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ज्यादा पढ़ाई के चक्कर में आप भी ले रहे हैं नींद कम करने की गोली, पहले नुकसान जान लीजिए!

जानिए एंटी-स्लीपिंग पिल्स कैसे काम करती हैं, इनको ज़्यादा मात्रा में लेने से शरीर को किस तरह का नुकसान होता है और अगर ऐसी कोई दवा मेडिकल कारण से ले रहे हैं तो किन बातों का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए.

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एंटी स्लीपिंग पिल्स.

लखनऊ में रहने वाली 10वीं क्लास की एक स्टूडेंट, बोर्ड की तैयारी कर रही थी. अब बोर्ड एग्जाम में कितनी पढ़ाई करनी पड़ती है, ये तो आप जानते ही हैं. लेकिन इस लड़की ने पढ़ाई के लिए अपनी नींद तक कुर्बान कर दी, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ाई हो सके. इसके लिए वो एंटी-स्लीपिंग पिल्स लेने लगी. बोर्ड एग्जाम, कॉम्पिटेटिव एग्जाम या किसी भी तरह का एग्जाम हो, बहुत पढ़ाई करनी पड़ती है. स्टूडेंट्स पर भयंकर प्रेशर होता है. ऐसे में कई स्टूडेंट्स ऐसी दवाइयों का इस्तेमाल करने लगते हैं, जिनसे उनका फोकस बढ़े. नींद न आए. और ये बहुत ख़तरनाक ट्रेंड है.

ऐसे में डॉक्टर से जानिए कि एंटी-स्लीपिंग पिल्स क्या होती हैं, एंटी-स्लीपिंग पिल्स कैसे काम करती हैं, इनको ज़्यादा मात्रा में लेने से शरीर को किस तरह का नुकसान होता है और अगर ऐसी कोई दवा मेडिकल कारण से ले रहे हैं तो किन बातों का ध्यान ज़रूर रखें.

एंटी-स्लीपिंग पिल्स क्या होती हैं?

(जानिए डॉक्टर विनीत बंगा से)

(Dr. Vinit Banga, Associate Director, Neurology, BLK Max Hospital)
(डॉ. विनीत बंगा, एसोसिएट डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी, बीएलके मैक्स हॉस्पिटल)

अगर एंटी-स्लीपिंग पिल्स को समझना है तो पहले नींद को समझना जरूरी है. नींद आने की एक सर्कैडियन रिदम (circadian rhythm) या बॉडी क्लॉक होती है. जब हम सुबह उठते हैं तो कुछ हॉर्मोन्स रिलीज़ होते हैं. शाम को दूसरे हॉर्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जिसकी वजह से हमें नींद आती है. अगर इन हॉर्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाए तो हमें ज़्यादा नींद आएगी या कम नींद आएगी. अब अगर कोई दवाई इस बैलेंस को बिगाड़ेगी तब भी ऐसा ही असर होगा. नींद आना हमारे शरीर में मौजूद न्यूरो ट्रांसमीटर और केमिकल्स पर निर्भर करता है. एंटी-स्लीपिंग पिल्स ऐसे हॉर्मोन्स पर असर करती हैं, जो नींद को कम करते हैं. शरीर में दो तरह के केमिकल्स होते हैं. एक जो ब्रेन को उकसाते हैं, दूसरे जो ब्रेन को शांत करते हैं. एंटी-स्लीपिंग पिल्स ब्रेन को उकसाने वाले हॉर्मोन्स को बढ़ाती हैं. इस वजह से एंटी-स्लीपिंग पिल्स खाने के बाद नींद थोड़ी कम आती है. ऐसा लगता है कि हमारा अटेंशन बढ़ गया है.

एंटी-स्लीपिंग पिल्स कैसे काम करती हैं?

