
पार्ट टाइम यूनियन ऐप पर मौजूद इनवेस्टमेंट स्कीम.
इतना ज्यादा रिटर्न तो कभी किसी बैंक को किसी भी तरह देते हुए नहीं सुना. बहरहाल ये वाली तो Part Time Union का स्पेशल ऑफर था. इससे पहले इनकी ऐप पर सीधा सा नियम था. अपने मन मुताबिक पैसे डालिए. वर्चुअल ऑर्डर प्लेस करिए. उसके बाद आपके ऑर्डर का पैसा प्लस 3% कमीशन आपके खाते में. फ़िर इसी तरह हर दिन 3% पैसा बढ़ाते रहिए. जब पैसे निकालने हों तो डायरेक्ट अपने बैंक अकाउंट में निकाल लीजिए. लोगों के पैसे वापस भी आए. महीनों तक ये चलता रहा और फ़िर 20 जनवरी के बाद से पैसे निकलना बंद हो गए.

गूगल प्ले स्टोर पर Part Time Union ऐप.
ऐप में ऑर्डर और कमीशन को लेकर बड़ी तगड़ी-तगड़ी बातें कही गई हैं. ये कहते हैं कि ई-कॉमर्स वेबसाइट पर किसी प्रॉडक्ट को, ब्रांड को पॉपुलरिटी तभी मिलती है, जब उसे बहुत सारे लोगों ने खरीदा हो या अच्छे रिव्यू डाले हों. इसलिए ये नए बिज़नेस की मदद करते हैं. अपने प्रॉडक्ट की सेल वॉल्यूम बढ़ाने के लिए. इसके लिए इन्होंने अमेज़न जैसी शॉपिंग वेबसाइट्स के साथ पार्टनरशिप की है. ऐप के यूजर पैसे जोड़ते हैं, फिर ऐप पर मौजूद प्रॉडक्ट को बस एक सिंगल बटन दबाकर ऑर्डर करते हैं. जिसके बाद यूजर को इसका कमीशन मिलता है और ऑर्डर करने में जो पैसे खर्च हुए वो भी वापस आ जाते हैं.
अगर आपको इस पर थोड़ा सा भी भरोसा हो रहा है, तो बता दें कि ये बोगस है. हमारे इलाके में लंबी-लंबी छोड़ने वाले शख्स भी इतनी लंबी नहीं छोड़ते. इस सब की जगह ऐप को सीधे से कहना था कि इनके पास एक खेत है और जब ऐप का यूजर ऐप को इस्तेमाल करता है तो इनके खेत की धरती ज़मीन से सोना और हीरे-मोती उगलने लगती है. ज्यादा सेंस बनता. # Part Time Union ऐप के यूजर क्या कहते हैं पार्ट टाइम यूनियन ऐप के यूजर इस पर ठगी और स्कैम का आरोप लगा रहे हैं. इस ऐप में इन्वेस्ट करने वाले सीतापुर निवासी मोहम्मद कैफ ने हमें बताया:
“कई लोग इस ऐप में पैसा लगाकर कमाई कर रहे थे. हम सोचे हम भी कर लेते हैं. हमने स्पेशल स्कीम में तो इन्वेस्ट नहीं किया. बस ऐप में पैसे जोड़कर 3-3% करके रकम बढ़ाते रहे. हमने दो फ़ोन की मदद से दो अकाउंट बनाए ताकि दो जगह से पैसे बढ़ सकें. मगर हम तो एक बार भी पैसे नहीं निकाल पाए क्योंकि 20 जनवरी से पैसे निकलना बंद हो गए. एक अकाउंट में हमारे 9600 रुपए थे और एक अकाउंट में 6800 रुपए.”इस ऐप का पूरा मामला हमारे साथी आमिर ने साझा किया. ये कहते हैं:
“एक दिन हम एक वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़े गए. यहां इस ऐप के बारे में पता चला. ये ग्रुप ऐप से जुड़े लोगों ने ही बना रखा था और इस पर ऐप से जुड़े अनाउंसमेंट आते थे. हमने भी ऐप इंस्टॉल किया और अकाउंट बनाया. मगर जब इतना ज्यादा रिटर्न देखा तो हमें पूरा शक हुआ कि ये फ्रॉड है. आज पैसे दे रहा है लोगों को लेकिन कल लेकर भाग जाएगा. हमने लोगों को समझाया भी मगर जो रोज के हजारों रुपए बना रहे हों, वो किसी की कहां सुनने वाले थे. ऊपर से ये ऐप प्ले स्टोर पर मौजूद था इसलिए लोगों का भरोसा और भी ज़्यादा था. हमारे खुद के मामा नहीं माने तो दूसरों का क्या ही बताएं. हमारे मामा का तो 30,000-40,000 रुपया ही डूबा है, मगर उसी ग्रुप के कई लोगों का लाखों में नुकसान हुआ है.”आप नीचे लगे हुए स्क्रीनशॉट में कुछ यूजर के जमा किए हुए पैसे देख सकते हैं:

