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वाशिंग मशीन और डिटर्जेंट का ये खेल समझ लें, कपड़े धोना मजा बन जाएगा

कपड़े धोने वाली मशीन जिसे वाशिंग मशीन कहते हैं. इसी मशीन में अलग-अलग तरीके के डिटर्जेंट इस्तेमाल होते हैं. टॉप लोड का अलग और फ्रन्ट लोड का अलग. क्यों भाई. चलिए आज सब 'धोकर' ही जान लेते हैं.

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अलग-अलग डिटर्जेंट के पीछे का साइंस

दो मशीनें हैं, एकदम अलग-अलग डिजाइन वाली मगर काम एक ही करती हैं. एक ही टाइम में और एक ही तरीके से. मगर इनका जो बेस है वो अलग-अलग है. कंपनियां बोलती हैं कि अलग बेस है क्योंकि इसके पीछे विज्ञान है. लेकिन आम जनता को ऐसा नहीं लगता. उनको लगता है कि जब दोनों मशीनें एक जैसा काम करती हैं तो बेस अलग रखने का मकसद सिर्फ मार्केटिंग के फंडे हैं. कान इधर की जगह उधर से पकड़ा दो और पैसा बढ़ा दो. इतना पढ़कर आपको लगेगा कि क्यों दिमाग धो रहे हो. जनाब बात ही धोने की है.

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कपड़े धोने की और कपड़े धोने वाली मशीन की जिसे वाशिंग मशीन कहते हैं. इसी मशीन में अलग-अलग तरीके के डिटर्जेंट इस्तेमाल होते हैं. टॉप लोड का अलग और फ्रन्ट लोड का अलग.  क्यों भाई. चलिए आज सब 'धोकर' ही जान लेते हैं.

क्या है टॉप लोड?

जैसा नाम वैसा ही डिजाइन. मशीन के ऊपर की तरफ कांच और प्लास्टिक का ढक्कन. इसको ओपन करो और कपड़े डाल दो. इसके साथ टॉप लोड वाला डिटर्जेंट, जिसकी कहानी को अभी अल्पविराम. क्योंकि टॉप लोड के अंदर जाने का टाइम है. मतलब इसके अंदर की मशीन को समझने का. मशीन के अंदर होता है agitator, बोले तो आधे से लेकर पूरा गोल घूमने वाली ताकतवर मोटर. यही मोटर घूमती है और कपड़े साफ करती है. ये वाली मशीन ज्यादा कपड़े धोने में एक्सपर्ट होती है तो गंदे कपड़े धोने में भी इसको प्लस मिला हुआ है. एकदम देसी मुंगरी टाइप मामला. फ्रन्ट लोड के मुकाबले सस्ती भी होती है. हालांकि सब कपड़े जैसा साफ नहीं, क्योंकि इनको पानी और डिटर्जेंट दोनों ज्यादा लगता है.

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क्या है फ्रन्ट लोड?

सामने के दरवाजे वाली मशीन जिसमें impeller लगा होता है. एक साइज वाले बड़े कपड़े के लिए बढ़िया ऑप्शन. आहिस्ता से हौले से कपड़े धोती है. एकदम जैसे हम घर में बाल्टी में हाथ से कपड़े धो रहे हों. पानी और डिटर्जेंट कम लगता है, मगर यहां भी कुछ झोल हैं. जैसे कई बार ज्यादा कपड़े होने पर उलझ जाते हैं और पैसा भी ज्यादा लगता है. इसके पीछे इसकी आवाज कम करने और डिजाइन का बहाना दिया जाता है.

अब डिटर्जेंट घोलते हैं. टॉप का अलग इसलिए क्योंकि वो झाग ज्यादा बनाता है. अब पानी भी खूब है तो बनने दो गुब्बारे. वहीं फ्रन्ट लोड में पानी की खपत कम होती है तो कम झाग वाला डिटर्जेंट. अगर उल्टा कर दिया तो दिक्कत होगी. मतलब टॉप लोड में डिटर्जेंट कम पड़ेगा तो फ्रन्ट लोड में ज्यादा रह जाएगा. नतीजा कपड़ों की धुलाई ढंग से नहीं होगी.

इसलिए कंपनिया मशीन के हिसाब से डिटर्जेंट इस्तेमाल की सलाह देती हैं. आप भी इसी को मानिए और कपड़े और बाथरूम दोनों धोते रहिए. 

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