आज मैं आपसे 5 सवाल पूछूंगी. अगर इन पांचों सवालों का जवाब आप हां में देते हैं तो आज का ये एपिसोड आपके लिए बेहद ज़रूरी है. पहला सवाल. फ़र्ज़ कीजिये आपने सुबह न्यूज़ में किसी एक्सीडेंट की ख़बर देखी. उसमें कुछ लोगों की मौत हुई है. ख़बर देखने के बाद क्या दिनभर आप उसके बारे में सोचते रहते हैं? वो बात दिमाग से जाती नहीं? उन लोगों का क्या होगा जो नहीं रहे, उनके परिवार का क्या होगा, क्या ऐसे सवाल आपके मन आते हैं? दूसरों के मुकाबले आप ऐसी चीज़ों से ज़्यादा अफेक्ट होते हैं?
दूसरा सवाल. क्या कोई भी बदलाव आपके लिए एक्सेप्ट कर पाना मुश्किल होता है? ज़िंदगी में कुछ बदलाव आ जाए कुछ नया हो, आप उसे जल्दी अपना नहीं पाते, उल्टा ये आपको डिस्टर्ब करता है? तीसरा सवाल. क्या आपको लगता है आप बहुत ज़्यादा सोचते हैं? हर चीज़ के बारे में. इतना कि कभी-कभी अपना ही दिमाग थक जाता है. थका हुआ सा लगता है? चौथा सवाल. अगर कोई आपको टोके या आपकी आलोचना करे, ये आप बिलकुल अच्छा नहीं लगता? आप बहुत ज़्यादा दुखी हो जाते हैं ऐसे में? आख़िरी सवाल. क्या आपको लगता है आपको बाकी लोग समझ नहीं पाते?
अब अगर इन सवालों का जवाब हां है तो अपने बारे में आज एक बात जान लीजिए. आप कहलाते हैं एक हाइली सेंसिटिव पर्सन. ये कोई कोरा टर्म नहीं है. ये असल में पर्सनालिटी का रूप है. आप ऐसे क्यों हैं, इसके पीछे आपका दिमाग भी ज़िम्मेदार है. सबसे पहले ये समझना ज़रूरी है कि हाइली सेंसिटिव पर्सन होना क्या होता है, कोई ऐसा क्यों होता है, और इससे कैसे डील करें. ये सारे सवाल हमने पूछे एक्सपर्ट्स से. सुनिए उन्होंने हमें क्या बताया. हाइली सेंसिटिव पर्सन होना क्या होता है? ये हमें बताया रकिब अली ने.

राक़िब अली, कंसल्टेंट क्लिनिकल साईकोलॉजिस्ट, बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल, फाउंडर CUBBE क्लिनिक्स
-हाइली सेंसिटिव पर्सन एक ऐसा टर्म है जो बनावटी नहीं है. ऐसे लोग असल में होते हैं.
-ये कोई साइकोपैथोलॉजी या दिमागी बीमारी या डिसऑर्डर नहीं है.
-ये पर्सनालिटी का एक रूप है.
-दुनियाभर में लगभग 20 प्रतिशत लोग हाइली सेंसिटिव पर्सन की कैटगरी में आते हैं. लक्षण -हाइली सेंसिटिव होने का मतलब है आप किसी भी सिचुएशन में और लोगों के मुकाबले जल्दी और ज़्यादा रिऐक्ट करते हैं.
-ये इंसान के बस के बाहर होता है.
-आपका दिमाग ही ऐसा बना है कि आप बाकी लोगों के मुकाबले जल्दी रिऐक्ट करते हैं.
-हाइली सेंसिटिव पर्सन होने के नुकसान भी हैं.
-ऐसे लोगों को ज़्यादातर ग़लत समझा जाता है.
-लोगों को लगता है कि हाइली सेंसिटिव पर्सन छोटी-छोटी बातों पर रिऐक्ट करते हैं, चीज़ों से डरते हैं, उन्हें अवॉइड करते हैं.

