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स्मार्टफोन चार्ज करने का ये तरीका आपकी निजी जानकारी सार्वजनिक कर सकता है.

स्मार्टफोन कहीं पर भी चार्ज करने की आदत है तो आप अनजाने में हैकिंग के शिकार बनने वाले हैं.

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चार्जर हैकिंग पब्लिक प्लेस पर होने वाला क्राइम है. (image-unsplash)

स्मार्टफोन कितने स्मार्ट क्यों ना हो गए हों लेकिन आज भी बैटरी औसत से थोड़ी ही अच्छी हुई है. आपके पास हो आईफोन या एंड्रॉयड, दिन खत्म होते-होते बैटरी हांफने लगती है. अमूमन हम ऐसे में क्या करते हैं. ये भी कोई बताने वाली बात है क्या. केबल उठाई और चार्जिंग पोर्ट में घुसेड़ दी. बेफिक्र, बिंदास, बिना किसी टेंशन के. यही बेफिक्री आपके लिए परेशानी का सबब बन सकती है. स्मार्टफोन हैक हो सकता है. तकनीक की भाषा में इसको कहते हैं juice jacking. कोई भी पब्लिक प्लेस मसलन रेलवे स्टेशन, मॉल, एयरपोर्ट, मेट्रो और बस स्टैंड, होटल, रेस्तरां, ऑफिस. आसान शब्दों में कहें तो ऐसी कोई भी जगह जहां बहुत से लोग अपना फोन चार्ज करते हैं और वहां यूएसबी चार्जिंग पोर्ट लगे हुए हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है.

आपकी जानकारी के लिए बता दे की juice jacking कोई नया शब्द नहीं. 2011 में सबसे पहले ये शब्द सामने आया. जूस इसलिए क्योंकि आम भाषा में हम कहते हैं ना कि अभी बैटरी में कितना जूस है. मतलब कितनी पावर बची हुई है. चार्जर से होने वाली हैकिंग कितनी खतरनाक है, उसका अंदाजा सिर्फ एक उदाहरण से लग जाएगा. सिक्योरिटी एक्सपर्ट को  Mactans नाम का एक यूएसबी चार्जर मिला जो आईफोन में मालवेयर डाल सकता था. हां जी आईफोन में. 2019 में तो अमेरिकी सरकार को बाकायदा इसके लिए चेतावनी देनी पड़ी थी कि हो सके तो पब्लिक प्लेस पर यूएसबी चार्जिंग से बचिए. आजकल स्मार्टफोन में सिर्फ चार्जिंग का ऑप्शन आता जरूर है लेकिन सायबर अपराधी crawler program के जरिए सेंध लगा सकते हैं.

crawler program समझने के लिए पहले यूएसबी चार्जिंग के पास चलते हैं. आपने देखा होगा जब भी आप कोई स्मार्टफोन यूएसबी चार्जिंग पोर्ट से चार्ज करते हैं तो स्मार्टफोन पर कई ऑप्शन नजर आते हैं. जैसे सिर्फ चार्जिंग, डेटा ट्रांसफर, मीडिया प्ले या फिर चार्जिंग और डेटा ट्रांसफर . मतलब कोई एक ऑप्शन तो आप चुनते ही हैं. अगर आपने सिर्फ चार्जिंग का ऑप्शन चुना है तो हैकिंग के चांस कम हैं. कम हैं लेकिन खत्म नहीं. crawler program वास्तव में एक किस्म का बोट है जिसको  spider, robots,  worms के नाम से भी जानते हैं. अपने नाम के मुताबिक ये बहुत धीमे चलने वाला प्रोग्राम है जो गूगल और दूसरी वेबसाइट इस्तेमाल करती हैं कॉन्टेन्ट को ट्रांसफर करने के लिए. इसी प्रोग्राम में सेंध लगाते हैं अपराधी विशेषकर Zero-day वाले दिन. तकनीक में ये वो दिन होता है जब कंपनियां अपने सॉफ्टवेयर में बग्स का पता नहीं लगा पाती या देर से पता कर पाती हैं. स्मार्टफोन है तो उसमें गूगल से लेकर तमाम वेबसाइट जरूर होंगी. आपकी किस्मत खराब हुई और Zero-day वाला दिन हुआ तो सेंध लगना तय है

अब ये समझना कोई बड़ी बात तो है नहीं कि जब भी किसी यूएसबी पोर्ट में आप अपना स्मार्टफोन लगाते हैं तो उनके बीच एक पाथ बनता है और यही पाथ या रास्ता हैकर्स हेवन बोले तो ठगों का स्वर्ग है. अब इसके बाद क्या होगा वो हम दसियों बार बता चुके, इसलिए समझते हैं की इससे बचना कैसे है.

सबसे पहले स्मार्टफोन का चार्जर इस्तेमाल करें

अब हम सब आलसी हो गए या फिर यूएसबी पोर्ट की उपलब्धता. हम अक्सर सिर्फ केबल साथ में लेकर चलते हैं. केबल के साथ चार्जर भी कैरी कीजिए. हो सके तो एक और चार्जर खरीद सकते हैं.

पावर बैंक का इस्तेमाल

खुद का यूएसबी पोर्ट बन जाएगा. बढ़िया क्वालिटी का पावर बैंक एक स्मार्टफोन कम से कम दो बार चार्ज करने के कम आएगा.

सॉफ्टवेयर सिक्योरिटी

अगर पब्लिक प्लेस पर यूएसबी चार्ज करना ही पड़ रहा है तो फोन लॉक रखें. आजकल के स्मार्टफोन में by default सिर्फ चार्जिंग का ऑप्शन इनेबल होता है. मतलब डेटा ट्रांसफर ब्लॉक रहता है इसलिए हैकिंग के चांस कम हो जाते हैं. अगर ये ऑप्शन बंद है तो सेटिंग्स में जाकर ऑन कर लें. एक बात का ध्यान रखिए. ऐसा करना कोई गारंटी नहीं है क्योंकि हैकर्स स्मार्टफोन लॉक होने पर भी स्टोरेज तक पहुंच सकते हैं. आपको लगेगा कि भाई ऐसा कैसे तो जब स्मार्टफोन स्विच ऑफ होने पर भी सर्च किया जा सकता है तो ये करना भी कोई मुश्किल तो नहीं.    

यूएसबी ब्लॉकर

ऊपर के तीन उपाय से आपका काम बन जाएगा लेकिन अगर आप frequest ट्रैवल करते हैं तो ये डिवाइस खरीद सकते हैं. अपने नाम के हिसाब से ये डेटा चोरी रोकने का काम करता है. यूएसबी से सिर्फ पावर ट्रांसफर होगी जैसे आपके स्मार्टफोन के वाल चार्जर से होती है.

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