एक जमाना था या कहें क्या ही जमाना था. जब नई फटफटी या कार लेते ही अपन जाते थे नंबर प्लेट वाले भईया की दुकान पर. पहले-पहल प्लेट पर लिखवाते A/F मतलब अंडर रजिस्ट्रेशन और फिर जब महीनों में नंबर आ जाता तो फिर होता असली स्टाइल वाला खेला. रेडियम नंबर की धूम और फिर भरपल्ले स्टाइल में लिखाया गया नंबर. जो प्रीमियम नंबर हुआ, मसलन 8055, तो उसको 'BOSS' लिखवाते और अगर लास्ट में हुआ 214 तो उसको बना देते हिन्दी में ‘राम’ (२१4). लेकिन फिर आ गई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) और सारे रौले पर ब्रेक लग गया.
ये काम कर लिए तो ना गाड़ी की HSRP का रंग उड़ेगा, ना कटेगा चालान
वाहनों में लगने वाली HSRP प्लेट के साथ एक दिक्कत है. कई बार अंकों का ब्लैक रंग फीका पड़ जाता है. कुछ केसों में तो ये सफेद ही हो गया. नंबर देखना बहुत मुश्किल. सड़क पर लगे कैमरों के लिए तो और दिक्कत. नतीजा, कई लोगों के चालान कट गए. हम आज इसी की बात करने वाले हैं.

HSRP आने से स्टाइल मारने का जुगाड़ तो खत्म हो गया, लेकिन एक चिंता भी दूर हुई. इसके अंदर गाड़ी के इंजन नंबर से लेकर चेचिस नंबर की पूरी डिटेल होती है तो चोरी होने पर ढूंढने में आसानी होती है. लेकिन जो सब अच्छा ही अच्छा होता तो आपको तो पता ही है, हम यहां तारीफ़ों का बांद्रा-वर्ली सी-लिंक थोड़े ना बना रहे होते.

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इस प्लेट के साथ एक दिक्कत है. कई बार अंकों का ब्लैक रंग फीका पड़ जाता है. कुछ केसों में तो ये सफेद ही हो गया. नंबर देखना बहुत मुश्किल. सड़क पर लगे कैमरों के लिए तो और दिक्कत. नतीजा, कई लोगों के चालान कट गए. हम आज इसी की बात करने वाले हैं. HSRP प्लेट के रंग गायब होने वाली दिक्कत और उसके निपटारे की. पहले जान लेते हैं कि आखिर HSRP है क्या.

हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट जो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की निगरानी में बनती है. हाई क्वालिटी एल्यूमीनियम से बनी इस प्लेट को लगाते भी खास तरीके से हैं. नट-बोल्ट वाला सिस्टम नहीं होता बल्कि snap-on locks सिस्टम है. नंबर के साथ इसमें एक होलोग्राम भी होता है जो हर प्लेट का यूनीक होता है. इसके अंदर होते हैं 10 अंक जो उस वाहन की पूरी कुंडली बता सकते हैं. पहले-पहल सिर्फ दिल्ली के वाहनों को इस प्लेट को लगवाना अनिवार्य था, मगर 2019 के बाद इसको पूरे देश में अनिवार्य कर दिया गया है. नई गाड़ियां तो अब HSRP के साथ ही आती हैं, मगर पुरानी गाड़ियों के लिए भी ये जरूरी है. इनकी आधिकारिक वेबसाइट से फीस भर के इसको लगवाया जा सकता है.
कहानी से इतर बात इसकी क्वालिटी की. ये प्लेट 45 डिग्री के तापमान पर बनाई जाती हैं. मतलब अच्छे-खासे तापमान को भी झेल सकती हैं. फिर ऐसा क्या होता है जो इनका रंग उड़ जाता है. वैसे तो प्लेट 5 साल की वारंटी के साथ आती है मगर वो Rubbed/scratched/wiped with detergents, alkaline solutions, disinfectants जैसी कंडीशन पर लागू नहीं. 2020 में पणजी में तो कई वाहनों में ऐसा हुआ और तब इसको बनाने वाली कंपनी ने कोविड के समय इस्तेमाल हुए सेनेटाइजर को इसका कारण बताया था. माने इसका कोई मतलब नहीं. इसलिए रंग उड़ने पर फोकस करते हैं.
# गीला कपड़ा और प्रेशर वाली धुलाई: वाहनों को साफ करते समय अक्सर जो गीला कपड़ा इस्तेमाल होता है वो और साथ में प्रेशर वाश इसका सबसे बड़ा कारण हैं.
# बचने के लिए क्या करें: आसान उपाय तो यही है कि गाड़ी साफ करते समय प्लेट को गीले कपड़े से दूर रखें. सूखा कपड़ा बहुत है. धुलाई के समय भी कवर कर दें और साथ में प्रेशर को इससे दूर रखें. इतना करना ही बहुत है.
# प्लेट पर क्लीयर कोट (एक किस्म का लेमिनेशन) या PPF (पेंट प्रोटेक्शन फिल्म) लगा सकते हैं.
जो आपने कछु नहीं किया और प्लेट का रंग उड़ा तो चालान भरना ही पड़ेगा और साथ में नई प्लेट लगवाने का खर्च अलग.
हैप्पी राइडिंग!
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