अमन 34 साल के हैं. नोएडा के रहने वाले हैं. एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करते हैं. दिन के कम से कम 10 घंटे इनके ऑफिस में गुज़रते हैं. जब तक ये वापस आते हैं, इतना थक चुके होते हैं कि कुछ करने की हिम्मत नहीं बचती. मोटा-माटी इनका सारा दिन बैठे-बैठे बीतता है. अब पिछले कुछ महीनों से अमन के घुटनों में काफ़ी दर्द है. सीढ़ियां चढ़ने, पैर मोड़ने यहां तक कि चलने में भी दर्द होता है. वैसे घुटनों, जोड़ों में दर्द को बढ़ती उम्र के साथ होने वाली परेशानियों के तौर पर गिना जाता है. पर आजकल ये दिक्कत युवाओं में भी हो रही है. जैसे अमन. अब अमन चाहते हैं हम उनको इस दर्द से निपटने की सलाह दें. उनकी उम्र के लोगों में जोड़ों का दर्द अभी से क्यों शुरू हो गया है, ये भी पता करें. तो चलिए, सबसे पहले जानते हैं इस दर्द के पीछे की वजह. युवाओं में क्यों बढ़ रहा है घुटनों का दर्द? ये हमें बताया डॉक्टर नंदन ने.

डॉक्टर नंदन मिश्रा, ऑर्थोपेडिक सर्जन, सुरभि हॉस्पिटल एंड नीओ हॉस्पिटल, नोएडा
-सबसे आम कारण है कसरत या फिजिकल एक्टिविटी की कमी. इससे जांघ की मांसपेशी जिसे क्वाड्रिसेप्स (Quadriceps) कहते हैं, वो कमज़ोर हो जाती है और घुटनों में मामूली लचक रहती है. इससे घुटनों के अंदर मौजूद कार्टिलेज (Cartilage) जो कुशन इफ़ेक्ट देती हैं, उनको चोट लगती रहती है. बहुत दिनों तक ऐसा रहने से घुटनों में दर्द शुरू हो जाता है.
-दूसरा कारण है ओवरवेट यानी ज़्यादा वज़न होना. एक किलो वज़न बढ़ने से घुटनों पर लगभग तीन गुना वज़न ज़्यादा पड़ता है. दौड़ते समय और ज़मीन पर बैठने से इस पर भी ज़्यादा दबाव पड़ता है. बहुत दिनों तक ऐसा रहने से घुटनों को नुकसान पहुंचता है.
-तीसरा कारण है ऑटोइम्यून बीमारियां. इसमें खून में एंटीबॉडी मिल जाते हैं जो कि शरीर के सेल्स के खिलाफ़ काम करते हैं. प्रमुख ऑटोइम्यून बीमारियां हैं रूमेटाइड आर्थराइटिस और एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस. इसमें शरीर के बहुत से जोड़ों में दर्द रहता है और अकड़न बनी रह सकती है.

-इन कारणों के अलावा और भी कारण हो सकते हैं जैसे हड्डियों में टेढ़ापन, पुरानी चोट की वजह से टेढ़ी जुड़ी हुई हड्डी, इन्फेक्शन या फिर ट्यूमर.
इलाज
-अगर जोड़ों में दर्द कार्टिलेज या मिनिसकस की चोट के कारण है तो आपके डॉक्टर एक्सरे या MRI का सुझाव दे सकते हैं. रिपोर्ट में अगर चीज़ें ज्यादा गंभीर नहीं दिखतीं तो दवाइयां और एक्सरसाइज़ की सलाह दी जाती है. दिक्कत ज्यादा होने पर सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है. ये ऑपरेशन दूरबीन के द्वारा किया जाता है जिसे ऑर्थोस्कोपिक सर्जरी कहते हैं.
-अगर जोड़ों का दर्द ऑटोइम्यून बीमारियों की वजह से है तो खून की जांच के बाद दवा शुरू की जाती है. ये दवा लंबे समय तक चलती है.

-अगर जोड़ों का दर्द हड्डियों में टेढ़ापन या पुरानी टेढ़ी जुड़ी हुई हड्डी की वजह से है तो इसमें ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ती है.
-अगर जोड़ों में दर्द इन्फेक्शन या ट्यूमर की वजह से है तो उसमें दवा और ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ती है.
टिप्स
-नियमित एक्सरसाइज करें
-डाइट सही रखें
-अपनी डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी को पर्याप्त मात्रा में लें
-अपने वज़न को कंट्रोल में रखें
-अगर जोड़ों में दर्द चार हफ़्तों से ज़्यादा है तो इसे इग्नोर न करें
-डॉक्टर से ज़रूर मिलें
कोई भी एक्सरसाइज बिना किसी एक्सपर्ट की जानकारी और निगरानी के हरगिज़ न करें. लेने के देने पड़ सकते हैं.
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