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मां के पेट में बच्चा, बच्चे के पेट में बच्चा! आखिर ये है क्या?
18वीं शताब्दी से ही फीटस इन फीटू के केसेस सामने आते रहे हैं, जिसमें बच्चे के पेट में बच्चा पाया गया है!

हाल ही में बिहार के मोतिहारी में अजीब मामला सामने आया. एक 40 दिन के बच्चे के पेट में भ्रूण मिला. आसान भाषा में समझें तो बच्चे के पेट में बच्चा! सुनने में भले ही अजीब लगे. पर दुनियाभर में ऐसे कई केसेज देखे गए हैं. इस कंडीशन को कहते हैं ‘फीटस इन फीटू’ या ‘फीटस इन फीटस’. ये बहुत ही रेयर कंडीशन है. पांच लाख बच्चों में ऐसा एक केस में होता है. हालांकि हिंदुस्तान में इसके और भी केस पाए गए हैं.
मोतिहारी के जिस बच्चे में ये पाया गया, उसके पेट में काफ़ी सूजन थी. वो पेशाब भी नहीं कर पा रहा था. जब डॉक्टर ने जांच की तो पता चला उसके पेट में एक भ्रूण है. सर्जरी कर के इस भ्रूण को निकाल दिया गया. बच्चा अब ठीक है और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया. तो आज बात करते हैं इस कंडीशन के बारे में.
ये हमें बताया डॉक्टर सबीता कुमारी ने.

-18वीं शताब्दी से ही फीटस इन फीटू के केस सामने आते रहे हैं.
-पर इसका बहुत साइंटिफ़िक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है.
-दुनियाभर में फीटस इन फीटू के 200 से ज़्यादा केस सामने आ चुके हैं.
-ये केस बहुत रेयर होते हैं
-5-10 लाख बच्चों में ऐसा होता है.
-भारतीयों में फीटस इन फीटू के लगभग 10 केस सामने आ चुके हैं.
-इसमें बच्चे के पेट में बच्चा बन रहा होता है.
कारण-फीटस इन फीटू का पक्का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है.
-लेकिन कुछ थ्योरी ज़रूर हैं.
-जब मां के गर्भ में एक से ज़्यादा बच्चे पल रहे होते हैं, जैसे जुड़वां बच्चे या ट्रिप्लेट.
-तब इस डेवलपमेंट के दौरान कुछ केसेज में एक भ्रूण दूसरे बच्चे के अंदर बढ़ने लगता है. ये केवल एक थ्योरी है.
-डेवलपमेंट के दौरान जो सेल्स बच्चे के अंदर चले गए, वो भ्रूण के रूप में बच्चे के अंदर बनने लगता है.
-बच्चे के पेट के अंदर जो बच्चा है, वो असल में उसका जुड़वां है.
-सेल्स किस तरह बच्चे के अंदर जाते हैं, इस पर कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है.

-दूसरी थ्योरी कहती है कि ये हाइली डिफरेंशिएटेड टेराटोमा होता है.
- टेराटोमा को जर्म सेल्स ट्यूमर भी कहते हैं यानी एक ऐसा ट्यूमर जिसमें दांत, बाल वगैरह दिखते हैं.
-इस केस में ये सेल्स बच्चे के अंदर जाते हैं और एक भ्रूण का फॉर्म लेते हैं.
-ये जुड़वां बच्चा अपने ही भाई या बहन के पेट में पलता है.
लक्षण-जब बच्चा पैदा हो जाता है तो पेल्विस यानी पेडू के हिस्से में सूजन रहती है, एक लंप रहता है.
-पेशाब आना बंद हो जाता है.
-बहुत दर्द होता है.
-इन लक्षणों के बाद डॉक्टर जांच करते हैं, जिससे इसका पता चलता है.
-2015 में हांग कांग में कुछ ऐसा ही केस सामने आया था.
-जांच में पता चला कि बच्चे के पेट में बच्चा है.

-2018-2019 के आसपास भी ऐसा एक केस सामने आया था.
-अगर पैदा हुए बच्चे को पेट या पेट के नीचे सूजन हो.
-बहुत दर्द हो.
-पेशाब रुक जाए.
-ऐसे लक्षण आने पर फीटस इन फीटू की जांच हों क्योंकि ऐसा हो सकता है.
फीटस इन फीटू क्या होता है डॉक्टर सबीता ने ये समझा दिया. अब आप में से बहुत लोगों के मन में ये सवाल होगा कि ऐसे में बच्चे और भ्रूण का क्या होता है. अव्वल तो अगर एक छोटे से बच्चे के शरीर में भ्रूण होगा, तो आप समझ सकते हैं इससे उसकी सेहत पर किस तरह का असर पड़ रहा होगा. बच्चा कितना ज़्यादा दर्द में होगा. इसलिए सर्जरी की मदद से इस भ्रूण को बच्चे के शरीर से निकाल दिया जाता है. अब सवाल आता है कि जो ये भ्रूण है, उसका क्या होता है? देखिए, ये भ्रूण इतना डेवलप नहीं हुआ होता है, कि ये सरवाइव कर सके. ये बच्चे के शरीर में पल नहीं हो रहा होता है, इसलिए ये जीवित नहीं रहता है.
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