The Lallantop

सनस्क्रीन फायदा करने के बजाय नुकसान कर रही है, ये बातें ध्यान रखें

सनस्क्रीन चेहरे या शरीर पर लगाने से धूप की किरणों से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.

post-main-image
जैसी आपकी स्किन है, उस हिसाब से सनस्क्रीन चूज़ करना है

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

गर्मियों में कई लोगों की शिकायत होती है कि उनकी स्किन जल जाती है. ड्राई हो जाती है. टैनिंग होने लगती है. इससे कैसे बचें. इसका सबसे आसान तरीका है सनस्क्रीन. अगर आपको अपनी स्किन को सन डैमेज यानी धूप से होने वाली स्किन प्रॉब्लम्स से बचाना है तो सनस्क्रीन लगानी चाहिए. पर अब सवाल आता है कि आपके लिए कौन सी सनस्क्रीन ठीक रहेगी. हमें सेहत पर मेल आया नंदनी का. गर्मियों में उनकी स्किन भयानक टैन हो जाती है, इसलिए उन्होंने मार्किट से एक सनस्क्रीन ख़रीदी. उनको लगा था कि उससे उनकी स्किन ठीक हो जाएगी, पर हुआ उसका ठीक उल्टा. ये सनस्क्रीन उनको सूट नहीं कर रही. जितना ज़्यादा वो इसे लगा रही हैं, उनकी स्किन उतनी ही ज़्यादा ड्राई हो रही है. परेशान होकर नंदिनी ने सनस्क्रीन लगानी ही छोड़ दी. उन्हें समझ में नहीं आ रहा वो क्या करें. ऐसे में उन्होंने मदद मांगी है हमसे. वो जानना चाहती हैं कि कैसे पता चलेगा किसको कौन सी सनस्क्रीन इस्तेमाल करनी चाहिए. अब इस बात का जवाब देने से पहले जानते हैं कि सनस्क्रीन काम कैसे करती है.

सनस्क्रीन कैसे काम करती है?

ये हमें बताया डॉक्टर रिंकी कपूर ने.

Dr. Rinky Kapoor- Best Dermatologist in Mumbai, India
डॉक्टर रिंकी कपूर, डर्मटॉलॉजिस्ट, एस्थेटिक क्लिनिक्स

-सनस्क्रीन चेहरे या शरीर पर लगाने से धूप की किरणों से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.

-सूरज की किरणों में कई सारी ऐसे रेज़ होती हैं जो स्किन को नुकसान पहुंचा सकती हैं.

-जैसे UVA, UVB, UVC (अल्ट्रावायलेट ए, बी, सी).

-सूरज की किरणों में इंफ़्रारेड लाइट भी होती है.

-इन सब किरणों से स्किन को नुकसान हो सकता है.

-क्या नुकसान हो सकता है?

-धूप में रहने की वजह से स्किन पर बुढ़ापा जल्दी दिखने लगता है.

-झुर्रियां जल्दी पड़ सकती हैं.

-झाइयां जल्दी पड़ती हैं.

-धूप से एलर्जी हो सकती है.

-धूप में जाते ही स्किन लाल पड़ने लगती है.

-जिन जगहों पर ओज़ोन की मात्रा कम है जैसे ऑस्ट्रेलिया.

-ऐसी जगहों पर धूप की किरणों से स्किन कैंसर भी हो सकता है.

-इन चीज़ों से बचने के लिए सनस्क्रीन का नियमित इस्तेमाल करना चाहिए.

-सनस्क्रीन अलग-अलग तरह की होती हैं.

-बेसिक चीज़ जो इन सनस्क्रीन में पाई जाती है वो है फिजिकल और केमिकल ब्लॉकिंग एजेंट.

-फिजिकल ब्लॉकिंग एजेंट यानी जो लगाने मात्र से धूप की किरणों से बचाते हैं.

-केमिकल ब्लॉकिंग एजेंट यानी उसमें कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो धूप की किरणों के साथ रिऐक्ट कर के स्किन पर एक परत बना देते हैं.

-जिससे वो किरणें आगे स्किन पर नहीं पहुंचतीं.

-आजकल कुछ ऐसी भी सनस्क्रीन मार्किट में आई हैं जो विज़िबल लाइट से बचाती हैं.

-यानी ट्यूबलाइट और बल्ब से निकलने वाला विज़िबल रेडिएशन.

-ब्लूलाइट से भी बचाती हैं.

What's the difference between mineral and chemical sunscreen?
बेसिक चीज़ जो इन सनस्क्रीन में पाई जाती है वो है फिजिकल और केमिकल ब्लॉकिंग एजेंट

-ब्लूलाइट लैपटॉप, कंप्यूटर, फ़ोन से निकलने वाली रोशनी होती है.

सनस्क्रीन ख़रीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

-सनस्क्रीन ख़रीदते समय ये ध्यान दें कि उसमें UVB प्रोटेक्शन कितना है.

