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क़िस्से उस 'फैन' के, जिसे धोनी ने अपने हाथों से बनाकर पिलाई थी चाय!

धोनी ने अपना दोस्त कहकर पुकारा.

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एम.एस धोनी (फोटो - PTI)

अफ़ग़ानिस्तान. युद्धग्रस्त देश. और इस देश में खुशी लाती एक चीज़, क्रिकेट. कुछ लोगों के लिए. उन लोगों के लिए, जिनकी कहानियां हमने पढ़ी हैं. जो बताते हैं कि जब वो पाकिस्तान के पेशावर में शरणार्थी बनकर रह रहे थे, उस दौरान कैसे क्रिकेट उनको खुश करता था. पाकिस्तान नेशनल टीम को खेलता देखकर उनके अंदर भी खेलने का जुनून भरता था.

क्रिकइंफो के अनुसार अफ़ग़ान टीम के ओपनिंग बैटर मोहम्मद शहज़ाद तो अपने कीपिंग गलव्स हमेशा पहनकर ही रखते थे. बीते दिनों को याद करते हुए शहज़ाद ने बताया था,

‘मुझे याद है, मैं हर शाम अपने कप्तान के साथ अगली गली की किसी भी टीम के साथ मैच फिक्स करने जाता था. और ये पूरे दिन का सबसे रोमांचक मोमेंट होता था. हम, दोनों तरफ से पैसे इकट्ठे कर के लाई हुई प्लास्टिक ट्रॉफी पर दांव लगाते थे. और उसको जीतना, उस समय काफी बड़ा मोटिवेशन होता था.

जब हम ट्रॉफी जीत जाते थे, हम ग्रुप बनाकर गली-गली जाकर उसे लोगों को दिखाते थे कि हमने ये जीत लिया है. क्रिकेट वो इकलौती चीज़ थी जिसको मैंने शरणार्थी कैम्प में एन्जॉय किया है. और मुझे इससे बहुत प्यार हो गया था. मैं उस ज़मीन पर इमरान खान और जावेद मियांदाद को खेलते देखता बड़ा हुआ, जो मेरी नहीं थी.

मेरी यही इच्छा थी कि मैं अपने देश के लिए एक स्टार बन सकूं. लेकिन कैसे? ये एक मिलियन डॉलर सवाल था. मेरे जीवन का दायरा सीमित था और क्रिकेट के साथ मेरे जीवन का सफर एक अनजानी दिशा में था.’

अफ़ग़ानी टीम के अधिकतर खिलाड़ियों की कहानी लगभग ऐसी ही थी. और आज हम आपको इन्हीं में से एक, मोहम्मद शहज़ाद की कहानी सुनाएंगे. शहजाद, जो असल में शरणार्थी कैम्प से उठकर अफ़ग़ानिस्तान के स्टार बने. और अपने फेवरेट स्टार एम.एस धोनी से मुलाकात भी की.

धोनी के लिए शहज़ाद ने क्या-क्या त्यागा, ये भी आपको बताएंगे. लेकिन उससे पहले इन दोनों की पहली मुलाकात का क़िस्सा सुनाते हैं. ये मुलाकात ऐसी थी, कि शहज़ाद जिसके शॉट्स की सराहना करते थे, इस मुलाकात के बाद उसके व्यवहार की भी करने लगे. क्रिकइंफो को ही ये क़िस्सा बताते हुए शहज़ाद कहते हैं,

‘मैं धोनी को साल 2007 से फॉलो कर कर रहा हूं. मैं साल 2010 में वेस्टइंडीज़ में उनसे पहली बार मिला था. वो होटल में चौथे माले पर रहे थे और उन्होंने मुझे अपने कमरे में चाय के लिए बुलाया था. असल में, ये मेरे लिए थोड़ा सा अजीब सा मोमेंट था. एक बहुत बड़ा सुपरस्टार मुझे चाय परोस रहा है. मैंने कहा, मैं अपने लिए खुद चाय डाल लूंगा लेकिन उन्होंने जोर दिया और मेरे लिए चाय डाली. ये कहकर कि मैं होस्ट हूं और आप गेस्ट है.’

इसी के साथ शहज़ाद ने धोनी से जुडा एक और क़िस्सा सुनाया था. इस बारे में बताते हुए शहज़ाद बोले,

‘एक बार जब धोनी ने मुझे किसी से अपना दोस्त कहकर मिलवाया था तो मुझे बहुत अच्छा लगा था. मैं खुश था. उनके व्यवहार और रवैये से उनके प्रति मेरा सम्मान और बढ़ गया था.’

# जब धोनी के लिए छोड़ा सबकुछ!

चलिए, अब आपको शहज़ाद का धोनी के लिए अपनी प्रिय चीज़ें कुर्बान करने वाला क़िस्सा भी सुनाते हैं. क्रिकबज़ से बात करते हुए शहज़ाद ने बताया था कि वो अपना खाना और नींद नहीं छोड़ सकते. लेकिन एक बार उन्होंने ऐसा किया था, वो भी सिर्फ धोनी के लिए. शहज़ाद ने कहा,

‘मैं दो चीज़ें बिल्कुल नहीं टाल सकता. सबसे पहली नींद. मैं इसका त्याग बिल्कुल नहीं कर सकता था. औऱ दूसरा खाना. ये वो दो प्रिय चीज़ें हैं जिनपर मैं बिल्कुल चांस नहीं ले सकता.’

लेकिन..

‘एक बार इंडिया, वेस्टइंडीज़ में फाइनल खेल रही थी. धोनी इनिंग्स के अंत में बल्लेबाजी कर रहे थे और आखिरी ओवर में कुछ 15 रन की जरूरत थी. और उस समय रमज़ान भी थे. इफ्तार में कुछ तीन-चार मिनट बचे थे, खाना मेरे सामने थे. ऐसा कहा जाता है कि उस समय अल्लाह से भी जो भी मांगो, वो आपको दे देते हैं.

धोनी इस गेम से पहले फिट नहीं थे और श्रीलंका के खिलाफ सिर्फ फाइनल खेल रहे थे. आखिरी ओवर में 15 रन की जरूरत थी. मैंने अल्लाह से प्रार्थना की, कि इंडिया ये मुकाबला जीत जाए और धोनी इस मैच को खत्म करें. तो, मैंने प्रार्थना की और खाने को कुछ देर के लिए टाल दिया. और इसी चक्कर में नींद भी टाली.'

शहज़ाद, धोनी के नंबर वन फैन है. और उनके साथी भी उनको एम.एस बुलाते हैं. और इसका कारण ये है कि उनके नाम (मोहम्मद शहज़ाद) के शुरू के अक्षर भी एम.एस हैं. शहज़ाद के ये क़िस्से हमने आपको उनके जन्मदिन पर सुनाए हैं. 

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