क्या है पूरा मामला?
रामभवन नाम का ये व्यक्ति सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के तौर पर काम कर रहा था. इस पर आरोप लगे कि इसने न सिर्फ नाबालिगों का यौन शोषण किया, बल्कि इस काम को करते हुए वीडियो भी बनाए. उन्हें इंटरनेट पर बेचा. इंडिया टुडे के पत्रकार मुनीश पांडे की रिपोर्ट के मुताबिक़ CBI के सामने ये मामला इस साला की शुरुआत में आया था. इसके बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ नाबालिगों के यौन शोषण का मामला दर्ज किया गया था. उत्तर प्रदेश के चित्रकूट, बांदा और हमीरपुर जिलों में. मामले की जांच को लेकर रामभवन को गिरफ्तार तो किया ही गया. अब उसकी पत्नी दुर्गावती को भी CBI ने चार जनवरी तक न्यायिक हिरासत में ले लिया है. दुर्गावती पर आरोप है कि उसने इस मामले से जुड़े मुख्य गवाहों पर दबाव डालने और उन्हें मैनिपुलेट करने की कोशिश की.

CBI का क्या कहना है?
मामले से जुड़े एक स्टेटमेंट में CBI ने कहा,
रामभवन पर आरोप हैं कि उसने चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज वाले ये फोटो और वीडियो इंटरनेट पर पब्लिश किए और उनका लेन देन किया.ये भी आरोप हैं कि इस कॉन्टेंट को दूसरे लोगों को बेचने और शेयर करने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल किया गया.आरोपी के घर की तलाशी में CBI को आठ लाख रुपए कैश, मोबाइल फोन्स, लैपटॉप, वेबकैमरा, सेक्स टॉयज़ और बाकी स्टोरेज डिवाइस जैसे मेमोरी कार्ड, पेन ड्राइव भी मिले थे.
CBI के मुताबिक़ आरोपी कथित तौर पर यौन शोषण का कॉन्टेंट वो पिछले दस सालों से लोगों के साथ शेयर कर रहा था. CBI ने आरोपी के ईमेल्स की भी जांच की . इसमें सामने आया कि वो कथित रूप से भारत और विदेश के कई लोगों के साथ लगातार संपर्क में था. समय के साथ उसने ऐसा काफी मटीरियल इकठ्ठा किया था, और सोशल मीडिया/डार्क वेब के ज़रिए इसे शेयर भी करता आ रहा था.
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, यह जूनियर इंजीनियर पहले फेसबुक इंस्टाग्राम जैसे सोशल साइट्स पर बच्चों से दोस्ती करता था. रामभवन ने पूछताछ में बताया कि वह बच्चों को मोबाइल, महंगी घड़ी, विदेशी चॉकलेट आदि का लालच देकर अपने पास बुलाता था. हरकत के वक्त ध्यान रखता था कि बच्चे किसी तरह का शोर न मचा पाएं.
सीबीआई ने बच्चों से जुड़े मामलों की जांच के लिए एक विशेष यूनिट ऑनलाइन चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज एंड एक्सप्लॉइटशन प्रिवेंशन एंड इन्वेस्टिगेशन (OCSAE) भी बना रखी है. यह यूनिट लगातार इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्न से जुड़ी एक्टिविटीज पर नजर रखती है.
क्या होता है डार्क वेब?
मोटा-माटी ये समझ लीजिए कि हम और आप जैसे लोग इंटरनेट का जो हिस्सा इस्तेमाल करते हैं गूगल फेसबुक इत्यादि, ये बहुत ही छोटा सा हिस्सा है इंटरनेट का. डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है जहां सारे गैर कानूनी काम होते हैं. कई बार लोग डार्क वेब की जगह डीप वेब शब्द का इस्तेमाल करते हैं. दोनों को आमतौर पर अदल-बदल कर इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इनके बीच अंतर है. आप जब गूगल, याहू, या बिंग जैसे सर्च इंजन पर जाते हैं, तो आपको कुछ भी सर्च करने पर कुछ पेजेज़ दिखाई देते हैं. उन पर क्लिक करके आप वो पेज पढ़ सकते हैं. इन पेजेज़ को इंडेक्स किए हुए पेज कहा जाता है. यानी ये सर्च इंजन पर उपलब्ध हैं. डीप वेब वो होती है, जिसमें ऐसे पेज आते हैं लेकिन सर्च इंजन पर दिखाई नहीं देते. इनमें मेडिकल रिकॉर्ड्स, साइंटिफिक दस्तावेज वगैरह शामिल होते हैं.

डार्क वेब उससे दो कदम आगे की चीज़ है. ये सर्च इंजन पर नहीं मिलते. और इनमें अधिकतर गैर-कानूनी, आपराधिक जानकारियां और लेन-देन होते हैं. जैसे ड्रग्स का व्यापार, या लोगों की प्राइवेट जानकारी का लेन-देन. इसी जगह ऐसी साइट्स भी मौजूद होती हैं, जो पीडोफीलिया, इन्सेस्ट जैसी बातों पर डिस्कशन करने वालों को मंच देती हैं.