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ऑस्ट्रेलिया का 'भारत विजय प्लान' पहले से फेल है!

ये प्लान ऑस्ट्रेलिया को जीतने ना देगा.

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ऑस्ट्रेलियन टेस्ट टीम (फोटो - Getty Images)

ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम बनाम भारतीय क्रिकेट टीम. क्रिकेट का कोई भी फॉर्मेट हो. ये दोनों टीम भिड़ती हैं तो मौज बहुत आती है. और अब ये मौज जल्दी ही फिर से आने वाली है. ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के लिए भारत आ रही है. और ये सीरीज़ धमाकेदार तभी होगी जब दोनों टीम एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे पाएं. और भारत में भारत को टक्कर देने के लिए आपके पास होने चाहिए क्वॉलिटी स्पिनर्स.

स्पिनर्स मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- लेग स्पिनर्स और ऑफ स्पिनर्स. लेग स्पिनर्स यानी जो कलाई का प्रयोग करते हैं. और ऑफ स्पिनर, यानी उंगलियों के सहारे गेंद घुमाने वाले. और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कोच डैरेन लीमन की मानें तो भारत में उंगली वाले विदेशी स्पिनर्स ज्यादा सफल होते हैं. और आज हम देखने की कोशिश करेंगे, कि इस बात में कितनी सच्चाई है.

# Finger Spinner India

सबसे पहले तो आपको बता दें कि लीमन ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी से पहले अपनी टीम से क्या कहा. लीमन ने ऑस्ट्रेलियन रेडियो स्टेशन, SENQ से कहा,

'वहां के अपने अनुभव के हिसाब से मैं फिंगर स्पिनर्स को तवज्जो दूंगा. ऐसे बोलर्स की गेंदें हवा में तेजी से ट्रेवल करती हैं और कुछ गेंदें घूमती हैं, जबकि कुछ नहीं. कई बार लेगस्पिनर कुछ ज्यादा ही गेंद घुमा देते हैं. जबकि फिंगर स्पिनर्स की कुछ गेंदे स्किड होकर आती हैं, आप बीट होते हैं और LBW हो जाते हैं. और इसीलिए वे फिंगर स्पिनर्स की ओर देखते हैं. हमने 2017 में ऐसा ही किया था. स्टीव ओ'कीफ़ ने भारत को पस्त कर दिया था.'

लीमन बात तो ठीक ही कह रहे हैं. कीफ़ ने उस दफ़ा सही बोलिंग की थी. लेकिन सवाल तो ये है कि भारत में विदेशी स्पिनर्स कितने सफल रहे हैं? चलिए, अब इसका जवाब खोजते हैं. और शुरू करेंगे सर्वकालिक महान ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन से. मुरली ने भारत में कुल 11 टेस्ट मैच खेले हैं. इन मैच में उनके नाम कुल 40 विकेट हैं. मुरली ने यह विकेट 45.45 की ऐवरेज और और 86.23 की स्ट्राइक रेट से लिए. यानी हर विकेट के लिए मुरली 45 से ज्यादा रन देते थे और 86 से ज्यादा गेंदें फेंकते थे. मुरली को भारत से ज्यादा मुश्किल सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में हुई. जहां उनका ऐवरेज 75 के पार है. जबकि स्ट्राइक रेट 131 का.

इंग्लैंड के ग्रेम स्वान भी दिग्गज ऑफ स्पिनर माने जाते हैं. उन्होंने भारत में कुल छह मैच खेले हैं. इन मैच में उनके नाम लगभग 29 के ऐवरेज और 61 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से 28 विकेट हैं. स्वान के इन स्टैट्स को अच्छा बताने से पहले जान लीजिए कि इससे बेहतर प्रदर्शन उन्होंने इंग्लैंड में किया है. जहां विकेट परंपरागत रूप से पेसर्स की मदद करती है. इनके अलावा ऑफ स्पिनर्स की बात करें तो पाकिस्तान के सक़लैन मुश्ताक याद आते हैं.

और भारत में उनका रिकॉर्ड भी अच्छा है. सक़लैन ने भारत में सिर्फ तीन टेस्ट मैच खेले हैं. इन मैच में उन्होंने लगभग 21 के ऐवरेज और लगभग 47 के स्ट्राइक रेट से 24 विकेट निकाले थे.

अब वापस लीमन पर लौटें तो उन्होंने नेथन लॉयन के साथ एश्टन एगर की वक़ालत की है. लॉयन के इंडिया में आंकड़े कमाल हैं. लेकिन एगर के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता. एगर के आंकड़े छोड़िए, उनका टेस्ट करियर ही अभी तक उड़ान नहीं भर पाया है. सिर्फ पांच टेस्ट खेले एगर हाल ही में साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ टेस्ट खेलने उतरे थे, जहां उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला.

और जैसा कि हमने मुरली और स्वान के उदाहरण ऊपर दिए ही. ये दिग्गज फिंगर स्पिनर्स भारत आते ही सामान्य बोलर्स में बदल जाते हैं. ऐसे में लीमन ने एगर से कुछ ज्यादा ही उम्मीद नहीं कर ली? स्टीव ओ'कीफ़ का उदाहरण देते वक्त ही उन्हें याद करना चाहिए था कि ओ'कीफ़ भी हर मैच में सफल नहीं रहे थे. उन्हें भी दिक्कतें हुई थीं. पुणे टेस्ट की दोनों पारियों में 70 रन देकर 12 विकेट लेने वाले ओ'कीफ़ इसके बाद बचे हुए तीन टेस्ट में कुल सात विकेट ले पाए थे.

इतना ही नहीं, इसके बाद उन्हें बांग्लादेश टूर की टीम में तो जगह ही नहीं मिली. ऐसे में ओ'कीफ़ का उदाहरण लेकर अगर ऑस्ट्रेलिया ऐसा कुछ प्लान कर रहा है. तो हमें तो यही लग रहा है कि उनका 'भारत विजय' का प्लान पूरा ना होगा. हां, इसके जरिए वह संभावित क्लीन-स्वीप जरूर टाल सकते हैं.

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