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औरतों की हड्डियां जल्दी कमज़ोर क्यों हो जाती हैं?

अगर डाइट में प्रोटीन की मात्रा ठीक नहीं है तो हड्डियों का स्ट्रक्चर कमज़ोर होने लगता है.

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30-35 साल की उम्र में बोन डेंसिटी अपनी चरम सीमा पर होती है

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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एक वक़्त था जब घंटों खड़े रहने, चलने या भारी सामान उठाने पर हड्डियां चरमराती नहीं थीं. अब आलम ये है कि ज़्यादा देर ज़मीन पर बैठा नहीं जाता. 5-10 सीढ़ियां ज़्यादा चल ली तो पैरों में दर्द होने लगता है. बैठे, बिठाए जोड़ों में, कंधों में और कमर में दर्द होने लगता है. ये सब मेरे साथ भी होता है, पर मैं अपनी बात नहीं कर रही. मैं बात कर रही हूं वेदिका की. 45 साल की हैं और दिल्ली में रहती हैं. The Lallantop की व्यूअर हैं. हमारी उनसे बात हुई. 

वेदिका अपनी हड्डियों के दर्द से बहुत परेशान हैं. उन्होंने डॉक्टर को भी दिखाया. पता चला उनकी बोन डेंसिटी बहुत ज़्यादा कम हो गई है. हड्डियां कमज़ोर हो गई हैं. वेदिका ने बताया कि उनके डॉक्टर का कहना है कि उनकी हड्डियां पहले जैसी मज़बूत अब कभी भी नहीं हो पाएंगी, पर कुछ सप्लीमेंट, डाइट और दवाइयों की मदद से थोड़ा आराम ज़रूर मिल जाएगा. एक उम्र के बाद हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं, ये तो हमें पता है. पर औरतों में ऐसा थोड़ा जल्दी होता है और ज़्यादा होता है.

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इस हफ़्ते हम बात कर रहे हैं औरतों की हेल्थ प्रॉब्लम्स के बारे में. 40 साल की उम्र आते-आते कम बोन डेंसिटी और कमज़ोर हड्डियां सिर्फ़ वेदिका ही नहीं, लगभग सभी औरतों की समस्या है. ऐसे में जानते हैं कि इससे कैसे बच सकते हैं. पर उससे पहले ये समझ लीजिए बोन डेंसिटी होती क्या है?

बोन डेंसिटी क्या होती है?

ये हमें बताया डॉक्टर विवेक लोगानी ने.

Dr. Vivek Logani,Orthopedist in North Delhi,Delhi Reviews,Contact  Number,Fees | 365Doctor
डॉक्टर विवेक लोगानी, चीफ़ ऑर्थोपीडिक एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन, पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

-हमारी हड्डियों में दो तत्व होते हैं ट्रेबिक्यूले और मिनरल्स.

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-इन दोनों के मिलेजुले इफ़ेक्ट से हड्डी की ताकत नापी जाती है.

-ऐसा कुछ मशीनों की मदद से किया जाता है.

-ट्रेबिक्यूले और मिनरल्स के असर को एक स्कैन से नापा जाता है.

-इससे एक स्कोर बनता है.

-इसी को आम भाषा में बोन डेंसिटी कहते हैं.

क्या औरतों में बोन डेंसिटी उम्र के साथ कम होने लगती है?

-बोन डेंसिटी सभी लोगों में उम्र के साथ कम होती है.

-पर ख़ासकर महिलाओं में 40-45 साल के बाद ये तेज़ी से कम हो सकती है.

-हालांकि पुरुषों में बोन डेंसिटी 60-65 के बाद धीरे-धीरे कम होती है.

कारण

-महिलाओं में एक हॉर्मोन होता है एस्ट्रोजेन.

-ये हॉर्मोन हड्डियों में कैल्शियम और विटामिन डी के डिपॉज़िट के लिए ज़िम्मेदार है.

-मेनोपॉज़ के बाद एस्ट्रोजेन हॉर्मोन धीरे-धीरे कम होने लगता है.

-ऐसे में हड्डियों में मिनरल ठीक तरह से डिपॉज़िट नहीं हो पाता.

-साथ ही अगर डाइट में प्रोटीन की मात्रा ठीक नहीं है तो हड्डियों का स्ट्रक्चर कमज़ोर होने लगता है.

-कुल मिलाकर हड्डियों की डेंसिटी कम होने लगती है.

रिस्क फैक्टर

-मेनोपॉज़ सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है.

