न्यूज़ एजेंसी PTI के मुताबिक, बरी होने के बाद सोनी सोरी ने कहा,
"मुझे गलत केस में फंसाया गया. खुद को निर्दोष साबित करने के लिए मुझे 11 साल लड़ना पड़ा. मैं एक स्कूल टीचर थी... झूठे आरोपों ने मेरी ज़िंदगी, मेरी डिग्निटी को बर्बाद कर दिया. मेरे परिवार को परेशान होना पड़ा. कौन मेरे 11 साल लौटाएगा? क्या राज्य या केंद्र सरकार इसे लौटा सकते हैं? ये केवल सोनी सोरी के बारे में नहीं है, बस्तर क्षेत्र में कई आदिवासी ऐसे झूठे मामलों का दंश झेल रहे हैं."कौन हैं सोनी सोरी?

पहले दंतेवाड़ा के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती थीं. सोनी के पिता मुंडा राम कांग्रेस नेता रहे, बड़े बेड़मा गांव के सरपंच रहे. मई, 2010 में सोनी सोरी, उनके पति और भतीजे पर कांग्रेस नेता अवधेश गौतम पर हमला करवाने के आरोप लगे. इस हमले में अवधेश तो बच निकले थे लेकिन उनके बेटे को चोटें आई थीं. 2010 में ही स्वतंत्रता दिवस के विरोध में 14 अगस्त को लगभग 60 नक्सलियों ने छह ट्रकों को आग लगा दी थी. हमले के बाद नक्सली मौके से फरार हो गए थे. पुलिस ने इस मामले में सोनी सोरी को भी आरोपी बनाया था. सोनी सोरी पर राजद्रोह, दंगा भड़काने, एक्सटॉर्शन संबंधी धाराओं में केस दर्ज किए गए थे.
2011 के लेनदेन मामले में सोनी सोरी का नाम आने के बाद शिक्षिका के पोस्ट से उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. उन्हें अक्टूबर, 2011 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. सोनी को छत्तीसगढ़ पुलिस की कस्टडी में भेजा गया. सोनी सोरी ने आरोप लगाया कि कस्टडी में उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया. उनकी तबीयत बिगड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोलकाता मेडिकल कॉलेज में उनको भर्ती किया गया. अस्पताल के डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट दी कि सोनी सोरी के शरीर से कुछ फॉरेन ऑब्जेक्ट्स निकाले गए हैं.
सोनी सोरी ने जेल से एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने अपने साथ हुई ज्यादती के बारे में लिखा था. उन्होंने लिखा था,
'मुझे करंट देने, मेरे कपड़े उतारने और मेरे गुप्तांगों में कंकड़-गिट्टी डालने से क्या नक्सलवाद की समस्या खत्म हो जाएगी. हम औरतों के साथ ऐसा अत्याचार क्यों, आप सब देशवासियों से जानना है. जब मेरे कपड़े उतारे जा रहे थे उस वक्त ऐसा लग रहा था कोई आए और मुझे बचा ले, पर ऐसा नहीं हुआ.'इस चिट्ठी में सोनी ने लिखा था कि टॉर्चर के दौरान पुलिसवाले उनसे भद्दी बातें कहते थे. उनके चरित्र पर सवाल उठाते थे. सोनी सोरी ने तब के दंतेवाड़ा एसपी अंकित गर्ग पर भी गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि गर्ग अपनी कुर्सी पर बैठकर उनके नग्न शरीर को देखते हुए भद्दी टिप्पणी करते थे. हालांकि, गर्ग ने इन आरोपों को खारिज किया था. सोनी सोरी ने ये आरोप भी लगाया था कि तीन पुरुषों को भेजकर उनका रेप करवाया गया था, उनका आरोप था कि उनकी वजाइना में कंकड़ ठूस दिए गए थे.
सोनी सोरी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में ज़मानत के लिए याचिका लगाई थी. ये याचिका जुलाई, 2013 में हाईकोर्ट ने इस आधार पर खारिज कर दी कि सोनी पर लगे आरोप गंभीर हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2013 में सोनी सोरी को इस शर्त के साथ जमानत दी कि वो छत्तीसगढ़ में नहीं रहेंगी और दिल्ली पुलिस को हर हफ्ते रिपोर्ट करेंगी. पॉलिटिक्स में एंट्री और केमिकल अटैक

रिहाई के बाद सोनी सोरी साल 2014 में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं. 2014 में हुए आम चुनाव में पार्टी ने सोनी को बस्तर लोकसभा सीट से चुनाव का टिकट दिया. हालांकि, सोनी चुनाव हार गई थीं. दिसंबर 2019 में सोनी सोरी आम आदमी पार्टी से अलग हो गई थीं.
20 फरवरी, 2016 को जगदलपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. छत्तीसगढ़ पुलिस ने कुछ वक्त पहले पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम को उनके घर से निकाल दिया था. मालिनी सुरक्षाबलों द्वारा महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ लिखती थीं. मालिनी को निकालने के बाद आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली दो महिला वकीलों और ऐक्टिविस्ट्स शालिनी गेरा और ईशा खंडेलवाल को भी उनके मकान मालिकों से पूछताछ के बाद घर से निकाल दिया गया. बस्तर के तब के IG SRP कल्लूरी पर ये सब करवाने के आरोप लगे थे. जगदलपुर में इसी कार्रवाई के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी. इसमें सोनी सोरी भी शामिल हुई थीं. वो बाइक से लौट रही थीं, इसी दौरान तीन बाइक सवार लोग आए और उनके मुंह पर जली हुई ग्रीस फेंककर चले गए. इस हमले से सोनी सोरी का चेहरा बुरी तरह से जल गया था. उन्हें इलाज के लिए दिल्ली लाया गया था.
पैसों के लेन-देन वाले मामले के अलावा छत्तीसगढ़ पुलिस ने सोनी सोरी को छह और मामलों में आरोपी बनाया था. अब वो सभी मामलों में बरी हो गई हैं. 2011 से अब तक 11 साल बीत चुके हैं. सोनी सोरी ने सवाल किया है कि उनके 11 साल उन्हें कौन लौटाएगा. सवाल ये भी है कि सोनी सोरी के साथ इन 11 सालों में जो कुछ भी हुआ, जिस शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से वो गुज़रीं उसका दोषी कौन है?