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ज़्यादा स्ट्रेस लेने से आते हैं शरीर में ये खतरनाक बदलाव!

स्ट्रेस का शरीर और दिमाग दोनों पर असर पड़ता है.

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स्ट्रेस को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल नहीं है

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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'स्ट्रेस मत लो!' ये तीन शब्द कहना जितना आसान है, इन पर अमल कर पाना उतना ही मुश्किल. इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो स्ट्रेस में नहीं है. सबका अपना-अपना स्ट्रेस है. इस स्ट्रेस का लेवल भी इंसान और हालात पर निर्भर करता है. कोई मैनेज कर लेता है, कोई नहीं कर पाता. कुल मिलाकर बहुत ही आम समस्या. हमें सेहत पर ऐसे बहुत मेल्स आते हैं जिनमें लोग अपने स्ट्रेस और उससे पड़ने वाले असर का ज़िक्र करते हैं. स्ट्रेस के कारण किसी का पेट खराब रहता है, किसी का वज़न गिर गया है, किसी को भयानक सर दर्द रहता है वगैरह, वगैरह. 

स्ट्रेस जिस भी तरह का हो, उसका असर आपके शरीर पर पड़ता ही है. स्ट्रेस है तो बहुत आम शब्द पर इससे जुड़ी कुछ बहुत ज़रूरी बातें लोगों को पता नहीं हैं. जैसे स्ट्रेस के भी अलग-अलग प्रकार होते हैं, स्ट्रेस आपकी इम्युनिटी को कैसे कमज़ोर करता है? इसका आपकी हेल्थ और दिमाग पर क्या असर पड़ता है, ये सारी बातें जानते हैं एक्सपर्ट्स से.

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स्ट्रेस के प्रकार

ये हमें बताया डॉक्टर सोनल आनंद ने.

Dr. Sonal Anand - Psychiatrist - Book Appointment Online, View Fees,  Feedbacks | Practo
डॉक्टर सोनल आनंद, मनोचिकित्सक, वॉकहार्ट हॉस्पिटल, मीरा रोड, मुंबई

-स्ट्रेस दो प्रकार का होता है.

-एक्यूट स्ट्रेस और क्रोनिक स्ट्रेस.

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-एक्यूट स्ट्रेस थोड़ी देर के लिए होता है, सिचुएशन बहुत सीरियस नहीं होती.

-जैसे कोई प्रेजेंटेशन देने से पहले स्ट्रेस हो सकता है.

-एग्ज़ाम से पहले स्ट्रेस हो सकता है.

-स्ट्रेस का दूसरा प्रकार है क्रोनिक स्ट्रेस.

-क्रोनिक स्ट्रेस लंबे समय तक चलता है.

-ये उन मुश्किल हालातों में महसूस होता है, जिनसे निकलना मुश्किल है.

स्ट्रेस इम्यून सिस्टम को कैसे नुकसान पहुंचाता है?

-स्ट्रेस का असर हमारी इम्युनिटी पर पड़ता है.

-स्ट्रेस के कारण टी-सेल सप्रेशन होता है.

-यानी शरीर में मौजूद व्हाइट सेल्स जो किसी इन्फेक्शन से लड़ते हैं, उनपर असर पड़ता है.

-स्ट्रेस के कारण हमारे शरीर में एक हॉर्मोन रिलीज़ होता है.

-जिसको कोर्टिसोल कहा जाता है.

-इस हॉर्मोन के कारण शरीर के अंदर सूजन बढ़ती है.

-जब हम क्रोनिक स्ट्रेस से गुज़रते हैं तब कोर्टिसोल का लेवल खून में बढ़ जाता है.

How Stress Affects Your Brain | UPMC HealthBeat
एक्यूट स्ट्रेस थोड़ी देर के लिए होता है, सिचुएशन बहुत सीरियस नहीं होती

-उसकी वजह से शरीर में अंदरूनी सूजन होती है.

-जिसके कारण इम्युनिटी कमज़ोर हो जाती है.

