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भद्रा के किले से लाल किले को चुनौती देने वाला मुख्यमंत्री- बाबू जसभाई पटेल

दी लल्लनटॉप के पॉलिटिकल किस्सों की खास सीरीज़ मुख्यमंत्री में आज बात गुजरात के इस सीएम की.

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छात्र आंदोलन की वजह से 1974-75 में जब कांग्रेस गुजरात में एकदम अस्थिर हो गई थी, तो केंद्र में बैठीं इंदिरा गांधी को विपक्षी नेता की इस मांग के आगे झुकना पड़ा कि गुजरात में फिर से चुनाव कराए जाएं. इसके लिए 10 जून 1975 की तारीख तय की गई. लेकिन इंदिरा को नहीं पता था कि 12 जून को दो-दो झटके उनका इंतज़ार कर रहे हैं. इस तारीख को एक तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सिन्हा ने इंदिरा गांधी का 1971 का चुनाव अवैध घोषित कर दिया और दूसरी तरफ गुजरात में कांग्रेस हार गई. इसे 75 सीटें मिलीं, जबकि चुनाव से पहले बने कांग्रेस (ओ), जनसंघ, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, लोक दल और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के जनता मोर्चे को 88 सीटें. पद से हटाए गए पिछले सीएम चिमनभाई पटेल अपनी मज़दूर किसान लोकपक्ष पार्टी से मैदान में थे और 12 सीटें जीत लाए. इंदिरा को सबक सिखाने के मकसद से वो जनता मोर्चा से जुड़ गए और यूं गुजरात को नया सीएम मिला- बाबू जसभाई पटेल. वीडियो में जानिए उनकी पूरी कहानी.

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