-इसके अलावा अगर ज़्यादा चलते-फिरते नहीं हैं.

-हड्डियों पर वज़न नहीं आता.

-ऐसे में और ज़्यादा रिस्क पर आ जाते हैं.

-कोई ऑटोइम्यून डिसऑर्डर हैं जैसे गठिया.

-इसमें हड्डियों की डेंसिटी सामान्य से कम हो सकती है बहुत तेज़ गति से.

-अगर हड्डियों पर ज़ोर नहीं पड़ता तो डेंसिटी बहुत तेज़ी से कम होती है.

Women and Osteoporosis | Medanta
अगर डाइट में प्रोटीन की मात्रा ठीक नहीं है तो हड्डियों का स्ट्रक्चर कमज़ोर होने लगता है

-स्मोकिंग, शराब भी बड़ी वजह हैं.

-नींद की कमी के कारण भी ऐसा हो सकता है.

-वो चीज़ें पीना जिनमें कैफ़ीन हो जैसे चाय, कॉफ़ी.

हेल्थ रिस्क

-बोन डेंसिटी कम होने को साइलेंट डिज़ीज़ भी कहते हैं.

-जब तक बोन डेंसिटी बहुत ज़्यादा कम नहीं हो जाती, तब तक इसके लक्षण नहीं दिखते हैं.

लक्षण

-शरीर के अलग-अलग भागों में दर्द होने लगता है.

-जैसे कमर, टांगें, बाज़ू, कंधे.

-थकावट महसूस होती है.

-मांसपेशियां कमज़ोर होने लगती हैं.

-समय बीतने के साथ कमर में आगे की ओर झुकाव महसूस हो सकता है.

-ऐसा सीवियर ऑस्टियोपोरोसिस में होता है.

-क्योंकि रीढ़ की हड्डी शरीर के वज़न के तले झुकने लगती है.

-शरीर का पॉस्चर बदलने लगता है.

-हाइट कम होने लगती है.

-सीवियर ऑस्टियोपोरोसिस में हल्की सी चोट लगने पर भी हड्डियां टूट सकती हैं.

-इसलिए ऐसे में हिप या स्पाइन के फ्रैक्चर होने का रिस्क बढ़ जाता है.

इलाज

-इलाज से बेहतर बचाव है.

-क्योंकि इसकी शुरुआत 30-35 की उम्र में होने लगती है.

-30-35 साल की उम्र में बोन डेंसिटी अपनी चरम सीमा पर होती है.

-उसके बाद बोन डेंसिटी कम होनी ही होनी है.

-पर बोन डेंसिटी कम होने की दर हर इंसान में अलग हो सकती है.

-इसलिए बचाव बचपन से करना है.

Hypothyroidism associated with low bone density among women, finds study
जब तक बोन डेंसिटी बहुत ज़्यादा कम नहीं हो जाती, तब तक इसके लक्षण नहीं दिखते हैं

-डाइट में दूध, दूध से बनी चीज़ें, प्रोटीन, कैल्शियम रखना है.

-धूप में समय बिताएं.

-एक्सरसाइज करें.

-ख़ासतौर पर वो एक्सरसाइज जिनसे हमारे पांव और शरीर पर वज़न आए.

-जैसे चलना.

-जिन एक्सरसाइज से पांव पर वज़न नहीं आता जैसे स्विमिंग, उनका बोन डेंसिटी बढ़ाने में कोई योगदान नहीं है.

-शराब, तंबाकू अवॉइड करें.

-कैफ़ीन वाली ड्रिंक्स एक लिमिट में रखें.

-बहुत ज़्यादा कैफ़ीन बोन डेंसिटी को कम कर सकती है.

-इलाज के लिए डॉक्टर से पूछकर कैल्शियम और विटामिन डी के सप्लीमेंट लेने चाहिए.

-डाइट में प्रोटीन बढ़ा देना चाहिए.

-जब बोन डेंसिटी बहुत कम हो जाती है तब डॉक्टर की सलाह पर इंजेक्शन वाली दवाइयां लेनी पड़ती हैं.

-जिनसे बोन डेंसिटी एक से डेढ़ साल में बढ़ाई जा सकती है.

सुना आपने, अगर आपने बचपन से अपनी हड्डियों का ख्याल नहीं रखा है तो एकाएक 40 साल के होने के बाद जोई जादू काम नहीं करेगा. इसलिए आज से शुरू हो जाइए, चाहे आपकी उम्र जो भी हो. अपनी डाइट में कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन रखिए. एक्सरसाइज करिए और हेल्दी रहिए. 

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