ट्यूबरक्लोसिस. यानी टीबी. टीबी हड्डियों में भी हो जाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हिंदुस्तान में हर साल 15 लाख टीबी के केसेस आते हैं. इनमें से 5 से 10 प्रतिशत लोगों को बोन टीबी होता है. यानी लगभग एक लाख 50 हज़ार. हमें मेल आया विभव का. उनके पिता की उम्र 60 साल है. उन्हें टीबी हुआ था. और वो फैल गया. बोन टीबी के साथ दिक्कत ये है कि शुरुआती दिनों में लक्षण नहीं दिखते. जब तक लक्षण दिखते हैं, तब तक बीमारी काफ़ी एडवांस्ड स्टेज में पहुंच चुकी होती है. इसलिए आज हम बोन टीबी पर बात करेंगे, ताकि हमारे रीडर्स को इस बीमारी के बारे में जानकारी मिल सके.
क्या और क्यों होता है बोन टीबी?
ये हमें बताया डॉक्टर दिनेश ने.

डॉक्टर दिनेश लिम्बाचियां, ऑर्थपीडिक, गांधी लिंकन हॉस्पिटल
बोन टीबी, बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) नाम के बैक्टीरिया से होती है. ये बैक्टीरिया किसी एक्टिव टीबी के मरीज़ के शरीर से हवा और एयर ड्रॉपलेट के ज़रिए शरीर में घुसता है. ये आपके फ़ेफ़ड़ों पर ज़्यादातर असर करता है. अगर आपकी इम्युनिटी अच्छी है और ये बैक्टीरिया वहां पर इन्फेक्शन नहीं कर पाता है तो ये खून के ज़रिए शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंचता है. जैसे पेट और हड्डियां. हड्डियों में ये सबसे ज़्यादा रीढ़ की हड्डी में पहुंचता है. वहां पर एक्टिव इन्फेक्शन होने की संभावना ज़्यादा होती है. इसके अलावा हिप जॉइंट और नी जॉइंट यानी आपके जोड़ों में बोन टीबी होने के ज़्यादा चांसेज़ होते हैं.
टीबी इन्फेक्शन होने का प्रमुख कारण है, अगर आपके आसपास किसी को टीबी का एक्टिव इन्फेक्शन है तो उनसे आपको हो सकता है. दूसरा कारण है शरीर की लो इम्युनिटी. लो इम्युनिटी होने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे अगर आपके शरीर में लंबे समय से कोई इन्फेक्शन है. आपको लिवर या किडनी की कोई बीमारी है जिसके लिए लंबे समय से आपकी दवाइयां चल रही हैं. कैंसर है और उसके लिए कीमोथेरेपी चल रही है. इन हालातों में शरीर की इम्युनिटी लो रहती है. ऐसे में शरीर के अंदर टीबी का इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है.

-स्मोकिंग या शराब से भी लो इम्युनिटी होती है, जिससे टीबी का एक्टिव इन्फेक्शन हो सकता है
बोन टीबी होने के पीछे क्या कारण हैं, ये आपने जान लिए. अब बात करते हैं लक्षण और इलाज की.
लक्षण
-सबसे पहला लक्षण है भूख न लगना
-वेट लॉस
-पूरे दिन बैचनी रहती है और शाम के समय बुखार चढ़ने लगता है
-हड्डी के जिस भाग में टीबी का इन्फेक्शन होता है, वहां सूजन आने लगती है
-स्किन लाल पड़ने लगती है
-उस भाग को हिलाने में दर्द महसूस होता है
-जैसे अगर इन्फेक्शन रीढ़ की हड्डी में है तो वहां पर सूजन रहेगी और पीठ में दर्द रहेगा
-टीबी का बैक्टीरिया बहुत एडवांस्ड स्टेज में हड्डियों और टिश्यू को ख़त्म करने लगता है
-अगर रीढ़ की हड्डी में टीबी का इन्फेक्शन एडवांस्ड स्टेज में पहुंच गया है तो उस हड्डी का आकार बदल सकता है
-पैरों में लकवा भी मार सकता है
इलाज
बोन टीबी का सबसे सटीक इलाज है एंटीकॉक्स ट्रीटमेंट( Anticox Treatment). इसमें टीबी की मुख्य दवाइयों का 6 से 18 महीने तक का कोर्स होता है. लक्षण ठीक होने के बावजूद दवाइयों का कोर्स पूरा करना ज़रूरी है. नहीं तो टीबी के बैक्टीरिया का शरीर से पूरी तरह खात्मा नहीं होता है. ऐसे में इंफेक्शन दोबारा होने के चांसेज़ बढ़ जाते हैं. दोबारा इंफेक्शन होने पर टीबी की दवाइयां ठीक से असर नहीं कर पाती हैं.

अगर बोन टीबी बहुत एडवांस्ड स्टेज में है जिसमें हड्डियों का आकार बदल गया है, लकवा मार गया है तो इस स्टेज में ऑपरेशन की ज़रुरत पड़ती है. इसमें रीढ़ की हड्डी में जो रस्सी बन गई है उसे निकालना पड़ता है. जो हड्डियां खराब हो गई हैं उनको स्क्रू डालकर फ़िक्स करना पड़ता है. ज़्यादातर मरीजों में एंटीकॉक्स ट्रीटमेंट लेने से टीबी का इन्फेक्शन पूरी तरह से ख़त्म हो जाता है.
बचाव
-टीबी ज़्यादातर किसी मरीज़ के संपर्क में आने या लो इम्युनिटी की वजह से होता है
-सबसे पहले टीबी के मरीज़ से उचित दूरी बनाकर रखें
-अपने शरीर की इम्युनिटी बनाकर रखें
-अपनी ख़ुराक में एंटीऑक्सीडेंट ज़्यादा से ज़्यादा लें. जैसे बींस, चुकंदर, पालक
-खाने में हरी सब्जियां, दूध और प्रोटीन ज़्यादा लें
-योग या एक्सरसाइज करें. इससे शरीर की इम्युनिटी बनी रहेगी
-स्मोकिंग और शराब से परहेज़ करें
डॉक्टर साहब ने जो लक्षण बताएं हैं, उनपर ज़रूर गौर करिएगा. समय रहते बीमारी पकड़ में आ जाए तो इलाज भी सही समय पर शुरू हो सकता है.
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