दुनिया में हर देश का किसी दूसरे देश में इन्ट्रेस्ट घुसा हुआ है. ऐसे में दो देशों के बीच शुरू हुई भसड़, दो देशों के बीच नहीं रह पाती. उसमें और भी देश शामिल हो ही जाते हैं. यही हुआ दूसरे वर्ल्ड वॉर के वक़्त. साल 1937. जापान चाहता था कि उसकी इकॉनोमिक ग्रोथ चीन की मार्केट में सेंध मारकर और चीन के इम्पोर्ट को ख़तम करके हो सकती है. इसके लिए 1937 में जापान ने चीन के ऊपर वॉर डिक्लेयर कर दिया. अमरीका को ये कतई रास नहीं आया. मगर वो डायरेक्ट तरीके से लड़ाई में शामिल नहीं हो रहा था. उसने कुछ नियम बना दिए. उन नियमों से जापान किलस गया. अमरीका ने जापान के ऊपर पेनाल्टी लगा दीं. और काफी सारे ट्रेड्स पर बैन भी लगा दिया. जापान का ट्रेड काफ़ी हद तक अपंग हो गया. जापान इस रिऐक्शन से बिलबिलाया हुआ था. अमरीका का सोचना था कि बिना रुपये-पैसों के, और तेल जैसी ज़रूरी चीज़ों के अभाव में जापान पर नकेल कसी जा सकेगी. मगर इसका उल्टा हुआ. जब कहीं आघात लगता है तो दो बातें होती हैं. या तो इंसान ठहर जाता है और पिघलना शुरू कर देता है या फिर वो खड़ा हो जाता है ये सोचकर कि वो मुसीबत से लोहा लेकर ही मानेगा. जापान ने भी ऐसा ही किया. वो अड़ गया. टोक्यो और वाशिंगटन डीसी के बीच चल रही समझौते की बातें एक डेड-लॉक में चली गईं. मगर इस वक़्त तक किसी को भी ऐसा नहीं लगता था कि जापान अमरीका पर अटैक कर देगा. इसके पीछे दो वजहें थीं.
पहली कि जापान और अमरीका 4 हज़ार मील दूर हैं. इससे जापान को अटैक करने में जंग से कहीं ज़्यादा दिक्कतें होंगी.
दूसरी ये कि अमेरिकन इंटेलिजेंस ऑफिशियल को ये यकीन था कि जापान अमरीका पर साउथ पैसिफ़िक यूरोपियन कॉलोनी में या उसके आस-पास अटैक करेगा. इन कॉलोनीज़ में डच ईस्ट इंडीज़, सिंगापुर या इंडो-चाइना शामिल थे. पर्ल हार्बर जापान से काफी दूर था इसलिए वहां अमरीका ने उतनी चौकसी नहीं बरती हुई थी. उधर जापान के लिये पर्ल हार्बर एक ऐसा टार्गेट बन गया था जिसे वो चाह कर भी अवॉइड नहीं कर सकते थे. पर्ल हार्बर में फोर्ड आइलैंड पर लगभग पूरी पैसिफ़िक फ्लीट को उठा कर पटक दिया गया. सैकड़ों एयरप्लेन भी वहां पार्किंग में लगा दिए गए.
7 दिसंबर 1941 - वो बुरी तारीख
जापान का प्लान सिंपल था. पैसिफ़िक फ्लीट को खतम कर देना. इस लिहाज़ से अमरीका साउथ पैसिफ़िक में फ़ैली जापान की फ़ोर्स से लड़ाई नहीं कर पाता. 7 दिसंबर को भरपूर प्लानिंग के साथ जापान ने अटैक कर दिया. सुबह लगभग आठ बजे जापानी प्लेन्स से आसमान भर गया. पर्ल हार्बर के ऊपर. आसमान से बम और गोलियां बरस रही थीं. नीचे अमरीकी प्लेन्स खड़े हुए थे. साथ ही कितने ही फौजी भी. सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर एक 1800 पाउंड का बम USS-Arizona जहाज के ऊपर गिरा. जहाज फट पड़ा और अपने अन्दर 1000 के आस-पास लोगों को समेटे हुए डूबने लगा. अगला टार्गेट था दूसरा युद्धपोत. USS-Oklahoma. उस पर टोर्पीडो से हमला किया गया. इस वक़्त जहाज पर कुछ 400 लोग सवार थे. जहाज पूरी तरह तो नहीं फटा लेकिन हां एक ओर झुकने लगा और पानी के नीचे पहुंच गया.

