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स्टीव बकनर : वो अम्पायर जिसने सचिन को आउट देने के लिए जन्म लिया था

आज बड्डे है. कहते हैं गेंदबाज़ों से ज़्यादा बकनर ने सचिन के विकेट लिए हैं.

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फोटो - thelallantop
स्टीव बकनर. वेस्ट इंडीज़ का अम्पायर. इंटरनेशनल क्रिकेट के सबसे ज़्यादा अनुभवी अम्पायरों में से एक. 128 टेस्ट और 181 वन-डे मैचों में अम्पायरिंग. 31 मई 1946 को जमैका में जन्म. स्टीव बकनर एल साल्वाडोर और नीदरलैंड्स एंटाइल्स के बीच हुए वर्ल्ड कप क्वॉलिफायर मैच में फ़ीफ़ा की ओर से मैच रेफ़री भी नियुक्त किये गए थे. बकनर ने 1992, 1996, 1999, 2003 और 2007 के वर्ल्ड कप फाइनल में अम्पायरिंग की. ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है. 1994 में आईसीसी ने एक पॉलिसी जोड़ी. इसके तहत किसी भी टेस्ट मैच में जो फ़ील्ड पर खड़े हुए दो अम्पायर होंगे उनमें से एक अम्पायर दो खेल रहे देशों को छोड़ किसी तीसरे देश का होगा. ऐसे में अम्पायर डिसाइड करने के लिए एक पैनल नियुक्त किया गया. बकनर इस पैनल के एक सदस्य थे. लेकिन फिर एक टेस्ट हुआ ऑस्ट्रेलिया में. पर्थ की पिच पर. जहां स्टीव बकनर को टूर पर अम्पायरिंग करने से बैन कर दिया गया. उसके पहले वाले मैच में जो सिडनी में खेला गया था, स्टीव ने काफी गलतियां की थीं. उस मैच में इंडिया की हार की एक बड़ी वजह स्टीव की अम्पायरिंग थी. बड़ी बात ये थी कि ये पहला मौका नहीं था जब स्टीव की अम्पायरिंग इंडिया के खिलाफ़ सामने वाली टीम से ज़्यादा बड़ी चुनौती बन गयी हो. 2003. इंडिया का ऑस्ट्रेलिया टूर. ब्रिस्बेन टेस्ट. सचिन तेंदुलकर क्रीज़ पर थे. अभी खाता भी नहीं खुला था. टेस्ट मैच में वैसे भी शुरुआती टाइम में बैट्समैन के ऊपर सेटल होने का प्रेशर होता है. ऐसे में सचिन भी वही करने की जुगत में थे. बॉलिंग कर रहे थे जेसन गिलेस्पी. गेंद की स्पीड 140.7 किलोमीटर प्रति घंटा. गुड लेंथ पर ऑफ स्टम्प के काफी बाहर गिरी गेंद अन्दर तो आती रही लेकिन गिलेस्पी की लम्बाई की बदौलत गेंद को काफी ऊंचाई मिल चुकी थी. सचिन चूंकि क्रीज़ पर नए ही थे, गेंद छोड़ने का फ़ैसला करते हैं. दोनों हाथ ऊपर और गेंद की लाइन में पहुंच कर पैड दिखा दिए. गेंद पैड पर लगी. ऑफ स्टम्प के बाहर इम्पैक्ट. गिलेस्पी ने तुरंत अपील करनी शुरू की. गिलेस्पी जो विकेट के पीछे खड़े थे, अपने हाथ ज़रूर ऊपर करते हैं लेकिन तुरंत ही सर पर रख लेते हैं. कमेंट्री में माइक पकड़े टोनी ग्रेग अपने अंदाज़ में कहते हैं कि ये क्लोज़ ज़रूर है लेकिन बाउंस बहुत ही ज़्यादा है. अपील खतम हो जाती है और सचिन भी विश्राम की पोज़ीशन में आ जाते हैं. और तभी! स्टीव बकनर अपना सर हिलाते हैं. दायें हाथ की वो उंगली उठा देते हैं जिससे बचपन में शहद निकाल के खाते थे. एक सेकण्ड के भी अन्दर टोनी ग्रेग कह देते हैं कि ये निराश करने वाला डिसीज़न है. सचिन अपना मुंह खोलते हैं. ऐसे जैसे वो क्लास में बैठे हों और टीचर ने आते ही कह दिया हो कि आज सरप्राइज़ टेस्ट है. अपनी आदत के अनुसार बिना ज़्यादा कुछ कहे-किये वो चल पड़े. ज़ीरो के स्कोर पर. स्टीव बकनर और सचिन तेंदुलकर का हाल ऐसा था जैसा सूरज और चांद का. ये आया, वो गया. बकनर के आते ही सचिन जाने वाले मालूम देते थे. इंडिया वर्सेज़ पाकिस्तान का ये हाल. सचिन बैटिंग कर रहे थे और रज्ज़ाक बॉलिंग. गेंद सचिन के बल्ले से खासी दूर. सारी अपील बंद हुई तब बकनर को आउट देने की सूझी. एक ये वीडियो जहां शेन वार्न की एक गेंद जो मीलों का टर्न ले लेती है. ऐसा टर्न जिसे इंसानी दिमाग कैल्कुलेट न कर सके. बकनर उसे भी आउट दे देते हैं. न जाने कैसे.