इस स्टोरी के लिए सुबह-सुबह कहा गया कि विजय देवरकोंडा और अनन्या पांडे स्टारर फ़िल्म 'लाइगर' का एक गाना सुनो. गाने का नाम, 'आफ़त'. अब काम हर बार तो अच्छा नहीं लग सकता. कभी-कभार ऐसे कमज़ोर क्षण आते ही हैं. सो गाना सुना. मतलब रील्स वग़ैरह में पहले सुन चुका था, लेकिन आज पूरा सुना. केवल सुना नहीं, देखा भी. फिर बहुत देर तक कुछ नहीं देखा. कुछ नहीं सुना. अब इस्तीफ़ा लिखने जा रहा हूं.
'लाइगर' फिल्म के इस गाने पर रेप को बढ़ावा देने का आरोप लगा है
'लाइगर' के 'आफत' गाने में विजय देवरकोंडा और अनन्या पांडे दिख रहे हैं.

इस्तीफ़ा बाद में, पहले स्टोरी. हमें फ़िल्म की बात नहीं करनी है. ये पीड़ा इस बार यमन के हिस्से आई, आप उनका पीड़ादाई आई मीन लाइगर रिव्यू पढ़ सकते हैं. हमें बात करनी है गाने पर. और, उससे जुड़े विवाद पर. गाना, जिसका नाम है आफ़त. ख़ैर है कि इसके संगीत पर बात नहीं करनी, क्योंकि उस पर बात नहीं, विवाद होना चाहिए. अलग कारणों से. बहरहाल, विवाद है गाने के एक हिस्से पर. गाने में फ़िलर के तौर पर एक पार्ट इस्तेमाल हुआ है, जो बहुत प्रॉब्लमैटिक है. रेप को प्रमोट करता दिखता है.
गाने के हुक 'जवानी तेरी.. आफ़त' के ठीक बाद एक फ़िलर है, जिसमें किसी पुरानी फ़िल्म का एक ऑडियो बजता है. ऑडियो में असहाय और डरी हुई आवाज़ में ऐक्ट्रेस चीखती है, 'भगवान के लिए मुझे छोड़ दो!'. अगर आप याद करें तो ये डायलॉग 70s-80s की हिंदी फ़िल्मों में रेप या सेक्शुअल हरासमेंट के सीन्स में इस्तेमाल किया जाता था. इस गाने में भी इस्तेमाल किया गया है. एक कॉमिक स्टाइल में. बहुत ही सहजता से. क्रिएटिविटी के नाम पर.
इस पार्ट के अलावा भी पूरे गाने में ही तबीयत से महिलाओं के ख़िलाफ़ दुर्व्यवहार, पावर इम्बैलेंस और हिंसा को दिखाया गया है.
बात सामने आई एक रेडिट यूज़र के पोस्ट से. रेडिट एक ऑनलाइन फ़ोरम है, जहां ऐसी चर्चाएं होती हैं. यूज़र ने लिखा,
"लाइगर' के गाने 'आफ़त' में एक पूराने रेप सीन की आवाज़ इस्तेमाल की गई है. किसलिए? एस्थेटिक्स के लिए?"
एक दूसरे रेडिट यूजर ने तो सीधे डायरेक्टर पुुरी जगन्नाथ को ही कॉल-आउट कर दिया. लिखा,
"ये पुरी जगन्नाथ की फ़िल्म है. बहुत शॉकिंग होगा अगर बुरी तरह से सेक्सिस्ट न हो."

दरअसल, इस मामले में पूरी जगन्नाथ का रिकॉर्ड अच्छा है नहीं. जब ये बात उठी, तो ट्विटर पर लोगों ने इनकी एक पुरानी फ़िल्म 'iSmart Shankar' का सीन शेयर किया. सीन में पहले हीरो-हीरोइन को ज़बरदस्ती पकड़ लेता है, उस पर भद्दे कॉमेंट करता है और फिर उसे 'पटाने' के नाम पर उसके घर में घुसकर उससे ज़बरदस्ती करता है. सीन में 90% समय हीरोइन क्लीयरली अन-कम्फ़रटेबल है. मतलब टिपिकल 'हीरो'.
अब ये गाना फिल्माया गया है अर्जुन रेड्डी फेम विजय देवरकोंडा और अनन्या पांडे पर. अर्जुन रेड्डी पहले ही औरतों के अधिकारों की बात को हंसी में उड़ा चुकी है, तो लाइगर के गाने पर फूटे गुस्से की थोड़ी आंच विजय देवरकोंडा पर भी आए. हाल ही में जब वो 'कॉफ़ी विद करण' में आए थे और उनसे 'अर्जुन रेड्डी' विवाद के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने वही घिसा-पिटा जवाब दिया. 'किरदार की मांग थी' टाइप.
जाते जाते ये भी जान लीजिए कि इस अमर गीत को ज़हरा एस ख़ान और तनिष्क बागची ने गाया है. संगीत है तनिष्क बागची का. और, बोल दिए हैं रश्मि विरागो ने. इस स्टोरी को करने का एक फ़ायदा हुआ कि ये मालूम चला कि ऐसे गाने को कोई लिखता भी है. चलिए आपको इसी गाने के बोल के साथ छोड़ जाते हैं. पहला पैराग्राफ़ बस.
तो कवियित्री ने कहा है,
"तूने आंखों से पिलायी दारू, पी जाउंगी
कैसे घर जाउंगी, कहीं गिर जाउंगी
मैं तो कली हूं, तू छुएगा तो खिल जाउंगी
तेरी बन जाउंगी, तुझे मिल जाउंगी
हो! जब मूव करे तू..
जब ग्रूव करे तू..
लाती है क़यामत.
जवानी तेरी.. आफ़त
जवानी तेरी.. आफ़त"
अब आप भी झोला उठाइए और चल पड़िए. कुछ नहीं रखा इस मायावी दुनिया में.
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