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ज्यादा गर्मी लग जाने से शरीर में ऐसा क्या होता है कि मौत तक हो जाती है?

डॉक्टर ने बताया गर्मियों में अपना ख्याल कैसे रखें.

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ये एक इमरजेंसी कंडीशन है, अगर तुरंत सही इलाज न मिले तो इंसान के दिल, दिमाग, मांसपेशियां और किडनी पर इसका असर होता है
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो भी सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछ लें. लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

देश के कई हिस्सों में मानसून ने दस्तक दे दी है. पर कई इलाके ऐसे हैं जहां भयंकर गर्मी पड़ रही है. इस बार भी गर्मी ने पिछले सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए. हर साल नया रिकॉर्ड बनता है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक, हिंदुस्तान में पिछले 50 सालों में गर्मी से 17,000 लोगों की मौत हुई है. यहां तक कि कैनेडा, जिसको हम बहुत ही ठंडा देश समझते हैं, वहां हीटवेव यानी लू के कारण लगभग 200 लोगों की जान जा चुकी है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि गर्मी से किसी इंसान की मौत कैसे हो जाती है? ये समझने के लिए हमने बात की डॉक्टर आभा मंगल से. गर्मी से मौतें कैसे हो जाती हैं? ये हमें बताया डॉक्टर आभा ने.
डॉक्टर आभा मंगल, स्पेशलिस्ट एंड हेड कम्युनिटी हेल्थ डिपार्टमेंट, सेंट स्टीफेंस हॉस्पिटल, नई दिल्ली
डॉक्टर आभा मंगल, स्पेशलिस्ट एंड हेड कम्युनिटी हेल्थ डिपार्टमेंट, सेंट स्टीफेंस हॉस्पिटल, नई दिल्ली


हीटस्ट्रोक यानी लू. गर्म हवाएं. गर्मी के दिनों में बहुत देर तक बाहर रहने से और तेज़ धूप में काम करने से लू लग सकती है. ये एक इमरजेंसी कंडीशन है, अगर तुरंत सही इलाज न मिले तो इंसान के दिल, दिमाग, मांसपेशियों और किडनी पर इसका असर होता है. गर्मी में शरीर पर पड़ने वाले स्ट्रेस के कई प्रकार होते हैं. इनको स्टेजेस भी कह सकते हैं-
-सबसे पहले होता है हीट सिंकोप. ये सबसे माइल्ड रूप है जिसमे इंसान धूप में रहने के कारण पीला पड़ जाता है. उसका बीपी कम हो जाता है. वो बेहोश होकर गिर जाता है. इसमें शरीर का तापमान सामान्य रहता है. ये पेरिफ़ेरिल पूलिंग ऑफ़ ब्लड की वजह से होता है.
-दूसरा है स्टेज हीट क्रैंप. जो लोग गर्मी और उमस में रहकर मेहनत करते हैं, उनके हाथों और पैरों की मांसपेशियों में बहुत तेज़ दर्द होता है. मांसपेशियां सिकुड़ती हैं. ये शरीर में सोडियम और क्लोराइड की कमी के कारण होता है.
-तीसरी स्टेज है हीट एक्सॉशन. ये शरीर में पानी की कमी होने के कारण होता है. गर्मी के दिनों में पसीने के साथ शरीर का पानी निकल जाता है. अगर हम पानी पीकर इसकी कमी पूरी नहीं करते तो चक्कर आना, कमज़ोरी होना, थकान जैसे लक्षण होते हैं. शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है. 102 डिग्री तक पहुंच सकता है.
Heat wave grips India - India News गर्मी में शरीर पर पड़ने वाले स्ट्रेस के कई प्रकार होते हैं. इनको स्टेजेज़ भी कह सकते हैं


- चौथा स्टेज है हीटस्ट्रोक. ये सबसे सीरियस कंडीशन है. ये शरीर में गर्मी कंट्रोल करने वाले सिस्टम के फ़ेल हो जाने से होता है. इससे शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है. ये गर्मी और उमस में ज़्यादा समय तक रहने से होता है. इसके अलावा अगर मौसम के हिसाब से कपड़े न पहने हों, शराब का ज़्यादा सेवन किया हो. सही मात्रा में पानी न पिया हो, तो भी हीटस्ट्रोक हो जाता है. किन लक्षणों पर नज़र रखनी है शरीर का तापमान बढ़ना. शरीर का कोर तापमान जो कान से पता चलता है, वो 104 डिग्री से ऊपर हो जाता है. शरीर छूने पर बहुत गर्म लगता है. मानसिक बदलाव देखने को मिलते हैं. जैसे चीज़ें समझ में न आना, चिड़चिड़ापन, बोलने में कठनाई, बेहोशी. दौरा भी आ सकता है. इंसान कोमा में भी जा सकता है. शरीर छूने पर सूखा लगता है. पसीना अक्सर नहीं आता. कुछ केसेस में बहुत ज़्यादा पसीना आ सकता है. शरीर लाल हो जाता है. सांस, धड़कन तेज़ी से चलने लगती है. सिर में भयानक दर्द होता है.
Heatwave intensifies across India: What's causing it and when will it end?- Technology News, Firstpost शरीर का कोर तापमान जो कान से पता चलता है, वो 104 डिग्री से ऊपर हो जाता है

लक्षण दिखने पर क्या करें? -अगर कोई गर्मी की वजह से बेहोश हो गया है तो उसे छांव में ले जाएं
-एक्स्ट्रा कपड़े हटा दें
-शरीर पर पानी की पट्टियां रखें
-बगलों, सिर और पैरों पर रखें
-तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए बचाव -गर्मी के दिनों में कॉटन के कपड़े पहनें
-बाहर जाते समय छतरी इस्तेमाल करें
-अधिक मात्रा में फ्लुइड्स लें जैसे पानी, जूस
-ORS भी ले सकते हैं
Is extreme heat making India unlivable? आमतौर पर शरीर का तापमान छूने पर बहुत गर्म लगता है


-गर्मी में बंद कार के अंदर न बैठें
-न बच्चों को उसमें छोड़कर कहीं जाएं
-दोपहर के वक़्त एक्सरसाइज न करें
-धूप में काम करते हैं तो ब्रेक लेते रहें
तो ये गर्मी तो जब जाना होगी तब जाएगी. लेकिन जब तक ये चली नहीं जाती, तब तक आपको बहुत ज़रूरी न हो तो बाहर निकलने से बचना है. डॉक्टर ने जो टिप्स बताई हैं उन्हें ज़रूर फॉलो करिए. पानी ख़ूब पीते रहिए. कोविड का समय है, गर्मी में चाहे कितना असहज महसूस करें, अपना मास्क न हटाएं. पता है मुश्किल है, पर जान बचाने के लिए ज़रूरी है.