The Lallantop

जनाब, लड़कियां अपनी टांगें केवल सेक्स के लिए नहीं खोलतीं

बस की सीट हो या समाज, उन्हें जगह चाहिए होती है.

Advertisement
post-main-image
Source: Pinterest
बीते महीनों हमारी टीम कई कॉलेजों में 'रिक्रूटमेंट' करने गई. मैं भी उस टीम का हिस्सा हूं. मैंने कभी रिक्रूटमेंट नहीं किए. और शर्ट-पैंट-ब्लेजर तो लाइफ में कभी नहीं पहना. कहते हैं कि एक प्यारी सी कुर्ती और जींस किसी भी लड़की के सबसे अच्छे ऑफिस यूनिफॉर्म होते हैं. मैं वो अक्सर पहनती हूं. साड़ी और दुपट्टे वाले सूट भी पहनती हूं. छोटी स्कर्ट और शॉर्ट्स भी पहनती हूं. मगर रिक्रूटमेंट वाले दिन नसीब ऐसा था कि रिप्ड यानी फटही जीन्स डाल रखी थी.  

PP KA COLUMN

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement
  अथॉरिटी यानी सत्ता के पद पर अगर एक फटही जीन्स वाली लड़की हो, तो हम उसे कम सीरियसली लेते हैं. और न लें. दुनिया पहले ही बहुत सीरियस है. मगर रिक्रूटमेंट के महीने भर बाद एक मजेदार बात सुनने को मिली. किसी ने कहा, 'मैडम आईं, और टेबल पर टांगें फैला कर बैठ गईं.'  

  तथ्यात्मक रूप से ये सच है. मगर सच तो ये भी है कि साथ में पुरुष भी थे जो टांगें फैलाकर बैठे थे. सत्ता की तरफ ही नहीं, कैंडिडेट्स की तरफ भी. उनकी दोनों टांगों के बीच कितने डिग्री का कोण बनता है, मैंने नापा नहीं. मगर जब औरतें टांग फैला कर बैठती हैं तो लोगों के दिमाग के ज्योमेट्री बॉक्स खुल जाते हैं और सोच के चांदे लड़कियों की टांगों के बीच का कोण नापने लगते हैं.     भारत के सांस्कृतिक समाज में औरत होना क्या है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ट्रैवल करना उसका निकटतम रूपक है. बस में, ट्रेन में, जहाज में, अगर आपको मिडिल सीट मिली है और अगल-बगल वाली सीटों पर पुरुष हैं, तो आपकी आधी जगह यूं ही छिक जाती है. क्योंकि पहले पुरुष को कुर्सी के हत्थे पर हाथ रखने, फिर बस स्टॉप तक के थके हुए सफ़र के बाद कमर को नीचे खिसकाते हुए सीट के सामने और आजू-बाजू 60 डिग्री का कोण बनाते हुए रिलैक्स करने की जगह चाहिए होती है. अगर सभी सीटों पर पुरुष हैं, तो घुटने सटाते ही सब एडजस्ट हो जाता है. लेकिन अगर महिला है, तो वो पुरुष से टांगें सिकोड़ने को नहीं कह सकती. इसलिए वो खुद की टांगें सिकोड़ती है. क्योंकि वो अच्छे घर की लड़की है और ये नहीं चाहती कि बचे हुए सफ़र पर लोग उसे यूं देखें, जैसे उसके साथ एक रात बिताने का रेट जानना चाहते हों.

'मैनस्प्रेडिंग'

