साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन क्राइम से जुड़े अपराधों की बात रोज ही सुनने को मिलती है. अब तो ये लिखने में भी कोई तुक नहीं बैठता कि खुद प्रधानमंत्री मोदी इसको लेकर आगाह कर चुके हैं. बच्चन साहब भी कितने दिनों तक फोन के अंदर से इसको लेकर हमें सावधान करते रहे. मगर अपराध कम नहीं हुए. ऐसा लगा मानो कोई अच्छी खबर नहीं आएगी. लेकिन अब एक अच्छी खबर आई है. खबर जो आशा की किरण जैसे लगती है. जो हुआ है अगर वही आगे भी होता रहा तो फर्जीवाड़े पर लगाम लगना तय है. मीटर सेट अब खबर बताते हैं.
एक बार में लाखों लुटेरे फर्जी कॉलर्स का सफाया, टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने ये कमाल किया कैसे?
Department of Telecommunications (DoT) ने 4 लाख से ज्यादा सिम बंद किए हैं जिनका सीधा संबंध स्कैम और फ्रॉड से है. दूरसंचार विभाग ने रोज के 2 हजार से ज्यादा सिम का कनेक्शन हमेशा के लिए काट दिया है.

दरअसल Department of Telecommunications (DoT) ने 4 लाख से ज्यादा सिम बंद किए हैं जिनका सीधा संबंध स्कैम और फ्रॉड से है. दूरसंचार विभाग ने रोज के 2000 से ज्यादा सिम का कनेक्शन हमेशा के लिए काट दिया है. कैसे हुआ ये?
AI निकला बड़ा भाईसाइबर फ्रॉड की जड़ है फर्जी सिम. साइबर ठग येन केन प्रकारेण दूसरे के नाम से सिम का जुगाड़ करते हैं और फिर अपराध को अंजाम देते हैं. अमूमन एक अपराध के बाद ऐसी सिम को वो खुद ही बंद कर देते हैं. अब जो कैसे भी वो नंबर ट्रेस हो भी गया तो पता चलता है कि सिम का मालिक कोई और है. उसे तो पता भी नहीं होता कि उसके नाम पर कांड हो रखा है.
इसका तोड़ निकाला दूरसंचार विभाग ने. उसने लगाया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को काम पर. विभाग से इस साल मई में Financial Risk Indicator (FRI) लॉन्च किया था. इस सिस्टम का काम था एक जैसे पैटर्न वाले सिम कार्ड्स को पकड़ना. उदाहरण के लिए, फ्रॉड कॉल किस इलाके से आ रहे. किस नंबर की सीरीज से आ रहे. कौन से समय आ रहे वगैरा-वगैरा. मतलब ये पता करने का प्रयास किया गया कि अपराधियों का झुंड कहां से ऑपरेट कर रहा है. इनका पैटर्न क्या है.
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सिस्टम ने अपना काम किया और मई के बाद से रोज के 2000 से ज्यादा सिम पकड़ डाले. अब तक तकरीबन 4 लाख से ज्यादा ऐसे सिम को बंद किया गया है. पता है गणित के हिसाब से तो आपको ये आंकड़ा कम लगेगा, मगर 2000 रोज का औसत है.
चलो अच्छा है. साइबर अपराध से निपटने में जो हो सकता है, वो होना चाहिए.
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