The Lallantop

हाथ हिले या शरीर थरथराए, स्मार्टफोन कैमरे से फोटो एकदम टिपटॉप कैसे आती हैं?

अगली बार स्मार्टफोन लेने से पहले ये कैमरा फीचर्स जरूर देखना.

Advertisement
post-main-image
स्मार्टफोन कैमरे का ज्ञान गणित (image-pexels)

स्मार्टफोन से फोटो लेते समय आपके हाथ हिल रहे हों या शरीर. या फिर भले ही आपका प्यारा कुत्ता परेशान करे, लेकिन फोटो एकदम झमाझम आती हैं. लो लाइट में कोई इमेज ब्लर क्यों नहीं होती? कभी सोचा ऐसा क्यों होता है? दरअसल इसके पीछे काम करती है कैमरे की एक तकनीक. नाम है OIS. मतलब Optical Image Stabilization. स्मार्टफोन मेकर्स इसके बारे में बताते हुए नहीं थकते. लेकिन क्या ये आपके फोन में वास्तव में होती भी है? अगर OIS है तो फिर EIS क्या बला है? इन दोनों के होते Apple क्यों sensor-shift stabilization की धौंस देता है? पेपर पर एक से दिखने वाले इन कैमरा फीचर्स के बारे में इस आर्टिकल में जानते हैं.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement
Optical Image Stabilization

सबसे पहली बात. OIS एक स्मार्टफोन के हार्डवेयर का फीचर है. सॉफ्टवेयर से इसका कोई लेना देना नहीं. कैमरे से अच्छी फोटो लाने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से इसका दूर-दूर तक वास्ता नहीं है. OIS मतलब फोन के जाइरोस्कोप और बेहद छोटी-छोटी मोटर्स की वो व्यवस्था, जो स्मार्टफोन कैमरे के लेंस और सेंसर के साथ हिलती डुलती है. मुख्य कैमरा लेंस को इस तरह से फिक्स किया जाता है कि वो हमेशा स्थिर रहे. आपका हाथ, सेल्फ़ी स्टिक या गिम्बल भले ऊपर नीचे हो लेकिन कैमरा हमेशा फिक्स रहता है.

जाइरोस्कोप और सेंसर की मदद से कैमरा आपके हाथ का मूवमेंट समझता है और अगर आप राइट मुड़ते हैं, तो वो बैलेंस बनाए रखने के लिए कैमरा लेंस खुद से लेफ्ट की तरफ मुड़ जाता है. यहां एक बात आपके लिए जानना बहुत जरूरी है. किसी स्मार्टफोन में ऊपर-नीचे का मूवमेंट फिक्स हो सकता है और किसी में दाएं-बाएं का. स्मार्टफोन की भाषा में कहें, तो मिडरेंज और फ्लैग्शिप पर निर्भर करेगा कि OIS कैसा है. हाइएन्ड DSLR कैमरे में चारों दिशाओं से OIS काम करता है, इसलिए अगली बार कोई कंपनी (OIS) का राग अलापे तो पूछ लेना. भाई, सिस्टम कौन सा है? OIS होने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे ली गई फोटो एकदम स्थिर रहती है. वहीं EIS में ऐसा हमेशा नहीं होता.

Advertisement
Electronic Image Stabilization

एक शब्द में कहें तो सॉफ्टवेयर का जादू. लेकिन ये गूगल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बहुत अलग है. पिक्सल फोन में फोटो को क्लिक करके मिली इमेज को चंद सेकेंड में शानदार तस्वीर में बदला जाता है. लेकिन EIS इससे अलग है. इस तकनीक में फोन के एक्सेलेरोमीटर से हाथ की मूवमेंट को महसूस किया जाता है और इसके बाद हर फ्रेम को एक साथ मिक्स किया जाता है. सॉफ्टवेयर यहां अपनी भूमिका निभाता है और इमेज को जूम और उसको स्कैन करता है. 

सॉफ्टवेयर को अगर लगता है की इमेज में शेकिंग है, तो वो इमेज को पलट देता है जिससे ब्लर हुए इमेज अलग हो जाते हैं. EIS थोड़ा जटिल प्रोसेस है, जिसमें जूम करना, फ्रेम क्रॉप करना, इमेज की पोजीशन बदलना शामिल है, इसलिए इसमें इमेज की क्वालिटी कई बार अच्छी नहीं आती. वैसे EIS वीडियो लेते समय अच्छा काम करता है. स्मूथ वीडियो आते हैं क्योंकि ये फोकस को लॉक कर देता है. हां, अब है तो सॉफ्टवेयर पर आधारित, तो गड़बड़ भी हो जाती है. कभी-कभी वीडियो टूटे हुए से नजर आते हैं. तकनीक की भाषा में इसको jelly इफेक्ट कहते हैं. EISआमतौर पर मिडरेंज स्मार्टफोन का फीचर है.

कीमत का अंतर

अब जाहिर सी बात है EIS सॉफ्टवेयर तकनीक है तो सस्ती होती है इसलिए मिडरेंज स्मार्टफोन में ये खूब इस्तेमाल होती है. वैसे गूगल ने अपने पहले पिक्सल में इस तकनीक का इस्तेमाल किया था. हालांकि बाद में वो OIS और AI के भरोसे हो गया है. OIS मतलब कैमरा सेंसर में बड़ा बदलाव. मतलब पैसे का खेल. इसलिए ये सिर्फ फ्लैग्शिप स्मार्टफोन मॉडल में ही मिलता है. कुछ अच्छे मिडरेंज स्मार्टफोन जैसे गूगल, सैमसंग, वनप्लस भी आजकल ये तकनीक देते हैं. लेकिन सिर्फ मेन कैमरे में. वहीं टॉप मॉडल में टेलीस्कोप कैमरे में भी OIS सपोर्ट होता है. वैसे आजकल हाइएन्ड स्मार्टफोन में  Hybrid Image Stabilization (HIS) मिलता है. बोले तो OIS और EIS का कॉम्बो.

Advertisement
iPhone किधर है?

यहीं है. बस थोड़ा स्मार्ट है. हमने OIS के बारे में बताया, जिसमें लेंस मूवमेंट होता है. एक नॉर्मल OIS में लेंस एक सेकंड में एक हजार बार मूव कर सकता है. लेकिन ऐप्पल ने इसको सीधे पांच हजार बार मूव करा दिया. तकनीक का नाम है Sensor-Shift Stabilization (SIS). ऐप्पल के आईफोन 12 और 13 सीरीज में यही तकनीक है. अब फोटो कैसे आते हैं, वो बताने की जरूरत नहीं. वैसे इस तकनीक पर सैमसंग ने भी हाथ आजमाया लेकिन फेल हो गया.

एक तकनीक और है- Gimble Camera Stabilization. जिसको सिर्फ एक स्मार्टफोन मेकर इस्तेमाल करता है. तकनीक इतनी जटिल, महंगी, और भारी है की गिंबल की जगह इमेज में फंबल ज्यादा आते हैं.

उम्मीद है आपको पूरा गेम समझ आ गया होगा. 

वीडियो: एयरटेल ने अपने 5G प्लांस के बारे में क्या कहा?

Advertisement