अलग-अलग एंटी-स्लीपिंग पिल्स का काम करने का तरीका भी अलग-अलग होता है. कुछ पिल्स एम्फ़ैटेमिन (amphetamine) नाम का एक हॉर्मोन बढ़ाती हैं. कुछ पिल्स डोपामाइन हॉर्मोन को बढ़ाती हैं. कुछ पिल्स नोरेपिनाफ्रिन (Norepinephrine) हॉर्मोन को बढ़ा देती हैं. हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ने से दिमाग उत्तेजित रहता है. इससे दिमाग की स्लीप सायकल/सर्कैडियन रिदम डिस्टर्ब हो जाती है. रात में जब ये खाएंगे तो मेलाटोनिन हॉर्मोन कम हो जाएगा. ये हॉर्मोन रात में नींद आने का कारक है. जब रात में ये पिल्स खाएंगे तो मेलाटोनिन कम हो जाएगा और नींद नहीं आएगी.

शरीर को किस तरह का नुकसान होता है?

एंटी-स्लीपिंग पिल्स कुछ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होती हैं. जैसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Obstructive sleep apnea) या नार्कोलेप्सी (narcolepsy). या ऐसी और नींद की बीमारियां. इनके इलाज में ये दवाइयां इसलिए फायदा करती हैं, क्योंकि केमिकल बैलेंस पहले से ही डिस्टर्ब है. लेकिन अगर हम इसे बिना डॉक्टर के पर्चे के खरीद लेते हैं. और लंबे समय तक इन दवाइयों को लेते हैं, इतना कि हमें इनकी आदत हो जाए. तब जैसे ही शरीर में ये उत्तेजना बढ़ाने वाले हॉर्मोन कम होते हैं, हमें विदड्रॉल सिम्पटम्स आने लगते हैं.

इन्हीं विदड्रॉल सिम्पटम्स की वजह से इन दवाइयों की आदत हो जाती है. लेकिन अगर आप इसे रोजाना लेने लगेंगे. जैसे रात में जागकर पढ़ने के लिए तो इसकी आदत लग जाएगी. आदत लगने के बाद डोज़ बढ़ने लगता है. जब आप ज़्यादा दवा लेते हैं तो साइड इफ़ेक्ट होते हैं. जैसे एम्फ़ैटेमिन, डोपामाइन, नोरेपिनाफ्रिन, आपका ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल बढ़ता है. ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ता रहेगा तो दिमाग में सूजन आ जाएगी. ऐसे में ब्रेन हेमरेज या हल्लुसिनेशन (विभ्रांति) हो सकता है.

किन बातों का ध्यान ज़रूर रखें

एंटी-स्लीपिंग पिल्स आपके कॉन्सेंट्रेशन को बढ़ाने का सही तरीका नहीं है. अगर आपकी स्लीप सायकल सही है तो कॉन्सेंट्रेशन बढ़ाने के और भी रास्ते हैं. जैसे योग या कोई और रिलैक्सेशन टेक्नीक. क्योंकि जैसे ही इन दवाइयों का असर कम होगा, आपका कॉन्सेंट्रेशन ख़राब हो जाएगा. जरूरी है कि हम अपने लाइफस्टाइल पर फोकस करें. कई बार ऐसा होता है कि हम कम समय में ज़्यादा चीज़ें करना चाहते हैं.

इस वजह से ज़्यादा फोकस की जरूरत पड़ती है. खुद को टाइम दें और उतनी ही मेहनत करें, जितनी मानव दिमाग के लिए संभव है. अगर आपको इन पिल्स की जरूरत पड़ती है, कॉन्सेंट्रेशन बढ़ाने के लिए नहीं, उसके अलावा तो उतना ही डोज़ लें जितना डॉक्टर ने बताया है. इन दवाइयों को कॉफ़ी और कैफ़ीन के प्रोडट्स के साथ न लें. एक और जरूरी बात. कई बार एंटी-स्लीपिंग पिल्स के नाम पर ड्रग्स भी मिलते हैं. इससे शरीर को बहुत नुकसान होता है. इन ड्रग्स से बहुत ज्यादा विदड्रॉल लक्षण आते हैं.

ये सब बातें डॉक्टर विनीत बंगा ने बताई हैं. ये दवाइयां कितनी ख़तरनाक है, आप समझ गए होंगे. अगर डॉक्टर ने किसी मेडिकल कारण से ये दवा दी हैं, तो उनके निर्देश अनुसार ही दवाइयां लें.