(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
मरने के बाद भी ऐसे बाप बन सकते हैं पुरुष?
स्पर्म फ्रीज़िंग क्या है, जिसकी मदद से पुरुष कभी भी पिता बन सकते हैं.

हमें सेहत पर मेल आया Lallantop के एक व्यूअर का जो नहीं चाहते थे हम शो पर उनका असली नाम लें. इसलिए हमको एक काल्पनिक नाम दे रहे हैं. अनिकेत. 38 साल के हैं और मर्चेंट नेवी में काम करते हैं. लगभग 1 साल पहले उनकी शादी हुई है. अनिकेत और उनकी पत्नी का अभी बच्चा पैदा करने का कोई प्लान नहीं है. अगले कुछ सालों तक. हालांकि वो आगे जाकर पिता ज़रूर बनना चाहते हैं. पर उनके मन में डर है कि जब कभी आगे जाकर वो बायोलॉजिकल तरीके से पिता बनने की कोशिश करेंगे तो हो सकता है उम्र और हेल्थ के कारण वो ऐसा न कर पाएं. ऐसे में उन्होंने अपने कुछ दोस्तों से बात की जिन्होंने उन्हें एग फ्रीज़िंग और स्पर्म फ्रीज़िंग टेक्नीक के बारे में बताया. ये वो टेक्नीक हैं जिनसे पुरुष अपने शुक्राणु यानी स्पर्म को और महिला अपने अंडों को सालों तक फ्रीज़ करके रख सकते हैं. और जब भी वो मां-बाप बनने की कोशिश करेंगे तो उस समय वो ये अंडा और स्पर्म इस्तेमाल कर सकते हैं.
अब एग फ्रीज़िंग क्या होती है, इस पर हम पहले बात कर चुके हैं. उसके बारे में आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं. आज हम बात करेंगे स्पर्म फ्रीज़िंग के बारे में. सबसे पहले डॉक्टर्स से जानते हैं स्पर्म फ्रीज़िंग क्या है?
ये हमें बताया डॉक्टर रितु सेठी ने.

स्पर्म फ्रीज़िंग यानी शुक्राणु को फ्रीज़ करने का तरीका. जिसको क्रायोप्रिजर्वेशन भी कहते हैं. ये एक ऐसा प्रोसीजर है जिसमें कोई भी आदमी कुछ समय बाद अपने ही स्पर्म इस्तेमाल करके बायोलॉजिकल तरीके से पिता बन सकता है. आमतौर पर सीमेन बैंक्स में स्पर्म को सब ज़ीरो डिग्री तापमान में जैसे -196 या -200 डिग्री में स्टोर किया जाता है. जब भी पेशेंट चाहे तब इसको वापस इस्तेमाल कर सकता है.
स्पर्म फ्रीज़िंग क्यों की जाती है?कुछ लोगों को कैंसर होता है, जैसे अंडकोष का कैंसर या प्रोस्टेट कैंसर. ऐसे में उनको कीमोथेरेपी लेनी पड़ती है, रेडिएशन थेरेपी लेनी पड़ती है. ऐसे लोग इन थेरेपीज़ से पहले अपने सीमेन को सुरक्षित करवा सकते हैं, क्योंकि कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी जैसे इलाज के बाद स्पर्म की क्वालिटी गिर जाती है.
कई और सर्जरीज़ ऐसी हैं जिनके कारण भी सीमेन की क्वालिटी काफ़ी गिर जाती है. ऐसे में आगे जाकर बायोलॉजिकल तरीके से पिता बनना संभव नहीं हो पाता. ऐसे लोग भी सर्जरी से पहले अपने सीमेन को प्रिज़र्व कर सकते हैं. कुछ लोग हाई रिस्क नौकरी करते हैं या परिवार से बहुत समय के लिए दूर रहते हैं. अपने पार्टनर के साथ समय पर प्रेग्नेंसी प्लान नहीं कर सकते, वो लोग भी अपना सीमन प्रिज़र्व कर सकते हैं.

