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क्रिसमस के अगले दिन खेले जा रहे टेस्ट मैच को बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच क्यूं कहते हैं?

इसका मुक्केबाज़ी से कोई लेना-देना नहीं है.

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बॉक्सिंग डे टेस्ट ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में क्यूं खेला जाता है?
26 दिसम्बर. ऑस्ट्रेलिया में ज़्यादातर इस दिन एक टेस्ट मैच की शुरुआत होती है. 26 दिसंबर 2020 को भी है. ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सीरीज़ का दूसरा टेस्ट मैच. इस मैच को हमेशा बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच कहा जाता है. क्रिकेट के पॉपुलर कल्चर में '26 दिसंबर का टेस्ट मैच' जैसी कोई बात ही नहीं होती. ऐसे हर टेस्ट मैच को 'बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच' ही कहा जाता है. सवाल यही है कि जब खेल क्रिकेट का हो रहा है और क्रिकेट एक 'जेंटलमेन्स गेम' है तो इसमें 'मुक्केबाज़ी' कहां से आ गई और क्यूं 26 दिसंबर को शुरू होने वाले टेस्ट मैच को बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच कहा जाता है? और क्यूं ऑस्ट्रेलिया में ये मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेला जाता है? सबसे पहले ये समझ लिया जाए कि इस बॉक्सिंग का मुक्केबाज़ी वाली बॉक्सिंग से कोई लेना-देना नहीं है.
असल में इसका सारा कनेक्शन क्रिसमस से है. क्रिसमस में मिलने वाले गिफ़्ट्स से. वो गिफ़्ट्स जो कि एक बॉक्स में क्रिसमस के अगले रोज़ दिए जाते हैं. असल में होता ये है कि परिवार के सदस्यों और यार-दोस्तों को तो क्रिसमस के गिफ़्ट्स 25 दिसंबर को ही मिलते हैं लेकिन जो बाहर के लोग होते हैं, उन्हें 26 दिसंबर को या अगर वीकेंड हुआ तो क्रिसमस के बाद पहले वर्किंग डे पर गिफ़्ट्स मिलते हैं. इसे होली मिलन की तरह समझिये जो कि दोपहर में रंग खेल कर, खाना पेल कर और नींद पूरी कर शाम को शुरू होता है. शहर में तो ऐसा नहीं होता मगर गांवों में अब भी रैंडम लोगों के घर जाकर वहां जो मिला, खा कर होली मिलने की प्रथा है. क्रिसमस में ये अगले रोज़ होता है और इसी वजह से 26 दिसंबर छुट्टी का दिन होता है. पुरानी अंग्रेज़ी प्रथा के अनुसार क्रिसमस के बाद जो भी पहला वीक-डे (यानी सोमवार से शुक्रवार के बीच का कोई भी दिन) पड़ता है, वो बॉक्सिंग-डे होता है और इसी दिन डाकियों, काम करने वालों, सामान लाने वालों को गिफ़्ट्स में क्रिसमस बॉक्स दिया जाता था. यहीं से इस दिन को बॉक्सिंग-डे कहा जाने लगा. आगे चलकर बस बदलाव ये आया कि वर्किंग डे और वीकेंड का चक्कर त्याग दिया गया और 26 दिसंबर को ही बॉक्सिंग डे पक्का कर दिया गया.

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साल 1975 में 26 दिसंबर को एक टेस्ट मैच खेला गया. क्लाइव लॉइड की अगुवाई में वेस्ट इंडीज़ की टीम ऑस्ट्रेलिया आई हुई थी. इस टेस्ट मैच को मोटा-माटी इस तरह से याद रखा जाता है कि डेनिस लिली के साथ नई बॉल शेयर करने वाले जेफ़ थॉम्पसन ने अपनी खोई हुई लय पाई थी और 11 ओवर में 5 विकेट लिए थे. इसके अलावा डेनिस लिली ने दिन की आख़िरी गेंद पर विव रिचर्ड्स को बोल्ड किया था.

इस मैच को देखने के लिए पहले दिन 85,596 लोग स्टेडियम में मौजूद थे. इतने सारे लोगों ने टेस्ट मैच का पहला ही दिन एक साथ इससे पहले कभी नहीं देखा था. और यहीं, पहली बार,  बॉक्सिंग-डे और क्रिकेट के गठजोड़ की सफ़लता दिखाई दी.

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एक छोटा सा लालच. लालच इस बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच और जेफ़ थॉम्पसन का एक किस्सा बताने का - सीरीज़ से पहले जेफ़ थॉम्पसन ने एक वेस्ट इंडियन बिज़नेसमैन से शर्त लगाई थी. शर्त थी कि जेफ़ और वेस्ट इंडीज़ के फ़ास्ट बॉलर ऐंडी रॉबर्ट्स में ज़्यादा विकेट कौन लेगा. पहले दो टेस्ट मैचों के बाद जेफ़ के पास मात्र 4 विकेट ही थे. दूसरे टेस्ट मैच के आख़िरी दिन उन्हें ख़बर मिली कि उनके रूम-मेट और बेहद क़रीबी दोस्त मार्टिन बेडकोबर की एक ग्रेड मैच खेलने के दौरान दिल के पास गेंद लगने से मौत हो गई. तीसरे यानी बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच की पहली इनिंग्स में जेफ़ थॉम्पसन ने 5 विकेट लिए. उन्होंने 29 विकेट्स के साथ सीरीज़ ख़त्म की और वेस्ट इंडियन बिज़नेसमैन से शर्त जीती. बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच के पहले दिन जेफ़ की बॉलिंग इतनी ख़तरनाक थी कि बैटिंग करने के दौरान गेम्स पीपल प्ले (जो साउथ का गाना) पर सीटी बजाने वाले लॉरेंस रो चुपचाप खेल रहे थे. जब विव रिचर्ड्स ने उनसे पूछा कि वो सीटी क्यूं नहीं बजा रहे हैं तो उन्होंने कहा, "जब जेफ़ थॉम्पसन तुम्हें ऐसी बॉल फ़ेंक रहा हो तो तुम ऐसा करने के बारे में सोच भी नहीं सकते क्यूंकि तुम्हें गेंद दिखाई भी नहीं पड़ रही होती है. और जब वो तुम्हारी तरफ़ आ रही होती है तो तुम्हारे पास इतना टाइम ही नहीं होता है कि तुम सीटी बजा सको." 


1979 में केरी पेकर की अगुवाई में चैनल 9 ने ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट ब्रॉडकास्ट करने के राइट्स ख़रीद लिए. क्रिकेट में अचानक पैसा और क्रान्ति आ गई थी. ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट का केंद्र बनता दिखाई दे रहा था. ऐसे में मेलबर्न ने मौके को कैश किया और शहर से गायब हो रही मैन्युफ़ैक्चरिंग यूनिट्स की भरपाई खेलों के ज़रिये करनी शुरू की. इस शहर में पहले से ऑस्ट्रेलिया ओपन, मेलबर्न कप और एएफ़एल ग्रैंड फाइनल खेला जाता था. साल 2013 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेले गए टेस्ट मैच में बॉक्सिंग-डे (यानी मैच के पहले दिन) पर स्टेडियम में 91,112 दर्शक मौजूद थे. ये अभी तक एक रिकॉर्ड है.

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