(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
क्या आप किसी पर भरोसा नहीं कर पाते, सब पर शक रहता है? ये साइकोसिस हो सकता है!
शक शंका में इंसान को लगता है कि लोग उसके ख़िलाफ़ हैं, उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.

वरदान 25 साल के हैं. दिल्ली में रहते हैं. उनका एक छोटा भाई है, जिसकी उम्र 19 साल है. पिछले एक साल में उसके बर्ताव में काफ़ी बदलाव आ गया है. उसे आवाज़ें सुनाई देती हैं, कुछ चीज़ें दिखाई देती हैं जो असल में होती नहीं. जब वरदान के भाई के साथ ये सब होना शुरू हुआ तो उनके परिवार वाले काफ़ी डर गए. उनको लगा उस पर किसी भूत-प्रेत का साया है. उसे पीर बाबा वगैरह को दिखाया. उनके घरवालों को लगा था वो ठीक हो जाएगा. पर ऐसा हुआ नहीं. उसकी हालत और बिगड़ती रही. वो काफ़ी वायलेंट हो गया. उसे लगने लगा कि उसके घरवाले ही उसके दुश्मन है. यहां तक कि उसने खाना-पीना छोड़ दिया क्योंकि उसको पूरा यकीन था कि उसके खाने में ज़हर मिलाया गया है. वो उसे मारना चाहते हैं. सबके समझाने का कोई असर हुआ नहीं.
वरदान के घरवाले सब कुछ कर रहे थे, बस अपने बेटे को डॉक्टर को नहीं दिखा रहे थे. सोच वही. लोग क्या कहेंगे. खैर लड़-झगड़कर वरदान ने अपने भाई को एक मनोचिकत्सक को दिखाया. उसके कई सेशन हुए, पता चला वो साइकोसिस से जूझ रहा है. ये एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है. उसका अब इलाज हो रहा है, दवाइयां दी जा रही हैं, थेरेपी दी जा रही है. पहले के मुकाबले वो बेहतर है. वरदान चाहते हैं कि हम अपने शो पर साइकोसिस के बारे में बात करें. इसके बारे में जानकारी फैलाएं ताकि जो लोग इससे जूझ रहे हैं, उन्हें सही मदद मिल सके. साथ ही उनके आसपास के लोग भी समझें और इसे भूत-प्रेत का साया समझकर ढोंगी बाबाओं के चक्कर में न पड़े.
बात एकदम सही है. आप सोच भी नहीं सकते हमारे देश में कितने सारे लोग साइकोटिक डिसऑर से ग्रसित हैं. हो सकता है आपके आसपास भी कोई हो. तो सबसे पहले ये समझ लेते हैं साइकोसिस होता क्या है?
साइकोसिस क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर ज्योति कपूर ने.

-साइकोसिस एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें दिमाग की प्रक्रियाएं जैसे सोचने का तरीका,
- चीज़ों को महसूस करने का तरीका प्रभावित होता है.
-इसके चलते इंसान के विचार और धारणाओं में असंतुलन आ जाता है.
-जिसका नतीजा ये होता है कि वास्तविकता से इंसान का संपर्क ठीक से नहीं बन पाता है.
-यानी इंसान उन चीज़ों पर विश्वास करने लगता है जो कि सच नहीं हैं.
-ऐसी चीज़ों को सुनना, देखना, महसूस करना शुरू कर देता है जो असल में नहीं है.
-आमतौर पर जब ऐसा होता है तो आसपास के लोगों को लगता है कि इंसान झूठ बोल रहा है.
-लेकिन जो चीज़ें बाकी लोग देख, सुन या महसूस नहीं कर पाते.
-पेशेंट उन चीज़ों को अपने दिमाग में महसूस कर पाता है.
-इसलिए उसका इन चीज़ों में विश्वास होता है.
कारण-साइकोसिस दिमाग में रसायन के असंतुलन के कारण होता है.
-ये स्कीज़ोफ्रेनिया, डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारियों में भी देखा जाता है.
-इसके अलावा दिमाग पर लगी चोट.
-मेटाबॉलिक डिस्टर्बेंस जैसे शरीर में नमक, पानी का असंतुलन होना.
-किसी टॉक्सिन जैसे यूरीमिया के बढ़ने से हो सकता है.
-इसके अलावा साइकोसिस ब्रेन ट्यूमर या कुछ नशीले पदार्थों के सेवन से भी हो सकता है.

