आप दिन में दो बार ब्रश करते हैं. अपने मुंह की पूरी साफ-सफाई रखते हैं. मगर फिर भी मुंह से एक अजीब-सी स्मेल आती है. सेब के सिरके जैसी. अगर आपके साथ भी ऐसा होता है. तो, सबसे पहले आप अपना शुगर टेस्ट करिए. अब आप सोच रहे होंगे कि दोनों चीज़ों के बीच में कनेक्शन क्या है? मतलब मुंह से बदबू आ रही है तो इसका शुगर से क्या संबंध?
मुंह की कौन सी बदबू बताती है कि डायबिटीज हो गया है?
Type 1 Diabetes वालों के मुंह से कई बार सेब के सिरके जैसी स्मेल आती है.
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भई, बहुत गहरा ताल्लुक है दोनों का. और, आपको अभी यही पता चलने वाला है. डॉक्टर से जानिए कि डायबिटीज़ के कारण मुंह से कैसी स्मेल आती है? ऐसा क्यों होता है? और, इसका इलाज क्या है?
डायबिटीज़ के कारण मुंह से कैसी स्मेल आती है?
ये हमें बताया डॉक्टर अजय गुप्ता ने.

मुंह की बहुत सारी बीमारियां डायबिटीज़ कंट्रोल में न आने की वजह से होती हैं. जैसे डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (diabetic ketoacidosis). ये टाइप-1 डायबिटीज़ वाले मरीज़ों को होती है, जिनमें इंसुलिन बहुत कम बनता है. ऐसे मरीज़ों की डायबिटीज़ कंट्रोल से बाहर होने पर उनके शरीर में एक पदार्थ बनता है. ये पदार्थ सांस के ज़रिए बाहर निकलता है. फिर ऐसे लोगों के मुंह से किसी फल या सेब के जूस जैसी स्मेल आती है. इसे एसिडोसिस ब्रेथ या एसीटोन स्मेल (acidosis smell) कहते हैं.
अगर किसी को डायबिटिक कीटोएसिडोसिस है तो उसके मुंह से ऐसी ही स्मेल आती है. ऐसे लोगों का शुगर लेवल ठीक करके डॉक्टर इस स्मेल को दूर करते हैं. डायबिटीज़ के मरीज़ों के मुंह से आने वाली दूसरी सबसे आम स्मेल पेरियोडोंटाइटिस (Pyria) की है. ये भी उन मरीजों को होता है जिनका शुगर कंट्रोल में नहीं है.
देखिए, जब शुगर बढ़ जाती है तो हमारे मुंह का थूक सूख जाता है. इससे वहां बैक्टीरिया को पनपने की जगह मिल जाती है. फिर बैक्टीरिया पनपने से कैविटी, दांतों में इंफेक्शन और पायरिया जैसी दिक्कतें होने लगती हैं. इससे हमारे मुंह में बदबू आती है, जिसे फाउल स्मेल या फाउल ओडर (दुर्गंध) बोलते हैं.
जब डायबिटीज़ बहुत बढ़ जाए, तब कुछ दूसरी तरह की स्मेल भी आती हैं. जैसे अगर किसी को लिवर सिरोसिस हो या लिवर बहुत ज़्यादा खराब हो तो ऐसे मरीज़ों से भी एक स्मेल आती है. इसे हैलिटोसिस (Halitosis) कहते हैं. हालांकि ये उन्हीं मरीज़ों में होता है जिन्हें डायबिटीज़ के साथ-साथ लिवर की भी बीमारी है. वहीं कुछ मरीज़ों के मुंह से अमोनिया की स्मेल आती है. कभी-कभार कार्बन डाईऑक्साइड की स्मेल भी आ सकती है. आजकल एक नई रिसर्च भी चल रही है कि कार्बन डाईऑक्साइड की स्मेल से डायबिटीज़ की पहचान कैसे की जाए.

इलाज
- अपनी शुगर कंट्रोल में रखें.
- अगर शुगर कंट्रोल में रहेगी तो थूक नहीं सूखेगा.
- इससे मुंह में बैक्टीरिया पैदा होने का चांस भी कम हो जाएगा.
- अगर फिर भी समस्या नहीं जा रही तो डॉक्टर से मिलें.
- साथ ही, अपने मुंह की साफ-सफाई का ध्यान रखें.
- सुबह-शाम ब्रश करें.
- फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट इस्तेमाल करें ताकि कैविटी ठीक हो और दांतों को मज़बूती मिले.
- हर बार खाना खाने के बाद कुल्ला ज़रूर करें.
- ये कुल्ला आप सादे पानी से भी कर सकते हैं और हल्के नमक वाले पानी से भी.
- आप चाहें तो पोविडोन आयोडीन गार्गल्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
टाइप-1 डायबिटीज़ के मरीज़ ख़ास ध्यान रखें क्योंकि टाइप-1 डायबिटीज बचपन में होता है, इसलिए रोज़ ऐसे बच्चों का शुगर लेवल चेक करें. अगर उनके पेट में दर्द हो, चक्कर आएं तो तुरंत शुगर लेवल नोट करें ताकि उन्हें डायबिटिक कीटोएसिडोसिस से बचाया जा सके. इसी तरह टाइप-2 डायबिटीज़ वाले मरीज़ भी अपना शुगर कंट्रोल में रखें. प्लाज, लहसुन और मिठाई जैसी चीज़ें खाने के बाद तुरंत कुल्ला करें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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