ममता बनर्जी : जिस बिल्डिंग से जबरन निकाली गईं, वहीं से सीएम बनकर राज किया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आज जन्मदिन है
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ममता बनर्जी परिवारवाद की राजनीति के सवाल पर अमित शाह पर ही सवाल उठा दिए. (फाइल फोटो)
ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी, 1955 को कोलकाता में हुआ था. जब वो पंद्रह साल की थीं, तभी पॉलिटिक्स में आ गईं. जब 17 साल की थीं, तब उनके पापा की दवाइयों की कमी से मौत हो गई. वो फ्रीडम फाइटर थे. उस टाइम ममता को गुजारे के लिए दूध बेचने का काम भी करना पड़ा था. ममता बनर्जी ने पॉलिटिक्स में शुरुआत कांग्रेस के साथ की थी. वह बंगाल में महिला कांग्रेस की महासचिव बनीं. लोकसभा में जब पहुंचीं, तब सबसे यंग सांसद हुआ करती थीं. उन्होंने लेफ्ट के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी को हराया था. साल 1984 था और सीट जादवपुर. हालांकि अगली बार ममता चुनाव हार गईं. लेकिन दो साल बाद 1991 में वह फिर से जीतकर आईं. इस बार सीट दूसरी थी. दक्षिण कोलकाता. यहां से ममता बनर्जी 1991 ही नहीं 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा के लिए चुनी गईं. ममता दो बार रेल मंत्री रहीं. 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में ममता मानव संसाधन विकास, खेल व युवा कल्याण तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री रही थीं. लेकिन अप्रैल 1993 में ममता बनर्जी से मंत्रीपद ले लिया गया. 1997 में वह कांग्रेस से अलग हो गईं और तृणमूल कांग्रेस नाम से नई पार्टी बना ली. उसके बाद भाजपा के साथ सीटों का समझौता करके लोकसभा चुनाव लड़ा. उस टाइम वह NDA में आईं लेकिन 2001 में तहलका मामले में खुलासे के बाद राजग छोड़ दिया था. ममता बनर्जी का टेम्पर हाई ही रहता है. वो फेमस ही शुरू में इस बात से हुई थीं कि जयप्रकाश नारायण की गाड़ी के बोनट पर चढ़ गई थीं. 1996 में उन्होंने अलीपुर में एक रैली के दौरान अपने गले में काली शॉल डाल ली थी, और उसी से फांसी लगाने की धमकी भी दी थी. जुलाई 1996 में पेट्रोल की कीमतें बढ़ाने के विरोध में ममता बनर्जी सरकार का हिस्सा रहते हुए भी लोकसभा के पटल पर ही पालथी मारकर बैठ गई थीं. 21 जुलाई, 1993 की बात है. ममता की अगुआई में यूथ कांग्रेस वाले 'रॉयटर्स बिल्डिंग' की तरफ जा रहे थे. रॉयटर्स बिल्डिंग में ही सीएम का ऑफिस था. उस टाइम गोलीबारी में 13 कार्यकर्ता मारे गए. वे वोटर आईडी को मतदान के लिए इकलौता डॉक्युमेंट माने जाने की मांग कर रहे थे. रॉयटर्स बिल्डिंग से उस रोज उन्हें जबरन निकाल दिया गया. तब ममता ने कसम खाई थी कि वह कभी इस इमारत में कदम नहीं रखेंगी. उन्होंने अपनी बात रखी. और तभी अंदर गईं जब 18 साल बाद 20 मई 2011 को वह वहां मुख्यमंत्री बनकर पहुंचीं. 2016 में एक कार्यकाल पूरा होने के बाद दोबारा मुख्यमंत्री बनीं. अब कुछ ही महीनों में बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें तय होगा कि ममता एक बार फिर सीएम की कुर्सी पर बैठ पाएंगी या नहीं.
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