलने वाले फ्रॉड के बारे में भी बताया था. यहां पर कार्डिंग का नाम लेकर आईफोन 12 जैसे फोन सस्ते में दिलाने का दावा किया जाता है. आप पैसे दे देते हैं और फ़िर ब्लॉक कर दिए जाते हैं. ठीक इसी काम के लिए भी फ़ेसबुक ग्रुप हैं.
इंटरनेट पर बैठा हर इंसान बिज़नेस करने नहीं आया है. कुछ ठगी करने भी आते हैं. ये ठगी सालों से चल रही हैं. सेट फार्मूला है, फ़िर भी लोग ठग लिए जाते हैं. चैट के प्रूफ़ जैसी कोई चीज़ नहीं है. इंसान खुद से एक दूसरा अकाउंट बनाकर अपने आप से चैट कर सकता है या फ़िर नकली चैट बनाने वाले ऐप इस्तेमाल करके “हैप्पी कस्टमर” वाले सबूत बना सकता है. कोई आप के पास आकार कहे कि “10,000 रुपए दो, तुम्हें आईफोन 12 दूंगा”, तो आप उस पर हंस कर दो ही चीज़ें कहेंगे–
“बेवकूफ बनाने के लिए मैं ही मिल हूं क्या?”
या फ़िर “चोरी का माल कहीं और बेचो जाकर”.
लेकिन जब कोई ऑनलाइन यही बात कहता है तो लोग भरोसा कर लेते हैं. इंटरनेट जैसे जैसे देश के कोने-कोने में पहुंचा है, इंटरनेट से जुड़े स्कैम और फ्रॉड भी कोने-कोने में पहुंचे हैं. किसी भी तरह की लुभावनी डील या ऑफर पर आंख मूंदकर तो भरोसा मत ही कीजिए. सबसे बड़ी बात, इस तरह के फ़ेसबुक ग्रुप से बचकर रहिए. दुनिया वासेपुर नहीं है; और ये वक़्त बदला लेने का नहीं अनूप सोनी के कहे मुताबिक़ सजग रहने का है!
वीडियो: गूगल प्लेस्टोर पर मौजूद ‘पार्ट टाइम यूनियन ऐप’ ने यूज़र्स के साथ क्या घपला किया?