आज से तकरीबन 3 साल पहले 'मैनस्प्रेडिंग' के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक बड़ी मुहिम छिड़ी थी. मैनस्प्रेडिंग का अर्थ होता है किसी पुरुष का जरूरत से ज्यादा जगह लेकर बैठना, खासकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में, अपनी टांगों से 'V' का आकार बनाते हुए. बात हुई समाज में सभ्य बर्ताव की. लोगों ने पुलिस में शिकायतें तक दर्ज कीं कि कुछ लोगों के टांगें फैलाकर बैठने की वजह से बाक़ी लोगों को जगह नहीं मिलती है. और उन्हें अपनी सीट पर सिकुड़ना पड़ता है.     मगर बात सिर्फ यहां 'मैनर्स' की नहीं है. बात टांगें फैलाने से जुड़े पौरुष की है. जब एक पुरुष टांगें फैलाता है, वो असल में सोचता नहीं कि वो टांगें फैला रहा है. ये लोगों को सताने के लिए कोई सोच समझकर लिया हुआ फैसला नहीं होता. बात ये है कि पुरुष ने और किसी तरह से बैठना सीखा ही नहीं. हमारे घरों में जब बच्चे बड़े हुए, हमेशा लड़कियों को बताया गया कि पैर चिपकाकर बैठो. लड़कों से ऐसा कुछ नहीं कहा गया. वरना टांगें कौन नहीं पसारता. टांगें पसारना तो रिलैक्स होने पर की जाने वाली सबसे पहली चीज है. यही पुरुष अगर टांगें चिपकाकर या एक जांघ दूसरी पर चढ़ाकर पैरों को क्रॉस करते हुए बैठें, तो साथ वाले मर्द उसे 'छक्का' कह देंगे और औरतें, जो खुद 'मैनस्प्रेडिंग' की शिकार हैं, मुंह दबाकर हंसेंगी. लड़कियां भी टांग फैलाकर बैठने वाली दूसरी लड़कियों को मर्दाना कहेंगी. टांगें फैलाकर, तेज आवाज में बात करने वाली या बॉडी बिल्डिंग करने वाली औरतों को सहज रूप से एक गाली के तौर पर 'लेस्बियन' और 'मर्दाना' कहा जाना आम बात है.
चूंकि मैं टांगें फैलाकर बैठती हूं और बिल्ली की तरह टांगें चिपकाकर नहीं चलती, लोगों ने कई बार मुझे छोटी बातों पर रोता देख और शाहरुख़ खान के गानों पर आहें भरते देख आश्चर्य व्यक्त किया है. कि ये मर्दाना औरत कैसे 'लड़कियों' सी हरकत कर सकती है.
दो दिन पहले कैनडा के प्राइम मिनिस्टर एक मैगजीन के कवर पर दिखाई पड़े. ये याद दिलाना जरूरी नहीं कि जस्टिन ट्रूडो की फैन फॉलोविंग बड़े-बड़े फ़िल्मी सितारों से भी ज्यादा है. ट्रूडो एक कुर्सी पर बैठे हैं, अपने पैर दाईं और बाईं तरफ कर. लोगों ने लिखा, ये मैनस्प्रेडिंग है. फिर ये भी लिखा कि ये मैनस्प्रेडिंग इतनी सेक्सी है कि हमें इससे कोई शिकायत नहीं. मेरा कहना ये नहीं कि हमें जस्टिन के 'पोस्चर' से शिकायत हो. बल्कि इस तस्वीर पर लोगों की, खासकर लड़कियों की प्रतिक्रिया ये दिखाती है कि हम खुली टांगों को पौरुष से जोड़कर देखते हैं. इसलिए सीधे खड़े ट्रूडो की तस्वीर से ज्यादा टांगें पसारे ट्रूडो की तस्वीर हमें अपील करती है. अपील तो हमें एक औरत की टांगें पसारे हुई तस्वीर भी करती है. मगर दोनों में फर्क है. पुरुष की तस्वीर महज आकर्षित करती है, मगर औरत की तस्वीर न्योता देती है. नीचे लगी तस्वीर में बाईं और ट्रूडो हैं, दाईं ओर गायिका निकी मिनाज. दोनों की शक्ल के भावों से मालूम पड़ जाएगा कि औरत और पुरुष के टांगें फैलाने में क्या फर्क है. justin nicki इसलिए अच्छे घर की लड़कियां पब्लिक में टांगें नहीं फैलातीं. अकेले में आराम करती हैं. और माता-पिता? कहां अकेले बस से जाओगी बेटा. दो दिन बाद फलाने जा रहे हैं, उनके साथ निकल जाना. या फिर तुम्हें भाई छोड़ आएगा. फिर भी हजारों लड़कियां उत्तर प्रदेश और हरियाणा के गांवों से, छोटे-छोटे शहरों से रोज रोडवेज की बसों में ट्रैवल कर दिल्ली जैसी जगहों पर आती हैं. हर बार उसी तरह टांगें सिकोड़े. क्योंकि वो अकेली होतीं है और नहीं चाहतीं कि पुरुषों को कोई 'संकेत' मिले. इन्हीं बसों में 99 फीसदी पुरुष शायद ऐसे हों जो लड़की को कभी 'गंदी' नजर से न देखें. लेकिन लड़कियों को सेफ रहना पड़ता है क्योंकि अकेले सफ़र करने का रिस्क उन्होंने लिया है.
हमारे घरों में बहुएं देर तक नहीं सो पातीं. सिर्फ इसलिए नहीं कि सुबह उठकर उन्हें घर के काम करने हैं. बल्कि इसलिए कि हमारे निजतारहित घरों में अगर उसका सोता हुआ शरीर किसी बड़े को दिख गया तो अनर्थ हो जाएगा. सोते हुए टांगों पर बस नहीं चलता न. आराम की मुद्रा में टांगें अपने आप खुल जाती हैं.
औरत चूंकि एक दिमाग और आत्मा नहीं, महज एक शरीर है, इसलिए शरीर का हर एक मूवमेंट पुरुष को सेक्स के लिए उकसा सकता है. टाइट टीशर्ट में चलना, सीढ़ियां उतरते समय उनके स्तनों का हिलना, एस्केलेटर और सीढ़ियों पर पीछे वाले पुरुष को उनके कूल्हे दिखना, सब बड़े तौर पर पुरुषों को प्रेरित करने के लिए हैं. यहां तक की लड़की का आंखें घुमाकर बात करना और मुस्कुराना भी पुरुषों के लिए संकेत है. है न? अंततः हैं तो हम जब जानवर ही. नर और मादाएं. ये बात और है कि नर खुले में टांगें फैला सकते हैं, मादाएं नहीं.
ये भी पढ़िए:

आलिया भट्ट ने अपनी फेवरेट सेक्स पोजीशन बताई तो वो हमारे लिए खबर क्यों है?

तमाम पुरुषों के नाम, जिनको रोने की छूट नहीं है

'लड़कों को भरे शरीर वाली लड़कियां अच्छी लगती हैं, थोड़ा वजन बढ़ा लो'

 

Advertisement
Advertisement
इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स
Advertisement