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फाइनल में पाकिस्तान को हराया, रवि शास्त्री ने ऑडी जीती और पूरी टीम उसपर लद गई

मियांदाद ने मैच से पहले कहा था उनकी टीम से कोई जीतेगा, शास्त्री बोले, "जाओ, घूम के आओ".

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Audi Car जीती Ravi Shastri ने और मौज सबकी हो गई.
36 साल हो गए लेकिन एक तस्वीर आज भी ज़हन में ताज़ा है. एक कार पर लदे हुए आधा दर्जन से ज़्यादा खिलाड़ी. मैदान का चक्कर लगाती ऑडी कार. और 1983 की वर्ल्ड कप जीत के बाद फिर से एक बार जश्न में डूबा भारत.
10 मार्च 1985 का वो दिन था, जब भारत की क्रिकेट टीम को एक साथ कई सारी खुशियां मिली थी.
1. वर्ल्ड चैंपियनशिप जीती, जिसमें सभी प्रमुख टीमें थीं. ये दोबारा वर्ल्ड कप जीतने जैसा था. 2. फाइनल में पाकिस्तान को हराया जिसका मज़ा ही अलग होता है. 3. रवि शास्त्री को मैन ऑफ़ दी सीरीज अवॉर्ड मिला. अवॉर्ड में मिली ऑडी कार जो कि उस ज़माने में अभूतपूर्व बात थी.
कार पर कपिल.
कार पर कपिल.

क्या हुआ था फाइनल में?

बेंसन एंड हेजेस वर्ल्ड चैंपियनशिप 17 फरवरी 1985 से लेकर 10 मार्च 1985 तक ऑस्ट्रेलिया में हुई. फाइनल इंडिया और पाकिस्तान के बीच हुआ. जगह थी मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड. भारत ने शानदार जीत हासिल की थी इसमें. पाकिस्तान ने टॉस जीता और पहले बैटिंग करने का फैसला किया.
जल्द ही ये फैसला उल्टा पड़ गया जब कपिल देव ने पाकिस्तान के टॉप ऑर्डर को तबाह करके रख दिया. 33 रन पर पाकिस्तान के चार विकेट गिर चुके थे. वहां से पाकिस्तान कभी संभल ही नहीं पाई. जैसे-तैसे 176 रन तक पहुंच पाई. वो भी तब, जब वसीम राजा और अज़ीम हफीज़ ने आख़िरी विकेट के लिए 31 रन जोड़े.
177 का टार्गेट भारत ने बहुत आसानी से पार कर लिया. सिर्फ 2 विकेट खोकर. रवि शास्त्री और के. श्रीकांत ओपनिंग पर आए. पहले ही विकेट के लिए 103 रन की पार्टनरशिप की. दोनों ने हाफ सेंचुरी मारी. वहां से मैच इंडिया हार ही नहीं सकती थी. भारत ने टहलते हुए आराम से मैच जीत लिया. चैंपियनशिप पर भारत का कब्ज़ा हो गया था.
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उससे ज़्यादा ख़ुशी का मौक़ा तब आया जब प्लेयर ऑफ़ दी सीरीज चुना गया. ईनाम में थी ऑडी 100 सेडान कार. रवि शास्त्री को ऑल राउंड परफॉरमेंस के लिए मिला ये ईनाम. उन्होंने पूरी सीरीज में 182 रन बनाए थे. साथ ही आठ विकेट भी झटके थे. वो भारतीय दर्शकों के लिए एक अनोखी बात थी और आज भी सबको याद है.

बिना लाइसेंस के कार चलाई

उधर रवि शास्त्री इंटरव्यू ही दे रहे थे कि इधर टीम के ज़्यादातर मेंबर कार पर लद गए. जितने अंदर आ सकते थे अंदर और बाकी के बोनट, छत वगैरह पर चढ़ गए. शास्त्री से फिर कहां सब्र होना था! उन्होंने इंटरव्यू अधूरा छोड़ दिया और लपककर मौका-ए-वारदात पर पहुंचे. उन्होंने स्टीयरिंग संभाला और कार से स्टेडियम का चक्कर लगाना शुरू किया. आज भी उस लम्हे को याद करके रवि शास्त्री खुश हो जाते हैं.
एक इंटरव्यू में वो कहते हैं,
'एमसीजी पर ड्राइव शॉट तो बहुतों ने खेले होंगे, ड्राइव सिर्फ मैंने अकेले ने ही की है. वो भी बिना लाइसेंस के. मुझे पता था कि मैं दावेदारों में से था. उस वक्त पाकिस्तान के कप्तान जावेद मियांदाद ने मुझसे कहा था कि उनकी टीम से कोई जीतने वाला है. मैंने उनसे कहा, 'जाओ, घूमके आओ'.'
उस दुर्लभ ऑडी 100 सेडान को पानी के जहाज़ से भारत लाया गया. जब वो कार इंडिया पहुंची, बंदरगाह पर उसे देखने के लिए दस हज़ार से ज़्यादा लोग मौजूद थे.
वो कार आज भी उम्दा हालत में है. रवि शास्त्री उसे अपने बच्चे की तरह प्यार करते हैं. कहते भी बेबी ही हैं. देखिए उनका एक ट्वीट.
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रवि शास्त्री अब भी हर संडे उसे मुंबई की सड़कों पर निकालते हैं. बशर्ते कि वो शहर में हो. उस सीरीज में इंडिया के साथ सब कुछ अच्छा-अच्छा ही हुआ था. सिवाय एक बात के. फाइनल में जीत के बाद सुनील गावसकर ने कप्तानी छोड़ दी थी.
एक दिलचस्प तथ्य ये भी है कि उस कार को भारत लाते वक़्त तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने उसकी इम्पोर्ट ड्यूटी माफ़ कर दी थी. बरसों बाद एक और आलिशान कार की इम्पोर्ट ड्यूटी माफ़ करने का वाकया हुआ, जिसपर बहुत बवाल हो गया था. वो वाला मामला तो खैर सारा इंडिया जानता है. अलग से क्या ही बताएं!


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