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वो मैच जब अजय जडेजा बल्ला लेकर वकार यूनुस के पीछे पड़ गए थे

इत्ती पिटाई की, इत्ती पिटाई की कि क्या बताए कित्ती पिटाई की.

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अगर 1996 वर्ल्ड कप की बेस्ट परियों की लिस्ट निकलेगी तो ये पारी उसमें ज़रूर होगी.
9 मार्च 1996. भारत बनाम पाकिस्तान. वर्ल्ड कप क्वॉर्टरफाइनल्स. जगह बैंगलोर. ये उन शुरुआती मैचों में है जो पाकिस्तान वर्ल्ड कप में भारत से खेला और हार गया. ये सिलसिला आज तक नहीं टूटा है. लेकिन ये मैच सिर्फ इसलिए खास नहीं है कि भारत जीता. बल्कि उस वक़्त भारत के मिस्टर 'स्टाइलिश' ने एक कमाल की पारी खेली थी. भारत पहले बैटिंग कर रहा था.
नवजोत सिंह सिद्धू ने 93 रन बनाए और एक वक़्त भारत का स्कोर 47 ओवर में 236 तक पहुंच चुका था. 6 विकेट गिरे थे. क्रीज़ पर थे अनिल कुंबले और अजय जडेजा. यहां से भारत अगर 250 रन भी बनता तो वो एक सम्मानजनक स्कोर होता. लेकिन खेल तो अभी शुरू हुआ था. वक़ार यूनुस ग़ज़ब की इनस्विंग डाल रहे थे. लेकिन अजय जडेजा ना जाने क्या सोचकर मैदान में उतरे थे.
48वां ओवर. बॉल डालने आए वकार यूनुस. स्ट्राइक पर थे अजय जडेजा. पहली बॉल पर 3 रन लिए और नॉन स्ट्राइकर हो गए. अगली दो बॉल पर कुंबले ने लगातार 2 चौके जड़ दिए. चौथी बॉल पर भी चौका होता लेकिन मिड ऑफ के फील्डर ने किसी तरह गिर पड़कर उसे रोका. कुंबले को मिला 1 रन. # पिट गए वक़ार अब स्ट्राइक पर अजय जडेजा. वकार अच्छी इनस्विंग और रिवर्स स्विंग करा रहे थे. यॉर्कर डालने में वो माहिर थे ही. और अगर ये दोनों काम एक ही बॉल पर हो जाएं तो बैट्समैन का बचना लगभग नामुमकिन होता. लेकिन वो अजय जडेजा का दिन था. वकार ने पांचवीं बॉल यॉर्कर डालने के चक्कर में जडेजा के पैड्स पर कर दी. कहां चूकते. फ्लिक भर किया और डीप मिड विकेट के फील्डर के बाईं ओर से 4 रन. वकार को उस दौर में किसी ने इतना नहीं कूटा था.
जिस तरह से वो फील्डर्स को इधर-उधर भगा रहे थे, साफ़ था कि उनको समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है. पर ओवर तो ख़त्म करना था. यॉर्कर पर भरोसा था. तो एक बार फिर वही ट्राई की. जडेजा क्रीज़ से कुछ आगे खड़े थे. बॉल उनके बाएं पैर के पंजे पर गिरती लेकिन वो चौकन्ने थे. पांव को रास्ते से हटाया और मिडविकेट की ओर लपेट दिया. पूरा स्टेडियम गूंजा. वकार यूनुस इतिहास का हिस्सा बन चुके थे. वो इस एक ओवर के लिए सालों याद किए जाने वाले थे. इन 6 गेंदों पर 3,4,4,1,4,6 यानी कुल 22 रन पड़े.
जडेजा ने वकार की बुरी तरह धोया था.
जडेजा ने वकार की बुरी तरह धोया था.

लेकिन अभी मैच ख़त्म नहीं हुआ था. 49वें ओवर में आकिब जावेद ने कुंबले का विकेट निकाल लिया. जडेजा दूसरे छोर पर खड़े देखते रहे. आखिरी ओवर एक बार फिर से वकार यूनुस के पास आया. जडेजा स्ट्राइक पर. पिछले ओवर की धुलाई के बाद वकार का यॉर्कर और रिवर्स स्विंग का भूत उतर चुका था. वो बाउंसर या कहें बैक ऑफ़ लेंथ बॉलिंग पर आ चुके थे. जडेजा भी तैयार थे. पहली गेंद ऑफ स्टंप के बाहर. जडेजा ने थर्ड मैन की और बल्ले का मुंह खोला.
बॉल पॉइंट और थर्ड मैन के बीच से चार रन के लिए दौड़ गई. वकार पहले भी ऐसी सिचुएशन देख चुके थे लेकिन आज कुछ भी उनके किए के हिसाब से नहीं हो रहा था. ओवर की दूसरी गेंद भी शॉर्ट डाली. और इस बॉल पर जडेजा ने वो शॉट खेला जो आज भी उस मैच की याद के तौर पर क्रिकेट देखने वालों के जेहन में ताजा है. उन्होंने एक पैर मिड विकेट की और खींचकर बेसबॉल स्टाइल में कंधे तक उठती गेंद को लॉन्ग ऑन के ऊपर से छक्का मारा. ये पारी का सबसे अच्छा शॉट. बेस्ट फॉर द लास्ट. इसके बड़ा कोई शॉट लगता तो इस शॉट का मजा ख़राब हो जाता. फिर भी जडेजा ने कोशिश की लेकिन धर लिए गए.
25 बॉल में 45 रन की ऐतिहासिक पारी खेलकर वो पवेलियन लौटे. आख़िरकार वकार को जडेजा का विकेट मिला. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
जडेजा की ये पारी आप भी देखिये:

आखिरी ओवरों में खेली गई उनकी पारी के कारण पाकिस्तान की टीम मनोवैज्ञानिक दबाव में आ गई. मोमेंटम भारत के साथ था. उंगली से कलाई पकड़ने का हुनर भारत की टीम को तब भी आता था. आमिर सोहैल और सईद अनवर ने पाक को अच्छी शुरुआत दी लेकिन इसके बाद भारत ने पाक की बैटिंग को उधेड़ के रख दिया. भारत 39 रन से जीता. सिद्धू मैन ऑफ़ द मैच बने. लेकिन ये मैच याद रहा अजय जडेजा के लिए. लोगों के लिए वही असली मैन ऑफ़ द रहे.


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