जब तक अटैक खतम होता, पर्ल हार्बर में मौजूद सभी युद्धपोत USS Arizona, USS Oklahoma, USS California, USS West Virginia, USS Utah, USS Maryland, USS Pennsylvania, USS Tennessee और USS Nevada को अच्छा-खासा नुकसान हो चुका था.
पूरी कहानी समझें तो पर्ल हार्बर के हमले में लगभग 20 अमरीकी जहाज नाश हो गए थे. 300 एयरप्लेन. इसके साथ ही ज़मीन पर मौजूद प्लेन्स भी बर्बाद हुए. सबसे ज़्यादा ज़रूरी बात - इस हमले में 2500 सैनिक मरे और लगभग 1000 घायल हुए.
मगर इन सभी के बावजूद पैसिफ़िक फ्लीट को पूरी तरह से ख़त्म नहीं किया जा सका. ये वो समय था जब युद्धपोत सबसे ज़रूरी जहाज नहीं होते थे. एयरक्राफ्ट कैरियर होते थे. और जब ये हमला हुआ तब पैसिफ़िक फ्लीट के कैरियर वहां मौजूद नहीं थे. साथ ही इस हमले से बेस की ज़रूरी फैसिलिटी ऑइल स्टोरेज डिपो, रिपेयर शॉप्स, शिपयार्ड और सबमरीन डॉक सुरक्षित बचे हुए थे. इस वजह से अमरीकी नेवी ने सब कुछ बेहद जल्दी में दोबारा बना लिया.

वॉर. वर्ल्ड वॉर!
प्रेसिडेंट रूज़वेल्ट ने 8 दिसंबर को कहा,
"कल यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका पर अचानक और जानबूझ कर हमला किया गया. इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि अमेरिका को इस अटैक से उबरने में कितना वक़्त लगता है, अमेरिका के लोग अपने विश्वास के बूते पर जीत तक पहुंचेंगे. मुझे ऐसा लगता है कि मैं ये समझ सकता हूं कि इस वक़्त कांग्रेस क्या चाहती है और अमेरिका के लोग क्या चाहते हैं. और मैं ये बताना चाहता हूं कि हम न सिर्फ खुद को डिफेंड करेंगे बल्कि हर किसी को ये समझा देंगे कि इस तरह की हरकत हमारे साथ दोबारा न हो तो बेहतर." https://www.youtube.com/watch?v=3VqQAf74fsE पर्ल हार्बर अटैक के बाद काफ़ी डिस्कशन और डिबेट के बाद शायद पहली बार अमरीकी लोग युद्ध के लिए तैयार थे. जापान चाहता था कि अमरीका उस पर लगी पाबंदियां हटा दे लेकिन उस हमले की वजह से पूरी दुनिया एक बार फिर से युद्ध के दरवाजे पर खड़ी घंटी बजा रही थी. 8 दिसंबर को ही कांग्रेस ने रूज़वेल्ट के युद्ध के विचार को समर्थन दिया. तीन दिन बाद जर्मनी और इटली ने यूनाइटेड स्टेट्स के ख़िलाफ़ युद्ध का ऐलान कर दिया. जर्मनी और इटली, जापान के दोस्त थे. झगड़े के दो साल बाद यूनाइटेड स्टेट्स फ़ाइनली वर्ल्ड वॉर II में शामिल हो चुका था.