पार्ट टाइम यूनियन ऐप पर लोगों का इनवेस्टमेंट.
आमिर आगे बताते हैं:
“20 जनवरी के बाद से जब पैसे आने बंद हुए हैं, तब से कंपनी वाले कोई न कोई बहाना बनाए जा रहे हैं. कभी कह रहे हैं कि फलाना टैक्स का नियम है तो कभी कुछ और बोल रहे हैं. ज़्यादातर ने मान लिया कि इनके साथ ठगी हो गई है मगर फ़िर भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो इसके बावजूद भी ऐप में पैसे जोड़ते ही जा रहे हैं.”# जिनका पैसा रुक गया है उन्होंने पुलिस कंप्लेन की है Part Time Union के खिलाफ़ कई लोगों ने साइबर क्राइम पोर्टल पर कंप्लेन भी की है. इन कंप्लेन की PDF कॉपी द लल्लनटॉप के साथ भी साझा की गई है. नीचे जो स्क्रीनशॉट लगा है वो साद आज़म नाम के शख्स की कंप्लेन है. इनका कहना है कि इन्होंने 1 लाख रुपए से ज़्यादा इसमें इन्वेस्ट किया, जो अब बाहर नहीं आ रहा है.

साइबर फ्रॉड कंप्लेन की कॉपी का स्क्रीनशॉट.
शावेज़ खान नाम के एक शख्स ये दावा करते हैं कि इन्होंने Part Time Union ऐप के पीछे कंपनी का पता लगा लिया है. ये कहते हैं:
“ऐप पर तो लिखा है कि ये कंपनी अमेरिका की है मगर है ये इंडिया की ही. इंटरनेट पर आप क्या नहीं सर्च कर सकते. इस ऐप से जब हम पैसा अपने बैंक अकाउंट में निकालते थे, तो पैसे भेजने वाले का नाम एकदेव उद्योग प्राइवेट लिमिटेड लिखकर आता था. इस कंपनी को गूगल पर सर्च किया तो पता चला कि ये कोलकाता की है.”Part Time Union के वॉट्सऐप ग्रुप पर जब शावेज़ जी ने एकदेव कंपनी का जिक्र किया तो ग्रुप ऐड्मिन ने सभी को ग्रुप से बाहर निकाल दिया.
हमने इस कंपनी के बारे में जानकारी निकाली तो इसका अड्रेस और डायरेक्टर के नाम भी मिल गए. ज़ूबाकॉर्प वेबसाइट के मुताबिक एकदेव उद्योग को सितंबर 2020 में रजिस्टर किया गया. गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद जानकारी के मुताबिक Part-Time Union ऐप को नवम्बर 2020 में प्लैट्फॉर्म डाला गया. ये कंपनी इस ऐप के पीछे है या नहीं ये जानने के लिए हमने इनकी ईमेल ID पर संपर्क किया मगर हमें कोई जवाब नहीं मिला है.

अभी ये कहना मुश्किल है कि ये कंपनी ही पार्ट टाइम यूनियन ऐप के पीछे है.
हमने Part Time Union से जुड़े सभी नंबर, वॉट्सऐप अकाउंट, टेलीग्राम अकाउंट और ईमेल अड्रेस के जरिए इनसे बात करने की कोशिश की मगर कहीं भी कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला. गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद डेवलपर के दिए हुए ईमेल अड्रेस पर भी कोई जवाब नहीं मिला.
आमिर कहते हैं:
"सीतापुर ज़िले के बहुत से लोग इसमें फंस गए हैं. लखीमपुर और शाहजहांपुर में भी लोगों के हजारों रुपए डूबे हैं. मगर असली खेल तो बरेली वग़ैरह के लोगों के साथ हुआ है. ग्रुप मे मौजूद लोगों के जरिए ही पता चला है कि उधर लोगों ने 6-6 लाख रुपए इसमें लगा रखे हैं. पता नहीं पुलिस कंप्लेन का कोई फायदा होगा भी या नहीं."कुछ वक़्त पहले हमने e Nuggets ऐप के बारे में आपको बताया था. ये ऐप भी वर्चुअल ऑर्डर और कमीशन के नाम पर लोगों को पैसा देता था. लोग 1,000 रुपए जोड़कर 1,100 रुपए निकाल लेते थे. शुरुआत में इसने पैसे दिए मगर फ़िर एक दिन सारा पैसा लेकर फ़रार हो गया. फ़िर e Nuggets नाम बदलकर Lucky City नाम से आया. फ़िर वो भी फ़रार हो गया. आप इस स्टोरी को यहां क्लिक करके
पढ़ सकते हैं.
इसी तरह और बहुत से ऐप हैं. जो चंद दिनों में आपको मालामाल बना देने का सपना दिखाते हैं मगर बाद में गायब हो जाते हैं. मगर इन सब में और Part Time Union में एक फ़र्क है. Part Time Union ऐप गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद है और इसे 50,000 से ज़्यादा बार डाउनलोड किया गया है.