-जिसे बोलते हैं SPF.

-SPF यानी सन प्रोटेक्शन फैक्टर.

-SPF आमतौर पर 30-50 तक होता है.

-UVA रेडिएशन से बचाने के लिए सनस्क्रीन पर लिखा होता है PA फैक्टर.

-PA फैक्टर 3-5 होना चाहिए.

-सनस्क्रीन पर लिखा होता है PA++ या PA+++.

-जितने + होते हैं, उतना वो हमें बचाता है.

-कुछ सनस्क्रीन में इंफ़्रारेड प्रोटेक्शन भी होता है.

-कुछ सनस्क्रीन में प्रोटेक्शन अगेंस्ट ब्लूलाइट लिखा होता है.

-कुछ सनस्क्रीन में एंटी प्ल्यूशन फैक्टर होता है.

-अब अगर आपकी सनस्क्रीन में अच्छा SPF है 30 या 50.

-अच्छा PA है 3+ या 5+.

-इंफ़्रारेड प्रोटेक्शन, ब्लूलाइट प्रोटेक्शन, एंटी प्ल्यूशन फैक्टर है.

-तो ऐसी सनस्क्रीन बहुत बढ़िया है.

-सनस्क्रीन पर लिखा होता है फ़ॉर नॉर्मल स्किन, ऑइली स्किन या ड्राई स्किन.

-जैसी आपकी स्किन है, उस हिसाब से सनस्क्रीन चूज़ करना है.

सनस्क्रीन का इस्तेमाल कैसे करें?

-चेहरे और गले पर लगाने के लिए सनस्क्रीन क्रीम, लोशन या जेल के रूप में मिलती है.

-बॉडी पर लगाने के लिए ये सनस्क्रीन स्प्रे या लोशन के रूप में मिलती है.

Sun protection factor (SPF): What is the best sunscreen?
सनस्क्रीन ख़रीदते समय ये ध्यान दें कि उसमें UVB प्रोटेक्शन कितना है

-सनस्क्रीन बच्चों को भी लगा सकते हैं.

-बच्चों की सनस्क्रीन थोड़ी अलग आती हैं.

-उसपर लिखा होता है फ़ॉर किड्स.

-चेहरे के साथ-साथ शरीर के जो हिस्से खुले हुए रहते हैं जैसे हाथ, गला और पैर, उनपर भी सनस्क्रीन लगाएं.

-अगर स्विमिंग करने जा रहे हैं तो क्लोरीन से बचने के लिए सनस्क्रीन लगाएं.

-कुछ लोगों को लगता है कि दिन में एक बार सनस्क्रीन लगा ली तो काम हो गया.

-पर ऐसा नहीं है.

-सनस्क्रीन को हर 3 घंटे में दोबारा लगाना होता है.

-अगर आप दिनभर घर पर ही हैं तो दिन में 1 बार सनस्क्रीन काफ़ी है.

-पर अगर सफ़र कर रहे हैं और 2-3 घंटे से ज़्यादा धूप में हैं तो सनस्क्रीन फिर से लगाएं.

-सनस्क्रीन चाहे जितनी भी पॉवरफ़ुल हो वो 3 घंटे से ज़्यादा काम नहीं करती.

The 19 Best Sunscreens of 2022 for Complete Protection | Entertainment  Tonight
चेहरे के साथ-साथ शरीर के जो हिस्से खुले हुए रहते हैं जैसे हाथ, गला और पैर, उनपर भी सनस्क्रीन लगाएं

-कितनी सनस्क्रीन लगानी चाहिए?

-सनस्क्रीन को नापने के लिए एक पैमाना होता है.

-इसको फिंगरटिप यूनिट कहते हैं.

-यानी उंगली की टिप से लेकर उंगली की पहली लाइन तक को एक फिंगरटिप यूनिट कहा जाता है.

-चेहरे पर 1 फिंगरटिप यूनिट काफ़ी होता है.

क्या सनस्क्रीन से कैंसर हो सकता है?

-सनस्क्रीन स्किन कैंसर से बचाती है  .

-सूरज की किरणों से कैंसर होता है, सनस्क्रीन से कैंसर नहीं होता.

अगर आपको अपनी स्किन को डैमेज से बचाना है तो सनस्क्रीन तो लगानी पड़ेगी. पर हां, डॉक्टर रिंकी कपूर ने जो टिप्स बताई हैं, कोई भी सनस्क्रीन ख़रीदते समय उन्हें ज़रूर ध्यान में रखें. सनस्क्रीन अपने स्किन टाइप के हिसाब से ही ख़रीदें. आप चाहें तो किसी डॉक्टर से पूछकर मेडिकेटिड सनस्क्रीन ख़रीद सकते हैं जो आपकी स्किन को सूट करेगी. 

वीडियो