30 साल पहले एक फिल्म आई थी हॉलीवुड की, गोस्टबस्टर्स. 4 पुरुष साइंटिस्ट न्यू यॉर्क को भूतों से बचाते हैं. पिक्चर सुपरहिट हुई. सीक्वेल आया. टीवी पर शो बनाया गया. करोड़ों का बिजनेस किया. फिल्म को दो ऑस्कर भी मिले. अभी पिछले महीने फिल्म का रीमेक रिलीज हुआ. लेकिन इस बार साइंटिस्ट पुरुष नहीं, 4 औरतें थीं. इन चारों में से एक औरत थीं लेजली जोन्स. अफ़्रीकी मूल की अमेरिकी कॉमेडियन हैं ये.
लोगों को फिल्म का रीमेक ख़राब लगा. ये कोई बड़ी बात नहीं. हम सभी जानते हैं कि दुनिया में अच्छी फिल्मों से कहीं ज्यादा ख़राब फ़िल्में बनती हैं. लोगों ने एक्टर्स का मजाक उड़ाया. उसमें भी कुछ गलत नहीं. लेकिन जिस दिशा में मजाक उड़ाया गया, वो बेहद भद्दी और फूहड़ थी. फिल्म खराब है, इससे ज्यादा समस्या लोगों को इस बात से थी कि 4 औरतें मिलकर वही जादू कैसे क्रियेट कर सकती हैं, जो 4 पुरुषों ने किया. क्योंकि पुरुषों की तो भाई बात ही अलग थी. लेजली जोन्स की स्किन काली है. शरीर भरा हुआ. पेशे से कॉमेडियन हैं. वो सारी बातें हैं इनके अंदर, जो किसी लड़की को 'सुंदर' लगने से रोकती हैं. बात उस 'सुंदर' की हो रही है, जो ये मानता है कि जो गोरा है, वही सुंदर है. जो लड़की सादी और सौम्य है, वही सुंदर है. जो धीमे-धीमे बोलती है, वही सुंदर है. फिल्म के रिलीज होते ही लोगों ने लेजली के ऊपर भद्दे रेसिस्ट और सेक्सिस्ट जोक बनाए. जिसमें उनको बंदर, गोरिला जाने क्या-क्या कहा.

लेजली ने शिकायत की. ट्विटर छोड़ दिया. लेकिन लोगों का मन नहीं भरा. तो एक-दो दिन पहले लेजली की वेबसाइट हैक कर ली. और उनकी तस्वीरों को फोटोशॉप कर अपलोड कर दिया. कुछ तस्वीरें न्यूड थीं. तो किसी में लेजली के चेहरे पर सीमेन लगा हुआ था.
'बेज्जती की तो अब आदत हो गई है.'
https://www.youtube.com/watch?v=5KxhU_yZLG8 कितना आसान होता है न, औरत से बदला लेना? बस उसकी शक्ल लेकर, उसमें एक नंगा शरीर जोड़ दो. इतना काफी होगा उसकी इज्जत का फालूदा बनाने के लिए. क्योंकि वो तो औरत है. अगर उसकी नंगई लोगों को दिख गई, तो भविष्य में किस मुंह से पब्लिक में आएगी. है न?
यही लड़ाई अगर ट्विटर पर किन्हीं दो पुरुषों के बीच होती है, तो एक पुरुष दूसरे से कहता है, मुंह तोड़ दूंगा. वहीं अगर लड़ाई औरत से होती है, तो कहते हैं, तुम्हारा रेप कर दूंगा. इतना ही नहीं, पुरुष से होने वाली लड़ाई में एक पुरुष दूसरे से कहता है, तुम्हारी मां-बहन का रेप कर दूंगा. तो लड़ाई पुरुष से हो, या औरत से. सेक्सुअल वायलेंस का प्रवाह हमेशा औरत की ओर होता है. पुरुष कभी पुरुष से नहीं कहता, तुम्हारा रेप कर दूंगा. ट्विटर पर हम सेलेब्रिटी लोगों से सीधे बात कर सकते हैं. आम आदमी बड़े-बड़े स्टार्स को ट्वीट कर सकता है. यही आम आदमी जब पुरुष को ट्वीट करता है, तो चार बार सोचता है. औरत को ट्वीट करने के पहले नहीं सोचता. आज तक ट्विटर पर ऐसे कितने केस आए हैं, जब एक पुरुष का ट्विटर पर हैरेस होना ख़बरों में आया हो. चेतन भगत हों, या फरदीन खान, आज तक किसी से ये नहीं कहा गया कि तुम मेल प्रॉस्टिट्यूट हो. वहीं बरखा दत्त को रंडी कहने में एक मिनट भी नहीं लगाते. और अगला कदम होता है तस्वीरें वायरल करना. किसी औरत की तस्वीरों के जरिए आप उसे ही क्या, उसके पूरे परिवार को बदनाम कर सकते हैं. 2 साल पहले श्रुति हासन के साथ ऐसा हुआ था. किसी ने उनके एक डांस नंबर की शूटिंग के समय उनकी कुछ तस्वीरें खींच लीं. उनके क्लीवेज, कमर और बिकिनी लाइन की तस्वीरें वायरल कर दीं. कुछ शेयर, कुछ व्यू और हफ्ते भर की सनसनी के अलावा तस्वीरें वायरल करने वाले व्यक्ति को क्या मिला होगा? शायद थोड़े पैसे. लेकिन उससे भी ज्यादा जो मिला होगा, वो होगा सुकून. किसी औरत को बदनाम करने का सुकून. उसके जिस्म की नुमाइश कर उसका मजाक उड़ाने, उसे शर्मिंदा करने का सुकून.

ये तो स्टार हैं. इनके पास साइबर हैरेसमेंट का ज्ञान है. केस लड़ने के लिए वकील हैं. या अपनी तस्वीरों को इग्नोर कर आगे बढ़ना अफोर्ड कर सकते हैं. पर कुछ लड़कियां ऐसी भी हैं जिनकी तस्वीरों के वायरल होने का आतंक पैदा करके लगातार रेप किया जाता है. वो घर से निकाल दी जातीं हैं, सुसाइड कर लेती हैं. जब इन लड़कियों की तस्वीरें वायरल की जाती हैं, ये नहीं सोचा जाता कि वो एंजेलीना जोली जैसी गोरी, नीली आंखों वाली लड़की है, या लेजली जोन्स जैसी दबे रंग की, 'मोटी' औरत है. वो एक फिल्म स्टार है, या पड़ोस में रहने वाली एक आम औरत.
वो तो बस इतना जानते हैं कि वो एक पुरुष हैं. और उनके सामने एक औरत है, जिसे एक्सप्लॉइट किया जा सकता है.
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