The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

दिनभर थकान और कमजोरी बनी रहती है? तब ये खबर बस आपके लिए है

सावधान हो जाइए!

post-main-image
जानिए क्रोनिक फटीग सिंड्रोम क्या होता है
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

नोएडा की रहने वाली श्वेता ने हमें मेल पर बताया कि पिछले कई महीनों से, उन्हें बेवजह थकान रहती थी. वो कोई काम करें या न करें, हमेशा थका हुआ महसूस करती थीं. उनके लिए रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो गया था. यहां तक कि सुबह सोकर उठने पर भी उन्हें आराम नहीं मिलता. शरीर में कहीं न कहीं दर्द होता ही रहता.
कई महीनों से लगातार ऐसा रहने के बाद, उन्होंने डॉक्टर को दिखाया. शुरुआत में तो कोई खास वजह समझ नहीं आई. डॉक्टर ने उन्हें अपने खाने-पीने पर ध्यान देने को कहा. तमाम चीजों पर गौर करने के बाद आखिर में डॉक्टर का कहना था कि श्वेता क्रोनिक फटीग सिंड्रोम से जूझ रही हैं.
देखिए, अब हम सबको कभी न कभी थकान होती ही है. लेकिन क्रोनिक फटीग सिंड्रोम वो वाली थकान नहीं है जो हम दिन भर के काम के बाद महसूस करते हैं. ये थकान की एक अलग ही स्टेज होती है. क्रोनिक फटीग सिंड्रोम क्या होता है? ये हमें बताया डॉक्टर अंकित सिंघल ने.
डॉक्टर अंकित सिंघल, पल्मोनोलॉजिस्ट, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
डॉक्टर अंकित सिंघल, पल्मोनोलॉजिस्ट, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली

- क्रोनिक फटीग सिंड्रोम एक बहुत ही जटिल बीमारी है. - इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल होता है. - क्रोनिक फटीग सिंड्रोम हम तभी कहते हैं, जब इसके लक्षण छह महीने या इससे ज्यादा वक्त तक रहें. लक्षण - क्रोनिक फटीग सिंड्रोम में शारीरिक थकान बहुत ही कॉमन है. - अगर आपको लंबे समय से शारीरिक थकान बनी हुई है. - कम से कम छह महीने से शारीरिक थकान बनी हुई है. - ये क्रोनिक फटीग सिंड्रोम हो सकता है. - क्रोनिक फटीग सिंड्रोम में और भी लक्षण देखे गए हैं. - जैसे- याददाश्त कमजोर होना, सिर दर्द होते रहना. - बाजुओं, मांसपेशियों, जोड़ों में लगातार हल्का-हल्का दर्द बने रहना. - गले में खिचखिच बने रहना. - कोई भी नॉर्मल काम करने के बाद या नींद लेने के बाद भी थकावट महसूस करना.
हर वक्त थकान क्रोनिक फटीग सिंड्रोम हो सकता है
हर वक्त थकान क्रोनिक फटीग सिंड्रोम हो सकता है

- क्रोनिक फटीग सिंड्रोम महिलाओं में ज्यादा देखा गया है. - महिलाओं में ये पुरुषों के मुकाबले चार गुना ज्यादा पाया जाता है. - वैसे क्रोनिक फटीग सिंड्रोम यंग एज से लेकर ओल्ड एज तक किसी को भी हो सकता है. कारण अभी तक इसके कोई भी स्पष्ट कारण नहीं मिले हैं या फिर रिसर्च में ये साबित नहीं हो पाए हैं.  लेकिन रोजाना के जिंदगी में कुछ कारण आमतौर पर देखे जाते हैं. - इनमें सबसे पहले आता है कोई वायरल इन्फेक्शन जैसे कि कोविड. - इसके बाद हॉर्मोनल असंतुलन. - शरीर में हॉर्मोन के असंतुलन की वजह से भी क्रोनिक फटीग सिंड्रोम होता है. - इसके अलावा मानसिक तनाव भी एक वजह हो सकती है. - बहुत ज्यादा मानसिक तनाव से भी क्रोनिक फटीग सिंड्रोम हो सकता है. हेल्थ रिस्क क्रोनिक फटीग सिंड्रोम के बहुत सारे हेल्थ रिस्क हो सकते हैं.
- आप परमानेंट डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं, जिसका आपको जिंदगी भर इलाज कराना पड़ सकता है. - अगर क्रोनिक फटीग सिंड्रोम सही नहीं होता है तब आपको बहुत सी बीमारियों जैसे टीबी और दूसरे इन्फेक्शन का रिस्क बढ़ जाता है.
इसलिए क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का सही डायग्नोसिस और समय पर इलाज बहुत जरूरी है. बचाव और इलाज - इसके इलाज में सबसे पहले लाइफस्टाइल में बदलाव आता है. - आपको अपने रोजमर्रा के काम, खाना-पीना और सोने में बदलाव करने होते हैं. - आपको कॉफी का सेवन बंद करना होगा. - कैफीन, निकोटीन और एल्कोहल नहीं लेना है. - रोजाना कम से कम छह घंटे की नींद लेनी है. - सोने के दौरान कमरे में कहीं रोशनी नहीं आनी चाहिए. - आपको बिल्कुल अंधेरे में छह से आठ घंटे सोना चाहिए. - तनाव नहीं लेना है. - रोज योग और मेडिटेशन करना है.
अपनी लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव लाएं
अपनी लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव लाएं

- अगर इन चीजों से भी आराम नहीं मिलता है, तो डॉक्टर से मिलकर पेनकिलर ले सकते हैं. - कुछ मल्टीविटामिन ले सकते हैं. - कभी-कभी कुछ मरीजों को एंटीडिप्रेसेंट भी लेने पड़ते हैं. - इस तरीकों से क्रोनिक फटीग सिंड्रोम बहुत हद तक सही हो जाता है.
डॉक्टर की बात सुनकर आपको क्रोनिक फटीग सिंड्रोम के लक्षण समझ आ गए होंगे. ये भी कि इससे बचने के लिए आपको क्या-क्या करना है. अगर आपको कोई भी समस्या होती है, जिससे आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ रहा है, तो उसे नजरअंदाज करने की बजाए डॉक्टर से जरूर मिल लीजिए. ताकि सही समय पर बीमारी की पहचान हो सके और जल्द उसका इलाज हो सके.