स्ट्रेस से हेल्थ, शरीर को किस तरह का नुकसान होता है?

-स्ट्रेस का शरीर और दिमाग दोनों पर असर पड़ता है.

-स्ट्रेस के कारण क्रोनिक एंग्ज़ायटी हो सकती है.

-स्ट्रेस के कारण डिप्रेशन हो जाता है.

-डिप्रेशन में उदासी महसूस होती है.

-रोज़ के काम करने की इक्छा नहीं होती.

-किसी चीज़ में मज़ा नहीं आता.

-नींद की साइकिल बिगड़ सकती है.

-भूख कम या ज़्यादा लग सकती है.

-कुछ सीरियस केसों में सुसाइड करने के ख्याल भी आ सकते हैं.

-जो लोग ऑफिस में काम करते हैं, स्ट्रेस के कारण उनमें बर्नआउट सिंड्रोम हो सकता है.

-क्रोनिक स्ट्रेस के कारण सोच पाने की क्षमता पर असर पड़ता है.

-स्ट्रेस के कारण पेट से लेकर दिल तक असर पड़ता है.

-पेट में अल्सर हो सकते हैं.

-इंफ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम हो सकता है.

-हाज़मा कम हो जाता है.

-बीपी और दिल की बीमारियां स्ट्रेस के कारण बढ़ती हैं.

-क्रोनिक स्ट्रेस में दिल की धड़कन तेज़ रहती है.

-दिल जल्दी-जल्दी खून पंप करता है, जिसकी वजह से दिल भी स्ट्रेस में रहता है.

-इससे कार्डियक प्रॉब्लम्स बढ़ सकती हैं.

-स्ट्रेस की वजह से खाने-पीने में बदलाव आ सकते हैं.

-वज़न कम हो सकता है.

The Impact of Stress on Innovation - IdeaScale
स्ट्रेस का शरीर और दिमाग दोनों पर असर पड़ता है

-कुछ लोग स्ट्रेस में ज़्यादा खाते हैं, जिससे उनका वज़न काफ़ी बढ़ जाता है.

-इस कारण ओबेसिटी भी बढ़ती है.

-ओबेसिटी के कारण कई बीमारियां हो सकती हैं.

-दिमाग पर भी स्ट्रेस का काफ़ी असर होता है.

-फोकस बिगड़ जाता है.

-काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है.

स्ट्रेस को कैसे कंट्रोल करें?

-स्ट्रेस को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल नहीं है.

-अगर कोई सिचुएशन ऐसी है जो बहुत स्ट्रेसफ़ुल है.

-उससे निकलना मुश्किल लग रहा है.

-उसके बारे में अलग तरह से सोचें.

-कई बार सोच बदलने से बहुत फ़ायदा होता है.

-कुछ आसान चीज़ें कर सकते हैं.

-रोज़ सुबह 15 मिनट के लिए एक्सरसाइज कर सकते हैं.

-योगा कर सकते हैं.

-टाइम मैनेजमेंट सीखना ज़रूरी है.

-नींद पूरी लें.

-अगर स्ट्रेस बहुत ज़्यादा है तो प्रोफेशनल मदद लेना ज़रूरी है.

लाइफ में कोई स्ट्रेस न हो, ऐसा हम सब चाहते तो हैं पर जब तक सांसें चल रही हैं, ये मुमकिन नहीं है. इसलिए ये उम्मीद तो छोड़ ही देनी चाहिए. उससे बेहतर है, स्ट्रेस को कैसे हैंडल करें, इस बात पर फोकस किया जाए. बहुत बार स्ट्रेस इतना ज़्यादा हावी हो जाता है कि एंग्जायटी, डिप्रेशन या फिर बीमारी का रूप ले लेता है. इसलिए अगर आपको लगता है कि आप बहुत ज़्यादा स्ट्रेस में रहते हैं, अपना मन उससे हटा नहीं पाते तो प्रोफेशनल मदद लें. क्योंकि स्ट्रेस का आपकी सेहत पर किस तरह का असर होता है, ये तो आपने सुन ही लिया है. 

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