सबसे पहले टेस्ट किया जाता है कि पुरुष में कोई सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन तो नहीं है क्योंकि ये इन्फेक्शन सीमेन के जरिए बच्चे और पार्टनर को भी हो सकते हैं. इंफेक्शन नहीं होने पर स्पर्म बैंक में सीमेन का सैंपल कलेक्ट किया जाता है. कई स्पर्म बैंक्स घर से सैंपल कलेक्ट करने की सुविधा भी देते हैं. लेकिन उस केस में स्पर्म को एक घंटे के अंदर स्पर्म बैंक तक पहुंचाना ज़रूरी होता है, नहीं तो उसकी क्वालिटी में गिरावट होने लगती है. सैंपल बैंक में देने के बाद उसको साफ़ करके तैयार किया जाता है, फिर उसकी क्वालिटी देखने के लिए टेस्ट किया जाता है. ये स्पर्म की स्क्रीनिंग के ज़रिए किया जाता है. उसके बाद स्पर्म को फ्रीज़ किया जाता है. इसे तब तक स्टोर करके रखते हैं जब तक पेशेंट इसे इस्तेमाल न करना चाहे.
प्रेग्नेंसी के किए ये फ्रोज़ेन स्पर्म कैसे इस्तेमाल किया जाता है?जब भी कोई पेशेंट स्पर्म को इस्तेमाल करना चाहते हैं बायोलॉजिकल तरीके से पिता बनने के लिए,तो उनको स्पर्म बैंक को संपर्क करना पड़ता है. स्पर्म बैंक फ्रोज़ेन स्पर्म को डी-फ्रीज़ करता है. यानी उसको कमरे के तापमान पर लेकर आता है. फिर उस स्पर्म की क्वालिटी की फिर से जांच की जाती है. क्योंकि डिफ्रीज़िंग की प्रोसेस में स्पर्म काउंट में गिरावट आ जाती है. इसलिए स्पर्म कलेक्ट करते हुए ही इस बात का ध्यान रखा जाता है कि स्पर्म किसी हेल्दी इंसान के हों और लिए हुए सैम्पल का स्पर्म काउंट अच्छा हो. आइडियली स्पर्म देने वाले व्यक्ति की उम्र 40-45 से ऊपर नहीं होनी चाहिए.
ताकि भले ही 10 साल बाद वो स्पर्म इस्तेमाल किए जाएं पर उनकी क्वालिटी ठीक रहे, अगर इन स्पर्म की क्वालिटी ठीक है तो इन्हें अलग-अलग प्रोसीजर के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. लोगों के मन में डर रहता है कि अगर इस फ्रोज़ेन स्पर्म को इस्तेमाल करेंगे तो हो सकता है कि इससे पैदा होने वाले बच्चे को जेनेटिक बीमारी हो. पर इन बातों में कोई भी सच्चाई नहीं है, फ्रोज़ेन स्पर्म इस्तेमाल करने से पैदा होने वाले बच्चे को कोई दिक्कत नहीं होती.
स्पर्म फ्रीज़ करने की कीमत एक अच्छे लैब में 2-3 हज़ार होती है, इसके अलावा कितने वक्त तक स्पर्म फ्रीज़ रखवाना है, उसके आधार पर भी चार्ज लिए जाते हैं.
भई साइंस ने बड़ी तरक्की कर ली है. उसी का एक फल है स्पर्म फ्रीज़िंग. जैसे डॉक्टर रितु ने बताया, बहुत सारे कारण हैं जिनके चलते लोगअपने शुक्राणुओं को फ्रीज़ करवा लेते हैं. और आगे जाकर जब भी वो चाहें, बायोलॉजिकल तरीके से पिता भी बन सकते हैं. उम्मीद है जिन लोगों को इसकी ज़रुरत है, ये जानकारी उनके काम आएगी.
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