-असल में देखा जाए तो हाइली सेंसिटिव पर्सन अपने आसपास होने वाली घटनाओं, सिचुएशन को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं.
-हाइली सेंसिटिव पर्सन होने के फायदों की बात करें तो ऐसे लोग दूसरों से बहुत सहानुभूति रखते हैं.
-भावनाओं के प्रति काफ़ी समझ रखते हैं.
-अगर उन्हें सपोर्ट मिले तो वो काफ़ी तरक्की करते हैं.
-दूसरों से कई चीज़ों में आगे रहते हैं जैसे उनकी परफॉरमेंस. कारण -कोई हाइली सेंसिटिव पर्सन क्यों होता है, इसके पीछे एक थ्योरी है.
-जिसे सेंसरी प्रोसेसिंग थ्योरी कहा जाता है.
-हमें कोई भी जानकारी हमारे वातावरण से मिल रही है.
-हम सबकी सहने की एक लिमिट होती है.
-हाइली सेंसिटिव पर्सन का दिमाग जल्दी रिऐक्ट करता है सेंसरी जानकारी के प्रति.
-उन्हें चीज़ों को अपनाने में ज़्यादा समय चाहिए होता है.
-वो जल्दी चीज़ों से अफेक्ट होते हैं.
-ऐसे लोग ज़्यादा सोचते हैं क्योंकि उन्हें चीज़ों के बारे में ज़्यादा गहराई से सोचना ठीक लगता है.
-चाहे लाइट हो, साउंड हो, भीड़ हो या कोई नया काम हो, ऐसे लोगों में दिमाग जल्दी अफेक्ट होता है.
-उन्हें दिमाग की एक ऐसी स्टेट बनाने में जिसमें उनका दिमाग सही से काम कर सके, उसके लिए अपने आसपास के वातावरण को कंट्रोल करना और उसके हिसाब से खुदको ढालना ज़रूरी हो जाता है बाकी लोगों के मुकाबले.
-हाइली सेंसिटिव पर्सन होना मुश्किल एहसास होता है जब आप खुद को और दूसरे लोग आपको समझ नहीं पाते. कैसे डील करें? -पहली चीज़. हाइली सेंसिटिव पर्सन होना असल में कोई चीज़ होती है, ये मानें.
-हममें से वाकई 20 प्रतिशत लोगों का दिमाग ऐसा बना हुआ है कि वो जल्दी रिऐक्ट करेंगे.
-इसको समझना ज़रूरी है.
-दूसरी बात. हम अगर अपने पुराने फैसलों, दिनचर्या, कामकाज के बारे में सोचें तो हमें पता चलेगा कि हाइली सेंसिटिव पर्सन होने की वजह से हमने उन्हें ऐसे ढाला है.
-तीसरी बात. पास्ट में हुई अप्रिय घटनाओं से उबरना बहुत ज़रूरी है.
-हाइली सेंसिटिव पर्सन के बचपन में, लाइफ में कुछ ऐसी अप्रिय घटनाएं हुई होती हैं जिन्हें वो अपना नहीं पा रहे होते.
-यही पर एक काउंसलर या साइकोथेरेपिस्ट की ज़रूरत पड़ती है.

-हाइली सेंसिटिव पर्सन होना कोई डिसऑर्डर नहीं है, ये पर्सनालिटी का एक रूप है जिसे मैनेज करना ज़रूरी है.
-अपने जैसे दूसरे लोगों से मिलें, उन्हें समझें.
-ये बहुत मददगार साबित होगा.
-ये महसूस करना कि हम अकेले हैं और कोई मदद नहीं कर सकता बहुत ही ख़तरनाक फीलिंग है.
-इससे निपटना बेहद ज़रूरी है.
-दूसरे हाइली सेंसिटिव पर्सन से जुड़ना बेहद ज़रूरी है.
-अगर हाइली सेंसिटिव पर्सन खुद को मैनेज कर पाएं तो पर्सनालिटी का ये रूप काफ़ी मददगार भी साबित हो सकता है.
-ये माना जाता है कि इन्हीं 20 प्रतिशत लोगों की वजह से दुनिया के ज़रूरी इशू बने हुए हैं.
-सेंसिटिव लोग समाज के लिए ज़रूरी हैं.
-पर उनको समझना ज़रूरी है.
आपने डॉ. रकिब की बातें सुनीं. उम्मीद है जो भी ऐसा महसूस करते हैं, उन्हें अपने कई सवालों के जवाब मिल गए होंगे. या अगर आप किसी ऐसे इंसान को जानते हैं तो आपको समझ में आया होगा कि वो लोग ऐसा क्यों महसूस करते हैं. हाइली सेंसिटिव पर्सन जो टर्म है, इसकी खोज की थी डॉक्टर एलेन एरन ने. हाइली सेंसिटिव पर्सन होने का ये मतलब नहीं कि आप कमज़ोर हैं. या आपको कोई डिसऑर्डर है. ये आपकी पर्सनालिटी का एक टाइप है. इसको बदला नहीं जा सकता. हां मैनेज किया जा सकता है. आप चाहें तो प्रोफेशनल मदद भी ले सकते हैं.