-साइकोसिस के मुख्य लक्षणों में सोच और विचारों में डिस्टर्बेंस एक मेन लक्षण है.
-इसको भ्रम कहते हैं.
-ये वो गलत विचार होते हैं जिसमें इंसान का पूरा विश्वास होता है.
-इतना कि स्पष्ट प्रमाण देने के बाद भी इंसान को लगता है कि जो वो सोच रहा है वो सही है.
-बाकी लोग गलत कह रहे हैं.
-भ्रम कई प्रकार के हो सकते हैं.
-जैसे शक शंका जिसमें इंसान को लगता है कि लोग उसके ख़िलाफ़ हैं, उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.
-उसका पीछा कर रहे हैं.
-कैमरा के ज़रिए उसे देख रहे हैं.
-या जो लोग आपस में बात कर रहे हैं वो उसी की बात कर रहे हैं.
-इस तरह का भ्रम होने लगता है.
-दूसरी तरह का भ्रम है कि इंसान को लगता है उसमें स्पेशल पॉवर है.
-या स्पेशल ताकत महसूस करने लगता है.
-जिसे भव्य भ्रम बोला जाता है.
-इंसान को लगता है उसमें कोई स्पेशल गुण हैं.
-या उसमें ऐसी कुछ ताकतें हैं जिससे वो बड़े-बड़े काम कर सकता है.
-दूसरों से बेहतर चीज़ों को समझता है.
-कुछ विचित्र भ्रम भी हो सकते हैं.
-जो कि आमतौर पर सच होना एकदम मुश्किल हैं.
-जैसे इंसान को लगता है कि उसके दिमाग में दूसरे लोग विचार डाल रहे हैं.
-या उसके विचारों को और लोग पढ़ पाते हैं.
-भ्रम के अलावा साइकोसिस में हैलुसिनेशन (मतिभ्रम) होने लगता है.
-जिसमें इंसान को ऐसी चीज़ें दिखती हैं, आवाज़ें सुनाई देती हैं जो असल में नहीं होती हैं.

-आवाज़ें सुनना या अपने आप से बातें करना इस तरह के लक्षण हैं जिसे ऑडिटरी हैलुसिनेशन कहा जाता है.
-कुछ हैलुसिनेशन ऐसे होते हैं जिसमें इंसान को लगता है कि उसे कोई छू रहा है या गलत काम कर रहा है.
-भ्रम और हैलुसिनेशन के चलते इंसान अपना मानसिक संतुलन खो देता है.
-इंसान रिलैक्स नहीं कर पाता है.
-उसमें अशांति बढ़ती है.
-जिसके चलते गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, वायलेंट होना आम है.
-इंसान ख़ुद को दूसरों से दूर कर लेता है.
-अपने कमरे या घर में ख़ुद को बंद कर लेता है.
-किसी से बात नहीं करता.
-इंसान अपना ख्याल रखना छोड़ देता है.
-एक्सट्रीम केसेस में वो अपनी ही बीमारियों के लक्षणों को नहीं पहचान पाता.
-साइकोसिस लक्षणों का समूह है.
-जो अलग-अलग तरह की बीमारियों में देखा जाता है.
-अगर इन लक्षणों को समय पर पहचान लेते हैं तो इलाज करना संभव है.
-प्राइमरी साइकोसिस जैसे स्कीज़ोफ्रेनिया एक बायोलॉजिकल या अनुवांशिक बीमारी है.
-इसका कोई बाहरी कारण नहीं होता.
-प्राइमरी साइकोसिस अर्ली ऐज में 16-17 से लेकर 25 साल तक की उम्र में देखा जाता है.

-जिन परिवारों में मानसिक डिसऑर्डर की हिस्ट्री रही है, उनमें लक्षणों की संभावना बढ़ जाती है.
-इसलिए समय पर इन लक्षणों पर ध्यान देना ज़रूरी है.
-और डॉक्टर से सलाह लेने से इन तकलीफ़ों को बढ़ने से रोका जा सकता है.
-इलाज के ज़रिए इंसान नॉर्मल ज़िंदगी जी सकता है.
इलाज-आजकल ऐसी दवाइयां उपलब्ध हैं जिनसे इंसान अपने लक्षणों पर काबू पा सकता है.
-इसलिए साइकोसिस के लक्षणों को पहचानें और जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से सलाह लें.
आपको दिल्ली का बुराड़ी केस याद है. साल 2018 में दिल्ली के एक ही परिवार के 11 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी. उस वक़्त तरह-तरह की बातें हुई थीं. काला जादू से लेकर एलियन, सारी थ्योरी लगाई गई थीं. पर असल में ये मामला था शेयर्ड साइकोसिस का. यानी एक ही परिवार के इतने सारे लोग साइकोसिस से जूझ रहे थे. वो उन चीज़ों को असली मान रहे थे जो असल में नहीं थीं. अगर समय पर इनको इलाज मिलता तो कई जानें बच सकती थीं. इसलिए अगर आप किसी ऐसे इंसान को जानते हैं, जिसमें साइकोसिस के लक्षण दिख रहे हैं, तो उसे डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं ताकि उन्हें सही इलाज मिल सके.
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