10-15 साल वाली कारें 'कबाड़' तो 50-100 साल पुरानी विंटेज कारों पर रोक क्यों नहीं?
दिल्ली में 10 से 15 साल पुरानी कारों को सड़क पर ले जाने पर रोक लग गई है लेकिन 50-100 साल पुरानी विंटेज कारों को इस नियम से बाहर रखा गया है. जानते हैं क्यों?
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दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल की कारें सड़कों पर नहीं चलेंगी. ऐसी कारें लेकर कोई बाहर निकला तो भारी-भरकम जुर्माना उनकी जेब काटेगा. लेकिन इसी दिल्ली में और इसी देश में विंटेज कारों के लिए ऐसा कोई रूल नहीं होगा. वह इन शर्तों से बाहर हैं. सवाल उठता है कि 10-15 साल पुरानी हमारी गाड़ियां सड़क पर चलने लायक नहीं हैं तो 50 से 100 साल पुराने विंटेज कारों में ऐसा क्या है, जो इन पर कोई 'रोक-टोक' क्यों नहीं है? क्या वो पेट्रोल-डीजल से नहीं चलतीं? क्या वो धुआं नहीं छोड़तीं, जिनसे पलूशन हो? क्यों एक ही देश में दो तरह की गाड़ियों के लिए दो तरह के नियम हैं?
इसका जवाब जानेंगे लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि विंटेज गाड़ियां क्या होती हैं?
साल 2021 से पहले भारत में कानूनी तौर पर ‘कोई विंटेज गाड़ी नहीं होती थी’ मतलब इनका औपचारिक रजिस्ट्रेशन नहीं होता था. लेकिन जुलाई 2021 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी एक रूल लेकर आए. इसमें बताया गया कि देश में जो 50 साल पुरानी कारें हैं, वह 'विंटेज' कही जाएंगी. ‘विंटेज’ यानी पुराने जमाने की चीज.

विंटेज पुरानी कारों, शराब या अन्य चीजों के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है लेकिन सदियों पहले इसे ‘वाइन प्रोडक्शन’ के लिए इस्तेमाल किया जाता था. विंटेज शब्द की जड़ लैटिन भाषा में है. 15वीं शताब्दी में वाइन के लिए अंगूर तोड़े जाते थे तो उसे विनम (Vinum) यानी 'वाइन' डिमेरे (Demere) यानी 'तोड़ना' कहा जाता था. बाद में दोनों शब्दों को मिलाकर अंगूर तोड़ने की प्रक्रिया को ‘विंडेमिया’ (Vindemia) कहा जाने लगा.
पुरानी फ्रेंच में जब ये शब्द आया तो इसे ‘वेंडेंज’ (Vendange) कहा गया. यह शब्द अंग्रेजी में आकर ‘विंटनर’ (Vintner) और ‘वेंडेंज’ (Vnedage) शब्द के रूप में प्रचलित हो गया. बाद में ये दोनों शब्द मिलकर ‘Vintage’ (विंटेज) हो गए. 16-17वीं सदी तक इसका मतलब 'अच्छी और पुरानी' वाइन से होता था. 20वीं सदी आते-आते इसका इस्तेमाल अतीत की चीजों को बताने के लिए किया जाने लगा.
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विंटेज कारें क्या होती हैं?एक बात तो क्लियर है कि विंटेज का अर्थ ‘पुराना’ होता है लेकिन कितना पुराना? ब्रिटिश परिभाषा की बात करें तो 1919 से 1930 के बीच की अवधि को ‘विंटेज एरा’ कहते हैं. यहां इस दौरान बनी या इससे पहले की कारों को ‘विंटेज’ कहते हैं. हालांकि, अमेरिकी मानकों में 1925 तक की कारों को विंटेज कहा जाता है. भारत की बात करें तो यहां 50 साल पुरानी यानी 1974 से पहले की कारें ‘विंटेज’ कही जाती हैं.

'द हिंदू' के मुताबिक, जुलाई 2021 में गडकरी ने केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम- 1989 में संशोधन किया और विंटेज कारों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की. नए नियमों के अनुसार, जिन गाड़ियों का पहले से रजिस्ट्रेशन नंबर है, उनको वही नंबर रखने की इजाजत होगी लेकिन जो गाड़ियां विदेश से इंपोर्ट करके लाई गई होंगी और जिन्हें नए रजिस्ट्रेशन की जरूरत होगी, उनके नंबर में 'VA' लिखा जाएगा.
नए नियमों में यह भी कहा गया कि इन गाड़ियों को आम सड़क पर रोज चलाने या इनके कमर्शियल इस्तेमाल जैसे- टैक्सी चलाने या किराए पर देने की इजाजत नहीं होगी. इन्हें सिर्फ प्रदर्शनियों (एक्ज़िबिशन) में ही चलाया जा सकेगा. विंटेज गाड़ियों को हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने से भी छूट मिलेगी, जो बाकी गाड़ियों के लिए एकदम मैंडेटरी है.
मालिक लोग इन गाड़ियों की खरीद-फरोख्त कर सकते हैं लेकिन खरीदार और बेचने वाले दोनों को अपने-अपने राज्य के परिवहन विभाग को इसकी जानकारी देनी होगी. हर 5 साल में इन गाड़ियों को फिटनेस टेस्ट से भी गुजरना होता है.

इसी साल विंटेज कारों को लेकर सरकार ने एक और बड़ा एलान किया. अब तक विंटेज कारों को खरीदा तो जा सकता था लेकिन विदेश से उन्हें इंपोर्ट नहीं किया जा सकता था. 7 फरवरी 2025 को Directorate General of Foreign Trade (DGFT) ने विंटेज कारों को इंपोर्ट करने की अनुमति दे दी. इसके लिए न तो लाइसेंस चाहिए और न ही इंपोर्ट ड्यूटी. इसके लिए ढेर सारा पैसा चाहिए होगा और खुद ही जाकर ये कार लानी होगी. किसी एजेंट के थ्रू मंगाने पर महंगी इंपोर्ट ड्यूटी देनी पड़ सकती है. हां, एक अहम बात ये कि इंपोर्ट की गई गाड़ी को 5 साल तक बेच नहीं सकते.

अब सवाल है कि जब देश में विंटेज कारों को लेकर इतने सारे नियम हैं तो ‘10-15 साल वाला’ नियम इस पर क्यों लागू नहीं होता?
इसका एक जवाब तो यही है कि इन कारों को सामान्य गाड़ियों की तरह वैसे भी सड़क पर चलने की इजाजत नहीं है. दूसरा, भारत में विंटेज गाड़ियों की संख्या भी बहुत ज्यादा नहीं है. एक हजार से 4 हजार के बीच विंटेज कारें भारत में फिलहाल मौजूद हैं. इन कारों के रेगुलर या कमर्शल इस्तेमाल पर सरकार ने रोक लगा रखी है.
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