प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ‘महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) घोटाला’ मामले में विशेष अदालत के सामने एक नई चार्जशीट पेश की है. इसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार और कुछ अन्य लोगों के नाम भी शामिल हैं. विशेष अदालत ने अभी तक इस चार्जशीट पर कोई संज्ञान नहीं लिया है.
महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला: ED ने शरद पवार के पोते रोहित के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट
MLA Rohit Pawar ED Chargesheet: ईडी ने जनवरी, 2024 में रोहित पवार के बारामती एग्रो और अन्य संबंधित ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के बाद, रोहित पवार को ईडी के मुंबई कार्यालय में तलब किया गया और उनसे पूछताछ की गई थी.

रोहित पवार कर्जत-जामखेड़ से विधायक हैं और शरद पवार के पोते हैं. रोहित शरद पवार के भतीजे राजेंद्र पवार और उनकी पत्नी सुनंदा के बेटे हैं. हालिया चार्जशीट प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) के तहत मुंबई की विशेष अदालत में पेश की गई है. इससे कुछ महीने पहले, ईडी ने रोहित पवार की कंपनी बारामती एग्रो की 50 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति ज़ब्त की थी.
ईडी ने जनवरी, 2024 में रोहित पवार के बारामती एग्रो और अन्य संबंधित ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के बाद, रोहित पवार को ईडी के मुंबई ऑफ़िस में तलब किया गया था और उनसे पूछताछ की गई थी.
मार्च 2023 में, ईडी ने बारामती एग्रो से जुड़ी 50.20 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया था. जिसमें 161.30 एकड़ जमीन, एक चीनी मिल, मशीनरी और औरंगाबाद के कन्नड़ में मौजूद भवन शामिल हैं.
ईडी का दावा है कि ये संपत्तियां कन्नड़ सहकारी साख कारखाना लिमिटेड (कन्नड़ SSK) की हैं. जिसे बारामती एग्रो ने कथित रूप से धांधली वाली नीलामी के ज़रिए हासिल किया था. ईडी के अनुसार, ये अधिग्रहण PMLA एक्ट का उल्लंघन है.
क्या है मामला?अगस्त, 2019 में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अलग-अलग धाराओं के तहत FIR दर्ज की थी. इस FIR के मुताबिक़, आरोप है कि महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) के अधिकारियों और डॉयरेक्टर्स ने स्टैंडर्ड प्रक्रिया का पालन नहीं किया. और कई सहकारी चीनी मिलों (SSKs) को अपने रिश्तेदारों और निजी संस्थाओं को औने-पौने दामों पर धोखाधड़ी से बेच दिया.
आरोपों के मुताबिक़, महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक ने 80.56 करोड़ रुपये के बकाया ऋण की वसूली की. इसके लिए उसने 2009 में कन्नड़ सहकारी साख कारखाना लिमिटेड (कन्नड़ SSK) की संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया. बाद में बैंक ने कथित तौर संदिग्ध वैल्यूएशन के आधार पर नीलामी आयोजित की.
ईडी का दावा है कि नीलामी में हेराफेरी की गई. सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को कमजोर आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया. फिर बारामती एग्रो के एक करीबी सहयोगी को दौड़ में बने रहने की अनुमति दे दी. जिसके पास कोई अनुभव या वित्तीय ताकत नहीं थी.
ईडी ने बताया है कि इस मामले से जुड़ी 121.47 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के लिए अब तक तीन अस्थायी आदेश जारी किए जा चुके हैं. एजेंसी का कहना है कि कुर्की की अंतिम पुष्टि हो चुकी है और विशेष PMLA अदालत में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर दी गई है.
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